जन्म शताब्दी पर गांव में याद किए गए फणीश्वर नाथ 'रेणु'
जन्म शताब्दी पर गांव में याद किए गए फणीश्वर नाथ 'रेणु'

Phanishwar Nath 'Renu' remembered in the village on birth centenary
05 मार्च 2021. पद्मश्री फणीश्वर नाथ 'रेणु' के जन्म शताब्दी वर्ष (Birth centenary year of Padmashree Phanishwar Nath 'Renu') पर भागलपुर के बिक्रमपुर गांव में साहित्यक चर्चा एवं कवि सम्मेलन काफी धूम-धाम से मनाया गया।
गांव की अभिव्यक्ति की स्याही है फणीश्वरनाथ रेणु की कलम में
कार्यक्रम संयोजक सोशलिस्ट नेता गौतम कुमार प्रीतम ने कहा कि फणीश्वरनाथ रेणु की कलम में गांव की अभिव्यक्ति की स्याही है। जिससे सिर्फ पन्नों पर ही नहीं वरन लोगों के दिलो—दिमाग पर उकेरने का काम किया है। अंगिका भाषा के इस सोंधी सुगंध का विराट रूप का केन्द्र फणीश्वर नाथ रेणु हैं। रेणु जी ने गाँव के नौजवानों को "हिरामन" कहा, जिसके अंदर असीम संवेदना है और अपनी संवेदना को प्रकट करने के लिए सिर्फ शब्दों का ही नहीं बल्कि अपने अभिनय से बात को कह देने की भी कला है। पात्र कहीं नाराज़गी व्यक्त करता है, तो कहीं वह अपने साथी बैल को ही मन की बात कहकर संतुष्ट हो जाता है। रेणु ने अंगिका भाषा अर्थात मातृ भाषा का सम्मान बहुत ही नम्र और मज़बूती के साथ साहित्य भंडार तक लाने का कार्य किया है।
फणीश्वर नाथ रेणु को अपना इष्ट मानने वाले या यूं कहें "रेणु" को जीने वाले अंगिका के मूर्धन्य कवि भगवान प्रलय ने कहा कि रेणु जी ने जो कार्य किए वह अनमोल है, लेकिन उसके आगे रेणु जी जहां जाना चाहते थे, जो कार्य उनका अधूरा रह गया है, उसे हम आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।
डॉ. अंजनी विशू ने कहा कि रेणु एक क्रांतिकारी लेखक थे। इन्होंने अन्याय-उत्पीड़न के खिलाफ पद्मश्री पदक लौटाकर एक युगांतकारी फ़ैसला लिया था। ये भले सोशलिस्ट पार्टी से विधायक चुनाव में चुनाव हारे, लेकिन आजीवन संघर्षरत रहे। चाहे भारत का मामला हो या नेपाल का, रेणु जी आज हम-सब के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
अवसर पर प्रलय जी द्वारा रचित महुआ घटवारिन काव्य ग्रंथ की कुछ पंक्तियों को सुनाया गया, "कंङना रसैं-रसैं झूनूर-झूनूर बोलै" सहित दर्जनों कविता पाठ किए।
विजेता मुद्गलपुरी ने एक गंभीर हास्य कविता को सुनाकर दर्शकों से वाह-वही ली... "ई हो उमर छरपना काका बेलगट तीन महला सेऽ फायन गेलैऽ"
साथी सुरेश सूर्य ने रेणु जी को याद करते हुए कहा कि आज सामने उभर रहा यह सबसे जटील सवाल है, गाँधी-गौतम की धरती क्यों आज लहू से लाल है।
ऊर्दू के शायर इकराम हुसैन साद ने भाई—चारे का पैगाम देते हुए तथा सत्ता की साजिश पर निशाना साधते हुए अपनी रचना से दर्शकों से तालियाँ बटोरी।
कार्यक्रम की शुरुआत फीता कटकर किया गया। मंच की अध्यक्षता समाजसेवी मनोज लाल ने किया जबकि संचालन कवि अरूण अंजाना ने किया।
इस मौके पर मनोज माही, कुमार गौरव, विनय दर्शन, मनोज कुमार, हर्षत कुमार, सोनू कुमार व धनंजय सुमन ने अपनी अंगिका और हिंदी कविताओं से दर्शकों को बांधे रखा।
अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे समाजसेवी मनोज लाल व संयोजक गौतम कुमार प्रीतम ने सभी कविगण व कार्यकर्ता साथी को अंगवस्त्र व कलम देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में बिपिन कुमार, राहुल कुमार 1, राहुल कुमार 2, अशोक मंडल, बीरेन्द्र महतो, राजा कुमार, शंकर महतो, गोलू, अभिषेक, दीपक, ब्रजेश, पुलिस महतो, सहित ग्रामीणों का सहयोग रहा।


