जब कार्यपालिका फेल हो जाती है, न्यायपालिका तभी दखल देती है-चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर
जब कार्यपालिका फेल हो जाती है, न्यायपालिका तभी दखल देती है-चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर
हमारा इरादा किसी के अधिकार क्षेत्र में दखल देना नहीं : न्यायमूर्ति ठाकुर
नयी दिल्ली 06 जून। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने के विधायिका के आरोपों को खारिज करते हुए आज कहा कि न्यायालय का इरादा किसी भी संस्था के अधिकार क्षेत्र में दखल देना नहीं है।
एक एजेंसी की खबर के मुताबिक न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि आम आदमी सरकारी मशीनरी से मायूस होकर ही अदालत का रुख करता है और उस वक्त शीर्ष अदालत को संविधान-प्रदत्त न्यायिक धर्म निभाना पड़ता है।
एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “हुकूमत का काम अपने हाथों में लेने या उसकी नीति-रीति में हस्तक्षेप करने का हमारा कोई इरादा नहीं रहता, लेकिन संविधान या कानून के मुताबिक कोई काम न होने की स्थिति में हमें हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि अदालतें केवल अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी अदा करती हैं. अगर सरकार अपना काम करेगी तो इसकी जरूरत नहीं होगी।
कार्यपालिका और न्यायपालिका में रस्साकशी के बीच सीजेआई ने कहा कि अगर सरकारी एजेंसियों की ओर से अनदेखी और नाकामी रहती है तो न्यायपालिका निश्चित रूप से अपनी भूमिका अदा करेगी। सरकार बेहतर काम करे तो दखल की जरूरत नहीं।
सरकारी कामकाज में कथित न्यायिक हस्तक्षेप के संबंध में वित्त मंत्री अरुण जेटली के हालिया बयान के बारे में सीजेआई ठाकुर ने कहा कि हम केवल संविधान से निर्देशित अपने पद से जुड़े कर्तव्यों को पूरा करते हैं.
न्यायमूर्ति ठाकुर के इस वक्तव्य को सरकार की तरफ से न्यायपालिका पर हो रहे जुबानी हमलों का प्रत्युत्तर माना जा रहा है। उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार को गिराने का केंद्र सरकार का कदम न्यायपालिका की सक्रियता से विफल हो गया था, उसके बाद सरकार की ओर से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने न्यायपालिका पर जुबानी हमला बोला था। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और रक्षा मंत्री भी न्यायपालिका की आलोचना कर चुके हैं।


