Thousands of tribals have been killed in fake encounters in hundreds of villages under Bastar division !

जगदलपुर। सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में इन दिनों निरीह आदिवासियों को नक्सली उन्मूलन के नाम पद फर्जी मुठभेड़ फर्जी समर्पण तथा महिलाओं के साथ लगातार हो रही दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ रही है। बस्तर संभाग के अन्तर्गत सैकड़ों गांव में फर्जी मुठभेड़ में हजारों आदिवासी मारे जा चुके हैं

आज तक एक भी मामले में दोषी पुलिस कर्मी व पुलिस बल के विरूद्ध कार्यवाही नहीं

एक विज्ञप्ति में श्री ठाकुर ने कहा कि कई आदिवासी महिलाओं के साथ पुलिस बल के अनाचार के कितने ही मामले हैं,लेकिन आज तक एक भी मामले में दोषी पुलिस कर्मी व पुलिस बल के विरूद्ध कार्यवाही नहीं की गई। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में निवासरत भोले-भाले आदिवासी जनता के साथ राज्य सरकार के शासन-प्रशासन द्वारा गांव के आदिवासियों का नक्सली समर्थक मानकर दोयम दर्ज के जानवरों की तरह व्यवहार कर रही है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में गोमपाड की दर्दनाक घटना मढकम हिड़मे के प्रकरण में सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग के पदाधिकारियों का जांचदल करने 29 जून को घटना ग्राम वालों के बयान लिये गये, जिससे स्पष्ट है कि बीमार अवस्था में घर पा सोई हुई मडकम हिडमें को घर से जोर जबदस्ती डराकर जबरन घसीटते हुए जंगल ले जाकर बलात्कार पश्चात उनके शरीर के अंगों को काटा गया, वह घटना वीभत्स व मानवता पर कलंक थी। मरने के बाद पुलिस बल ने इसे ड्रेस पहनाकर फोटो खींचा और नक्सली मुठभेड़ का रूप दिखाया गया है।

बस्तर संभाग में पुलिसिया दमन | Police repression in Bastar division

इसी प्रकार बीजापुर जिले के सारकेगुडा के आदिवासी बीजपंडूम मनाने के लिये एकत्रित हुए लोगों के ऊपर अंधाधुंध गोली चलाकर तीन नाबालिक बच्चों सहित नौ लोगों को मार दिया गया। ऐसा ही नारायणपुर जिले के ग्राम ऐसे ही पूरे बस्तर संभाग में पुलिसिया दमन से आदिवासी पलायन करने को मजबूर हैं और हजारों की संख्या में पलायन कर चुके हैं, जिससे कई गांव वीरान हो चुके हैं। जितने आदिवासी रह रहे हैं, उन्हे नक्सली बताकर फर्जी समर्पण एवं नक्सली घोषित कर जेल भेजा जा रहा है।

श्री ठाकुर ने कहा कि नक्सली प्रभावित क्षेत्र में निवासरत ग्रामीणों को जीवन की सुरक्षा महिलाओं की इज्जत आबरू की रक्षा करने वाले रक्षक ही भक्षक बन बैठे हैं। पूर्व में कई घटनाएं हैं, जैसे कि बीजापुर जिला के चिन्नागेलूर, पेदागेलूर, गुड़म, पिगड़ापल्ली और बुडग़ीचेरू में सयुक्त दल द्वारा लगातार 5 दिनों तक गांव की महिलाओं के साथ लैंगिक हिंसा बलात्कार लूटपाट मारपीट व तोडफ़ोड़ कर अलग अलग जगहों पर सामूहिक दुष्कर्म किए।

सत्ताप्राप्त जनप्रतिनिधि अपने स्वार्थ में मस्त

इन घटनाओं के संबंध में राज्य के मुख्यमंत्री आयोग एवं शासन प्रशासन को कई बार अवगत कराया गया, लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं किया गया। यह शासन-प्रशासन का रवैया सकारात्मक नहीं है। जिस उदेश्य व हित के लिये छग राज्य बना है उससे कोई सरोकार नहीं है। प्रदेश के सत्ताप्राप्त जनप्रतिनिधि अपने स्वार्थ में मस्त हैं, वर्तमान सरकार से तो अब उम्मीद ही नहीं है क्योकि उनके नियम में ही खोट नजर आने लगी है। आज भी आदिवासी ग्रामीण जनता अपने जीवन अस्तित्व संस्कृति अस्मिता को बचाने के लिये संघर्ष कर रहे हैं।

सर्व आदिवासी समाज उपरोक्त कारणों से आदिवासी समाज इन सब मामलों के लिये अब विवश होकर सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति व आदिवासी की सुरक्षा व स्वतंत्रता के लिये गठित संयुक्त राष्ट्र संघ के समस्त अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं का दरवाजा खटखटायेगा तथा पूरा समाज अपने अस्तित्व की रक्षा के लिये सड़क पर उतरने के जिये मजबूर होगा।

उन्होंने आदिवासियों को बस्तर में शांतिपूर्वक जीवन जीने में मदद करने की अपील बस्तर के समस्त बुद्धिजीवियों पत्रकारों एवं समाज सेवियों से की है।

(इनपुट्स-देशबन्धु)