उनसे कह दो, गुजरे हुए गवाहों से- झूठ तो बोले, मगर झूठ का सौदा न करे
===== जिसे संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी में बनने वाला पहला मंदिर बताकर सरकार द्वारा प्रचारित किया जा रहा है इस ऐतिहासिक फैसले के लिए मोदी ने यूएई सरकार का शुक्रिया अदा किया, बताया जा रहा है कि इस मंदिर के लिए जमीन तो वर्ष 2013 में ही एक अरब शेख ने दान दी थी।

टाइम्स ऑफ इंडिया की 9 जुलाई 2013 की खबर के अनुसार, एक निवेश कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नाज़ेम-अल-कुदसी के निमंत्रण पर स्वामीनारायण संप्रदाय मंदिर के अधिकारियों ने अबूधाबी का दौरा भी किया था।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया था, ‘भारतीय समुदाय की लंबी प्रतीक्षा खत्म हुई। प्रधानमंत्री की यात्रा पर यूएई सरकार ने अबू धाबी में एक मंदिर बनाने के लिए जमीन आबंटित करने का फैसला किया।’ उन्होंने लिखा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक फैसले के लिए यूएई नेतृत्व का शुक्रिया अदा किया।’

दुबई में शिव और कृष्ण मंदिर के अलावा अक्षरधाम की स्वामीनारायण संस्था का सत्संग भवन, गुरुद्वारा और गिरजाघर भी हैं।
दुबई का पहला हिंदू मंदिर 1958 में बना था और यह एक मस्जिद के निकट है।
देश में झूठ, विदेश में झूठ, चुनाव में झूठ शायद नागपुर मुख्यालय की यही आदर्श और नैतिकता है।
दुबई में मंदिर जमीन को लेकर सोशल मीडिया में भक्तों द्वारा तरह-तरह की कहानियाँ लिखी जा रही हैं। जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है।

झूठाधिपति दुबई में भी जाकर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति बता आये हैं।

वहीँ, जेडीयू नेता के. सी. त्यागी ने कहा है कि कल देर रात तक वो दुबई में थे, आत्मा उनकी बिहार में पड़ी हुई थी और वो दुबई से बिहार के मतदाताओं को राजनीतिक रिश्वत देने के लिए आरा पहुंचे। चुनाव में तरह-तरह की अफवाहों और झूठ बोले गए जिनका वास्तविकता से कोई मतलब ही नहीं था। बिहार में चुनाव शुरू हो रहे हैं सवा लाख करोड़ रुपये का विशेष पैकेज देने की बात शुरू कर दी जबकि यह पैकेज कहाँ और कैसे खर्च होगा उसका कोई प्लान भारत सरकार के पास नहीं है। बस काम चल रहा है किसी तरह से। सरकार चल रही है किसी तरह से।

रणधीर सिंह सुमन