छोटा नागपुर टेनेन्सी एक्ट में बदलाव- दिल्ली पहुंचा झारखंड का आंदोलन
छोटा नागपुर टेनेन्सी एक्ट में बदलाव- दिल्ली पहुंचा झारखंड का आंदोलन
छोटा नागपुर टेनेन्सी एक्ट में बदलाव- दिल्ली पहुंचा झारखंड का आंदोलन
नई दिल्ली। झारखंड सरकार द्वारा छोटा नागपुर टेनेन्सी एक्ट १९०८ में किए गए बदलाव के खिलाफ जंतर मंतर पर धरने का आयोजन किया गया।
इस आयोजन में राजधानी के करीब ८ संगठनों के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया, जो इसका विरोध कर रहे हैं।
इस कानून में बदलाव भी वहां की बहुमत वाली सरकार ने अध्यादेश लाकर किया है, ठीक उसी प्रकार जैसे मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून को अध्यादेश के माध्यम से बदलने की कोशिश की थी।
इसके अलावा सरकार संथाल परगना टेनेन्सी एक्ट १९४९ में भी बदलाव करने की कोशिश में है।
राज्य सरकार के इस कदम का विरोध झारखंड में उसी दिन से शुरु हो गया था, जब इस अध्यादेश को विधानसभा में पास किया गया था, इसके विरोध में आदिवासी सलाहकार परिषद के तमाम सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया।
झारखंड में इस आंदोलन में करीब ४५ संगठन एकजुट हैं।
आंदोलनकारी गणेश माझी ने बताया, कि इस कानून के तहत दलित, आदिवासी व पिछड़ों की गैर कृषि योग्य जमीन व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए उपयोग किए जाने का प्रावधान है, इसके लिए आदिवासी इस जमीन को आसानी से बेच सकेगा, जबकि इससे पहले एक आदिवासी दूसरे थानाक्षेत्र में भी जमीन नहीं खरीद सकता था। इस कानून के बाद कृषि योग्य भूमि को अधिकारियों की मिलीभगत से आसानी के गैर कृषि योग्य भूमि बनाई जा सकती है।
नए अध्यादेश के अनुसार अगर जमीन गलत तरीके से बेची गई है, तो उसे वापस लेने का अधिकार भी खत्म कर दिया गया है, साथ ही ग्राम सभा का अधिकार भी खत्म कर दिया गया है।
एक अन्य आंदोलनकारी अनुभूति का कहना है, कि झारखंड के मौजूदा दोनों कानून वनाधिकार कानून की तुलना में ज्यादा सक्षम थे, पर सरकार उन्हें खत्म करने पर तुली है, इससे आने वाले समय में झारखंड में रिहाईशी असंतुलन भी बढ़ने का खतरा है।
धरने के बाद एक ज्ञापन राष्ट्रपति को दिया गया, जिसमें इसे रोकने की मांग की गई है।


