जम्हूरियत के इंतकाल के जश्न में शरीक होंगे अमेरिकी अश्वेत राष्ट्रपति
जम्हूरियत के इंतकाल के जश्न में शरीक होंगे अमेरिकी अश्वेत राष्ट्रपति
बाराक ओबामा के समर्थन में दुनिया भर के अश्वेत अछूत लोगों ने रंगभेद को पराजित करने और मार्टिन लूथर किंग के सपने को साकार करने के लिए इंटरनेट पर मुहिम चलायी थी। उनके पहले अश्वेत राष्ट्रपति निर्वाचित होने के पीछे उस समर्थन का बड़ा हाथ रहा है, जिसने अमेरिका की सामाजिक और उत्पादक शक्तियों की गोलबंदी तेज की थी। तब हमने ओबामा के समर्थन में अपने ब्लागों में विजेट लगाये थे और इन्हीं ब्लागों के जरिये हमने भी उनका धुआँधार प्रचार किया था।
आज दूसरे दफा के राष्ट्रपतित्व में वे नये सिरे से दक्षिण एशिया के सर जमीं से तेल युद्ध शुरु करने आ रहे हैं।
वे आ रहे हैं टूटते हुए डालर और टूट रहे अमेरिका का बोझ हमारे मत्थे पर डालने के लिए।
वे आ रहे हैं फिलीस्तीनी जनता के साथ दुनिया भर के विकासशील देशों और अविकसित देशों मं अपने आर्थिक उपनिवेशों में अमेरिकी कंपनियों के हितों को मजबूत करने के लिए।
उनके आने की तैयारी में भारत ने इजराइल के पक्ष में अपने इतिहास और राजनय के विरुद्ध फलीस्तीन और मध्यएशिया के खिलाफ वैसे ही युद्ध घोषणा की है, जैसे उसने भोपाल गैस त्रासदी, सिखों के नरसंहार, बाबरी विध्वंस और गुजरात नरसंहार जैसे कारनामों के मध्य हिंदू साम्राज्यवाद के पुनरूत्थान की आधार शिला रखते हुए सौ फीसद हिंदू राष्ट्र का अश्वमेध अभियान शुरु किया है।
संघ परिवार के झारखंड विजय का मतलब है कि आदिवासी बहुल झारखंड का मुख्यमंत्री अब गैर आदिवासी होगा। इसी तरह अमित शाह के बंग विजय का मतलब है कि गैर बंगाली कोई स्वयंसेवक बंगाल की बागडोर साधेंगे।
हिंदू ह्रदय के असली सम्राट खुदै अमित शाह हो सकते हैं या बंगाल में भूमिगत रही किसी मृतात्मा का चेहरा। इन मृतात्माओं को उनकी कब्र से निकालकर जन पद जनपद में देशभर में छुट्टा छोड़ दिया गया है।
अमित शाह ही हिंदू ह्रदय के असली चक्रवर्ती सम्राट हैं जो किसी विदेशी हमलावर की तरह भारत की सरजमीं और हमारे दिलोदिमाग को बेरहमी से कुचलकर आदिम व जीत का जश्न मना रहे हैं।
सभ्यता और संस्कृति के विरुद्ध,
जल जमीन जंगल के विरुद्ध,
हवाओं और पानियों के विरुद्ध,
नौकरियों और आजीविका के विरुद्ध,
नागरिकता और नागरिको के विरुद्ध,
संविधान और गणतंत्र के विरुद्ध,
नागरिक और मानवाधिकारों के विरुद्ध,
प्रकृति और पर्यावरण के विरुद्ध,
इंसानियत के खिलाफ
उस जश्न में शरीक होने
नस्ली रंगभेद का जयपताका फहराने
अबकी दफा भारत आ रहे हैं
रंगभेद जीतकर दो-दो बार
अमेरिका के राष्ट्रपति बनकर
नया इतिहास रचने वाले
अश्वेत अमेरिकी राष्ट्रपति
बाराक हुसैन ओबामा।
बाराक ओबामा धर्मांतरण अश्वमेध को तेज करने भारत आ रहे हैं और जम्हूरियत के इंतकाल के जश्न में शरीक होंगे।
बाहरी और घुसपैठिया बताकर जो घरवापसी का संघ परिवार का एजेंडा शत प्रतिशत हिंदू आबादी का है, वह दरअसल गैर नस्ली भारतीय नागिकों के सफाये का अभियान है।
और विडंबना यह है रंगभेद को जीतकर दो-दो बार अमेरिका का अश्वेत राष्ट्रपति बने बाराक ओबामा अमेरिकी और इजराइली हितों के मद्देनजर अपनी भारत यात्रा हरगिज खारिज करने वाले नहीं हैं।
गौर करें कि सौ फीसद हिंदुत्व का यह अश्वमेध राजसूय सिर्फ ईसाइयों और मुसलमानों या सिर्फ पूर्वी बंगाल के अनार्य हिंदू विभाजन पीड़ित शरणार्थियों के खिलाफ नहीं है, देश भर के आदिवासी भूगोल में दौड़ते अश्वमेध के घोड़े बता रहे हैं कि इस जन्नत की हकीकत आखिर क्या है।
संसद के शीतकालीन सत्र में एकमुशत 1382 कानून न्यूनतम राजकाजे के वास्ते हलाक कर दिये गए। कौन से कानून, कैसे कानून किसी को अता-पता नहीं है। अपने बिलियनर मिलियनर सांसदों और मंत्रियों को भी नहीं। शायद अमित शाह और प्रधानमंत्री को भी नहीं मालूम। साध्वी के बयान के खिलाफ नूरा कुश्ती के मध्य यह कमाल हुआ।
फिर ओबामा के आने से पहले सारे के सारे सुधार लागू करने और गिर रहे तेल मूल्यों को आसमान तक पहुंचाने की मुहिम को अमली जामा पहुंचाने के लिए अध्यादेश राज कायम हो गया है, संसद का शीतकालीन अधिवेशन खत्म होते न होते।
बीमा अध्यादेश लागू हो चुका है।
कोयला अध्यादेश लागू होना है।
जो जो कानून संसद में पास नहीं हुए, वे सारे अध्यादेश लागू हो जायेंगे और एनेस्थेसिया के बंदोबस्त के तहत नाना प्रकार की घटनाएं, दुर्घटनाएं और आपदायें रचकर वे कब कानून की शक्ल में मृतात्माओं के हाथों हमारा गला घोंट देंगी, इस भूतबांग्ला देश के तबाह जनपदों के भूगोल में किसी को कानोंकान खबर नहीं होगी।
अपने कर्नल साहेब यानी सिद्धार्थ बर्वे सेना की सेवा से मुक्त हो गये हैं पिछले 23 दिसंबर को। हम तो उनकी उम्र के लिहाज से सोच रहे थे और उम्मीद कर रहे थे कि वे पहले ब्रिगेडियर बनेंगे, फिर मेजर जनरल। हम तब कह सकेंगे कि कोई मेजर जनरल भी हमारे मित्र हैं। ऐसा नहीं हो पाया मलाल है।
सेना की सेवा से मुक्त होते ही कर्नल साहेब ने मुंबई में भाभी के हवाले होने के तुरंत बाद जो ईमेल किया है, वह गौरतलब हैः
PSU banks write off over Rs 1.06 lakh crore in last 5 years
The amount of bad loans written off or restructured by the PSU banks has more than doubled in the last three years ending March 2014 to Rs 42,447 crore.
The rise in bad loans is being attributed to slowdown in the economy which slipped to below 5 per cent in the two consecutive financial years — 2012-13 and 2013-14.
The loans written off/compromised by PSU banks soared from Rs 20,752 crore in 2011-12 to Rs 32,992 crore in 2012-13 and further to Rs 42,447 crore in 2013-14.
With Regards,
LT COL SIDDARTH BARVE
जाहिर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति भारत में विधर्मियों के सफाये और उसके साथ ही आदिवासी भूगोल में देशव्यापी सलवाजुड़ुम के इस दुस्समय में भारत में गणतंत्र का उत्सव नहीं मनाने आ रहे हैं।
हमने रंगभेद के खिलाफ अमेरिका का इतिहास और बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति उनके कहे का हवाला देकर ओबामा महाशय से इस नरसंहार के राजसूय में शामिल होने से इंकार करने के लिए निवेदन किया है।
आप भी लिखें खत ओबामा को तुरंत।
जो अंग्रेजी में नहीं लिख सकते और लिखना जरूर चाहते हैं, जो मुझे अब तक साथ देते रहे हैं। जिनका समर्थन मुझे हैं देश भर में, उन साथियों से निवेदन है कि “हस्तक्षेप” पर मेरा खत सजा है।
http://www.hastakshep.com/oldenglish/opinion/2014/12/23/should-obama-cancel-his-visit-to-india-he-would-not
O- पलाश विश्वास


