त्यौहारों के समय विस्फोट करवा सकती है मोदी सरकार- रिहाई मंच
त्यौहारों के समय विस्फोट करवा सकती है मोदी सरकार- रिहाई मंच
अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए त्यौहारों के समय विस्फोट करवा सकती है मोदी सरकार- रिहाई मंच
भागवत और अजित डोभाल देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा- राजीव यादव
योगी को मुसलमानों की आबादी की चिंता करने के बजाए अपने असली पिता का नाम बताना चाहिए- अनिल यादव
लखनऊ, 2 अक्टूबर 2015। रिहाई मंच ने कहा है कि हर मोर्चे पर विफल हो चुकी मोदी सरकार त्यौहारों के वक्त संघ परिवार के आतंकियों और सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से आतंकी घटनाओं को अंजाम दे सकती है ताकि लोगों को एक बार फिर आतंकवाद का डर दिखा कर अपनी विफलता छुपाई जा सके।
मंच ने इसकी आशंका का एक आधार यह भी बताया है कि प्रधानमंत्री के विदेशी दौरे पर आतंकवाद खत्म करने सम्बंधी भाषण को पूरी दुनिया में एक मजाक की तरह लिया गया, क्योंकि खुद मोदी पर न सिर्फ आतंकवाद के नाम पर निर्दोषों को मारने का आरोप है, बल्कि असीमानंद जैसे आतंकी के साथ उनकी तस्वीर भी सोशल मीडिया पर काफी साझा की गई है। ऐसे में उन पर सवाल उठाने वालों को चुप कराने के लिए भी वो विस्फोट करा सकते हैं।
मंच ने कहा है कि मुसलमानों की सुरक्षा की गारंटी कर पाने में पूरी तरह विफल हो चुकी सरकार से मुसलमानों को आत्मरक्षा के लिए हथियार उपलब्ध कराने और उनके साथ होने वाले भेदभाव को रोकने के लिए दलित ऐक्ट की तरह माइनारिटी ऐक्ट बनाने के सवाल पर लोगों के बीच संवाद आयोजित करवा रही है।
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के नेता राजीव यादव ने कहा है कि जिस तरह त्यौहारों से ठीक पहले अखबारों में कथित सूत्रों के जरिए भारतीय सेना द्वारा तीस आतंकवादियों के पाकिस्तान पार से कश्मीर में घुस आने और भारतीय नौसेना द्वारा पंद्रह आतंकियों के सर क्रीक स्थिति हरामी नाले से भारत में घुस आने की खबरें परोसी जा रही हैं वह संदेह पैदा करता है कि कहीं भारतीय सुरक्षा एजेंसियां आतंकवाद का माहौल बनाने के लिए किसी बड़े ‘कैपेबिलिटी डेमोंस्ट्रेशन‘ की तैयारी तो नहीं कर रही हैं।
रिहाई मंच नेता ने कहा कि आखिर यह कैसे सम्भव हो जाता है कि हमारी सेनाओं और खुफिया एजेंसियों को हर साल हिंदू त्यौहारों के वक्त पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों की संख्या तक पता चल जाती है। उन्होंने कहा कि हिंदू त्यौहारों के वक्त हिंदुओं को डराने और सरकार की विफलताओं को छुपाने के लिए इस तरह की खबरें न सिर्फ प्रसारित करवाई जाती हैं बल्कि उसे सच साबित करने के लिए विस्फोट करवाकर बेगुनाह लोगों को मौत के घाट भी उतार दिया जाता है, जिसमें मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संघ परिवार और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल पारंगत हैं।
राजीव यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अगर अपने देख-रेख में पिछले सालों में हिंदू त्यौहारों और राष्ट्रीय त्यौहारों 15 अगस्त और 26 जनवरी के आस पास हुए कथित आतंकी हमलों की जांच संघ परिवार और सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों को जांच के दायरे में रख कर कराए तो आतंकवाद के रहस्य से पर्दा उठ जाएगा। उन्होंने कहा कि इस देश में आतंकवाद शुरू से ही सरकारों द्वारा अपनी विफलता छुपाने का बहाना रहा है और सरकारें खुद आतंकी विस्फोटों में अपने ही शहरियों की हत्याएं करवाती रही हैं। अब सत्ता में आ जाने के बाद केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज को जयपुर में हुए विस्फोटों की जांच करानी चाहिए जिसके बारे में उन्होंने 31 जुलाई 2008 को बयान दिया था कि इसे यूपीए सरकार ने ‘वोट के बदले नोट’ मामले से जनता का ध्यान हटाने के लिए करवाया था।
रिहाई मंच नेता ने संघ प्रमुख मोहन भागवत और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी समस्या बताते हुए त्यौहारों के दौरान लोगों से सतर्क रहने की अपील करते हुए कहा कि भारत को पाकिस्तान से आने वाले सौ-पचास आतंकियों से ज्यादा खतरा हजारों की तादाद में मौजूद संघ परिवार के कार्यकर्ताओं से है जन्हें प्रशासन से लेकर न्यायपालिका तक का संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने कहा कि अजित डोभाल और मोदी देश में युद्धोन्माद फैलाने के लिए जनता को गुमराह कर रहे हैं कि भारतीय सेना ने म्यामार में घुस कर आतंकियों को मार दिया था। जबकि म्यांमार सरकार ने न सिर्फ इसका खंडन किया है बल्कि ऐसी किसी भी स्थिति में अपना विरोध दर्ज कराने की भी बात कही है।
रिहाई मंच नेता अनिल यादव ने एक अग्रेजी दैनिक में पूर्व केंद्रीय गृहसचिव और सांसद आरके सिंह के बयान कि उनके कार्यकाल में कई बार उनके विभाग ने सनातन संस्था को प्रतिबंधित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार से सबूत उपलब्ध कराने को कहा, लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने ऐसा नहीं किया, साबित करता है कि कांग्रेस हिंदुत्ववादी संगठनों को किस तरह पोषित करती है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के गृहमंत्री पी चिदम्बरम और सुशील कुमार शिंदे को यह बताना चाहिए कि उन्हें यह उपयुक्त क्यों नहीं लगा कि वे इस संस्था को यूएपीए की सेक्शन 35 (3)(सी) दायरे में लाते हुए उसे पाबंद करते। जबिक कई आतंकी घटनाओं में इस संगठन के खिलाफ पुलिस को सुबूत मिल चुके थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह आरके सिंह ने सनातन संस्था को प्रतिबंधित नहीं करने के पीछे पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के इस सोच का हवाला दिया है कि वे यह मानते थे कि सनातन संस्था से जुड़े किसी व्यक्ति ने कोई घटना व्यक्तिगत स्तर पर अंजाम दिया हो सकता है, लेकिन उसमें खुद संगठन भी लिप्त है ऐसे सबूत नहीं हैं, उस पर शिंदे से अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।
रिहाई मंच नेता ने कहा कि आतंक के किसी भी मुस्लिम आरोपी को तुरंत सिमी से जोड़ कर उसे एक बड़े आतंकी संगठन के सदस्य के होने के बतौर मुकदमा लिखा जाता है जबकि सिमी पिछले 14 सालों से प्रतिबंधित है। लेकिन किसी हिंदुत्ववादी आतंकी को उसके संगठन के बजाए सिर्फ उसे एक व्यक्ति के बतौर कोर्ट में प्रस्तुत किया जाता है, जो साबित करता है कि हिंदुत्ववादी आतंकवाद को खुद अपने वक्त में कांग्रेस सरकार ने प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को संघ परिवार की साम्प्रदायिक राजनीति पर बोलने से पहले खुद बताना चाहिए कि उनकी सरकारों ने संघ परिवार से जुड़े आतंकी समूहों को क्यों प्रश्रय दिया।
रिहाई मंच नेता ने कहा कि मुसलमानों की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने की मांग करने वाले योगी आदित्यनाथ को पहले अपने पिता का असली नाम बताना चाहिए क्योंकि जिस महंत अवैद्यनाथ को वह सरकारी वेबसाइटों पर और चुनाव आयोग में अपना पिता बताते फिर रहे हैं, उन्होंने कोई शादी ही नहीं की थी। उन्होंने कहा कि योगी की यह हरकत जनता और भारत सरकार को गुमराह करने वाली है, लिहाजा योगी को अपना डीएनए टेस्ट करा कर अपने पिता का असली नाम खुद भी जान लेना चाहिए और जनता को भी बताना चाहिए।


