#सर्जिकलस्ट्राईक बनाम #खूनकीदलाली
मनोज शर्मा
आजकल भारत में दो ही मुददे गर्म हैं। एक तो सर्जिकल स्ट्राईक और दूसरा राहुल गांधी का खून की दलाली वाला बयान।
पर दोनों मुददों को एक बार तटस्थ नजर से देखना आवश्यक है। लेकिन यही काम हमारे देश में नहीं होता है।
दुनिया के सबसे बड़े इस लोकतांत्रिक जंगल में गधे के अलावा कोई दूसरा प्राणी नहीं रहता और जो गधा होने से इंकार करते हुए अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग कर सवाल करने का प्रयास करता है, वह इस देश में देशद्रोही है।
तो चलो देशद्रोही की नजर से ही एक बार देखने का प्रयास करते हैं कि सच्चाई क्या वही है, जो दिखायी जा रही है या पर्दे के पीछे कहानी और है।
विश्व के इस सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के सबसे बड़े प्रदेश में चुनाव आने वाला है और मुददा किसी भी पार्टी के पास नही है, खासकर भाजपा के पास। राम मंदिर की हंडिया पक कर चटक चुकी है, विकास पुरूष ने अच्छे दिन का सपना दिखाकर लोकसभा चुनाव में 73 सीट तो जीत ली, पर इन दो सालों में जनता ने विकास भी देख लिया। दादरी और मवाना के जरिये हिन्दू मुस्लिम कार्ड खेलने का प्रयास अवश्य किया गया, पर लगा कि पत्ते पिट गये, तो कश्मीर सुलगा दिया, कि इसी बहाने शायद हिन्दू मुस्लिम की कहानी चल जाये। लेकिन जब वो भी उल्टा पड़ गया और बंसल के सुसाईड नोट में अमित शाह का नाम आया, जबकि लोग पहले से ही 15 लाख का ताना दे रहे थे कि अचानक ये सर्जिकल स्ट्राईक हो गया।
सच कहना क्या किसी ने 6 अक्टूबर के अखबार के मुख्य पृष्ठ पर ये खबर पढ़ी कि देश में बेरोजगारी अपनी अधिकतम स्तर पर पहुंची।
हम भारतीयों को अंग्रेज इमोशनल डॉग कहते थे, हम भावनाओं में बहकर सब कुछ भूल जाते हैं। हम देशभक्ति से ओत-प्रोत हो गये, कुछ सुनने और देखने को तैयार नहीं थे।
ऐसा नहीं है कि मुझे देश की सेना की काबिलियत और नीयत पर किसी प्रकार का शक है या मुझे इस सर्जिकल स्ट्राईक से खुशी नही हुई, पर जिस तरह से इस सर्जिकल स्ट्राईक के बाद भाजपाई मोदी को मजबूत प्रधानमंत्री बताते हुए जमीन आसमान एक कर रहे थे, वो अखर रहा था।
अब जबकि आपरेशन जिंजर की पुष्टि हो चुकी है, तो शायद अब सबूत मांगने की बारी भाजपा की है, पर वो किस मुंह से मांगे, उन्होंने ही कौन सा सबूत दे दिये थे। दोनों ही ऑपरेशन सेना के हैं और यदि हम सर्जिकल स्ट्राईक को सही मान रहे हैं, तो आपरेशन जिंजर पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नही है।
अब मुददा ये उठता है कि यदि आपरेशन जिंजर हुआ था, तो मनमोहन सिंह क्यों चुप थे? क्यों उन्होंने पूरी दुनिया में डंका नही पीटा अपनी मर्दानगी का? क्योकि वो एक कमजोर प्रधानमंत्री थे, उन्होंने जिंजर ऑपरेशन भी किया, पाकिस्तान के साथ व्यापार भी किया और बातचीत भी चलती रही और यू.एन. में पाकिस्तान को भी घेरा।

अब देखें जरा देश के सबसे मजबूत प्रधानमंत्री ने क्या किया।
सबसे मजबूत प्रधानमंत्री ने पूरी दुनिया को बताया कि भारत ने एल.ओ.सी. पार की है और शिमला समझौते को तोड़ा है। पाकिस्तान से व्यापार भी बंद किया, बातचीत भी खत्म और लालकिले की प्राचीर से ब्लूचिस्तान का नाम लेकर पाकिस्तान की 60 सालों के सभी बयानों की पुष्टि कर दी कि भारत ब्लूचिस्तान और सिंध में रूचि ले रहा है। जैसे भारत में हर आंतकवादी गतिविधि के पीछे आई.एस.आई. का नाम लेने की रवायत है, वैसे ही पाकिस्तान में भी हर धमाके के पीछे रॉ का नाम लिया जाता है।

जो काम पाकिस्तान खुद नहीं कर पाया, वो मोदीजी ने कर दिया
अब तक पाकिस्तान भारत के ब्लूच और सिंध प्रांत में हस्तक्षेप को लाख चाहकर भी यू.एन. में स्थापित नहीं कर पा रहा था, वो काम मोदी जी ने लाल किले से कर दिया।
यू.एन. में बोलते हुए अभी सुषमा स्वराज जी ने पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में मानवाधिकार के हनन के सवाल का जवाब देते हुए वक्त फिल्म का डायलॉग ‘‘जिनके खुद के घर शीशे के बने हों, वो दूसरों पर पत्थर नही फेंका करते‘‘ बोल कर भले ही कितनी तालियां बटोरी हों। परन्तु सोच कर बताना क्या सुषमा जी ने इस बयान से अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान के कथन की पुष्टि नहीं कर दी?
पाकिस्तान सिर्फ इसलिए कश्मीर में हो रहे मानवाधिकारों के हनन के बारे में न बोले क्योंकि वो ब्लूचिस्तान में भी यही काम कर रहा है, यदि नहीं कर रहा होता, तो वह बोल सकता था। मतलब साफ है कि हमने यहां भी पाकिस्तान के कथनों की पुष्टि ही की है।

कौन है मजबूत प्रधानमंत्री
अब विश्लेषण कीजिए कि कौन सा प्रधानमंत्री कमजोर है और मुझे उस मुददे को बताईये, जो इन मजबूत प्रधानमंत्री ने चुनाव से पहले हर मंच पर किया था और पूरा कर दिया हो, भले ही वह काला धन हो या बेरोजगारी, शिक्षा हो या मंहगाई।
शौचालय बनवाने से कुछ नहीं होगा। शौचालय जाने के लिए उस गरीब के पेट में खाना तो पहुंचाईये। हर घर मे गैस तो पहुंचा रहे हैं, पर उस गैस पर पकाने के लिए गरीब कुछ खरीद सके, इसका भी इंतजाम आपको ही करना है।
अब जब उत्तर प्रदेश आपसे हिसाब मांगने वाला था, तो ये सेना की शहादत पर अपना सीना चौड़ा करना।

अब आप की तय करें कि ये सेना के जवानों के खून की दलाली नहीं तो क्या है।

मोदी जी आपके सर्जिकल स्ट्राईक की पुष्टि अभी तक भाजपा के अलावा किसी ने भी नहीं की, किन्तु मनमोहन सिंह के ऑपरेशन की पुष्टि को विश्व की जानी मानी न्यूज एजेंसी ने कर दी है।
अब मोदी जी आपका साईबर सेल राहुल गांधी के बारे में जो चाहे कहे, पर मैं खून की दलाली वाले बयान पर राहुल गांधी के साथ दृढता से खड़ा हूं और खड़ा रहूंगा।
आईये मोदी जी इस बार उत्तर प्रदेश में आपका स्वागत है, क्योटो (वाराणसी) की सड़कें आपकी राह में पलकें बिछाये इंतजार कर रही हैं और गंगा मां आपको बुला रही है।

लगे हाथों ये भी बता दीजिएगा कि कितने लाख करोड़ का हवाई पैकेज देने वाले हैं इस बार उत्तर प्रदेश को बिहार की तरह।
असग़र मकबूल जी से छेड़खानी के लिए क्षमा चाहूंगा। पर शायद उनकी इन पंक्तियों के बिना बात अधूरी रह जाती।
वो जो नेता कम मदारी बहुत है,
सस्ती शोहरत का वो पुजारी बहुत है।
जनता के दर्द का अहसास नहीं है,
पर इसे तकरीर करने की बीमारी बहुत है।
वो अपने आप को न जाने क्या समझ बैठा,
जिसके अपने पहलू में दाग बहुत हैं।
मेरा कलाम सिर्फ समझदार समझते हैं।
सुनो मियां मेरी शायरी में आईने बहुत है।