मसीहुद्दीन संजरी

भीम आर्मी में मीडिया को क्रिमिनल दिखाई देने लगे। हफ्ते भर से तांडव करने वाले, पुलिस की मौजूदगी में नंगी तलवारें लेकर दलितों पर हमले करने वाले, दलितों के घरों को जलाने वाले महा सज्जनों के बारे में भी कुछ बोल दो भाई। देश में बदलाव के नायक ही कह दो। यही कह दो कि यह बदलाव तुम्हें पसंद है।

भारत विश्व गुरू इसी रास्ते पर चल कर बनेगा। ज़्यादा संकोच न करो। खुल कर बोल दो। जनता की नज़रों में तो नंगे हो ही चुके हो और उसी में खुश और संतुष्ट भी हो तो आ जाओ ... उतार कर मैदान में। अब कैमरों का कमाल दिखा दो।

प्रतिरोध कर रहे दलितों की वीडियो प्रशासन तक पहुंचाओ, भागने वालों को हमलावर बता दो, जो काम गैर कानूनी ढंग से नहीं हो पाया अब उसे कानूनी हंटर चला कर करने में पूर्व हमलावरों और अंध–मूक पुलिस की मदद कर दो। दलितों के अत्याचार पर कुछ कहानियां गढ़ कर माहौल तैयार करो। बहुत प्यार से कहो कि कुछ युवक गुमराह हो गए सो उन्होंने बाकियों को उकसा कर हिंसा करवा दी। बस उनको कड़ी सज़ा मिले इसके लिए कहों कि पूरे दलित समाज को आगे आना चाहिए। पुलिस का सहयोग करना चाहिए। फिर एक दो बिके बिकाए लोगों के साक्षात्कार दिखाओ। बात पक्की कर दो।

जो तलवार से बच गए उनके लिए यह रास्ता ठीक रहेगा। तुम तो इसके अभ्यस्त रहे हो। राष्ट्र निर्माण अपनी प्रिय भूमिका निभाने का समय है। देश में बदलाव की केवल बातें ही न हों वह ज़मीन पर दिखाई भी देना चाहिए। बस दिखा दो कि कोई भी बदलाव तुम्हारे बिना सम्भव नहीं है।