जानिए मगरमच्छ और घड़ियाल के आंसू क्यों झूठे होते हैं ?
मगरमच्छ और घड़ियाल के आंसू क्यों झूठे होते हैं ? जानिए कैसे निकलते हैं घड़ियाल या मगरमच्छ के आंसू? मगरमच्छों के हमले में मारे गए थे जापानी सैनिक

कैसे निकलते हैं घड़ियाल या मगरमच्छ के आंसू
घड़ियाल मगरमच्छऔर उनके आंसू...!
० रोते नहीं हैं कच्चा चबाते हुये मुंह में हवा भरते हैं तब आंखों से पानी बहता है।
० मगरमच्छों के हमले में मारे गए थे जापानी सैनिक
० दि ग्रेटेस्ट डिसास्टर सफर्ड फ्रॉम एनिमल्स
आइये आज घड़ियाल या मगरमच्छ के आंसू पर थोड़ी बात करते हैं।
दरअसल धरती पर पाए जाने वाले घड़ियाल और मगरमच्छ अर्ध-जलीय जीव (semi aquatic creatures) होते हैं। आमतौर पर एक से समझे जाने वाले ये जीव वास्तव में दो अलग जीववैज्ञानिक परिवार से सम्बंधित होते हैं। माना जाता है कि ये जीव डायनासोर के समय से धरती पर पाए जाते हैं।
निष्ठुर जीव घड़ियाल के बारे में जानकारी
घड़ियाल का वैज्ञानिक नाम एवं अन्य वर्गीकरण संबंधी जानकारी
घड़ियाल एक कोल्ड ब्लडेड प्राणी होता है।
घड़ियाल का जैव वैज्ञानिक नाम (biological name of crocodile) 'गैवियलिस गैंजेटिकस' होता है। यह जीवित मगरमच्छों में सबसे लम्बा होता है।
यह खाते समय बहुत सारी हवा अंदर लेता है। यह हवा अंदर लेक्रिमल ग्लैंड्स पर दवाब डालती है जिससे आंखों से स्राव होता है जिसे घड़ियाल के आंसू कहा जाता है। लेकिन वास्तव में वह रोता नहीं है।
यह बहुत निष्ठुर जीव होता है।
मगरमच्छ के बारे में जानकारी
मगरमच्छ भी घड़ियाल की तरह ही रेप्टाइल है। यह रेप्टिलिया वर्ग के सबसे बड़े जीवों में से एक जीव है।
यह भी 'कोल्ड ब्लडेड' जीव होता है।
खाना खाते समय इसके भी आंसू निकलते हैं लेकिन असल में यह भी रोता नहीं है।
० मगरमच्छों के हमले में मारे गए थे 400 जापानी सैनिक
दुनिया के इतिहास में इंसानों पर मगरमच्छों का सबसे बड़ा हमला दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुआ था।
19 फ़रवरी 1945 को रामरी द्वीप की लड़ाई में जब जापानी सैनिक लौट रहे थे, उस समय खारे पानी के मगरमच्छों ने उन पर हमला किया। इस हमले में 400 जापानी सैनिकों की मौत हो गयी।
दरअसल ब्रिटिश सैनिकों ने उस इलाके में दलदल को घेर लिया था जहां से जापानी लौट रहे थे। एक रात के लिए जापानियों को उस मैंग्रोव में रुकना पड़ा, जहां हजारों की संख्या में खारे पानी के मगरमच्छ रहते थे। रात में मगरमच्छों ने हमला कर दिया।
रामरी के मगरमच्छ के इस हमले को गिनीज़ बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है।
इसका शीर्षक है "द ग्रेटेस्ट डिसास्टर सफर्ड फ्रॉम एनिमल्स".
डॉ राकेश पाठक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
How do crocodile tears come out?


