डिजिटल भारत सोता रहा/ गुड़िया इन्साफ मांग रही है… और महामहिम खुशियाँ मना रहा है
डिजिटल भारत सोता रहा/ गुड़िया इन्साफ मांग रही है… और महामहिम खुशियाँ मना रहा है

एक लड़की स्कूल से लौट रही थी !
हँसते खेलते उसके कदम आंगे बढ़ रहे थे
वो बेखबर आंगे बढ़ती जा रही थी
कुछ दूरी पर एक चमचमाती कार रुकी,
जिसमें से इंसान रूपी 6 जानवर झांक रहे थे
गुड़िया गुड़िया कह कर आवाज दी
भईया समझकर वो भी संग चल दी
उस मासूम को क्या पता था
भईया तो हवस में अँधा था, उसका मकसद
गुड़िया के जिस्म के साथ खेलना था
वो भईया भईया चीखती रही….
और जानवर उसके अंगों के साथ खेलते रहें
वो रोती - बिलखती रही….
और जानवर उसका बलात्कार करते रहे
वो दया की भीख मांगती रही
पर कमबख्तों ने....
उसकी साँसे भी उससे छीन ली
गुड़िया की आत्मा रोती रही….
और डिजिटल भारत सोता रहा
गुड़िया इन्साफ मांग रही है…
और महामहिम खुशियाँ मना रहा है
वाह रे लोकतंत्र ...
तू अब भी मुस्करा रहा है .....
नोट – साथियों उपर्युक्त कविता शिमला की मासूम गुड़िया को श्रद्धांजलि स्वरुप समर्पित है | साथियों, गुड़िया तो अब नहीं है पर क्या आप हैं ? क्या आप जिन्दा हैं ?? ...........


