त्रिपुरा : पत्रकार हत्या मामले में भाजपा के सहयोगी विधायक व दो अन्य पर मामला दर्ज

नई दिल्ली, 2 जुलाई। त्रिपुरा में पिछले साल हुई टीवी पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या (The murder of TV journalist Shantanu Bhowmick) के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक विधायक सहित तीन जनजातीय नेताओं पर मामला दर्ज किया है।

एक अधिकारी के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि 'इंडिजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा' (आईपीएफटी) के एक विधायक धीरेंद्र देबबर्मा और पार्टी के नेता बलराम देबबर्मा और अमित देबबर्मा पर मामला दर्ज किया गया है।

आईपीएफटी जनजातीय समुदाय की पार्टी है और मुख्यमंत्री बिप्लब देबबर्मा की अगुवाई वाली सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी है। 60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा में इसके आठ विधायक और दो कैबिनेट मंत्री हैं।

अगरतला से 25 किलोमीटर दूर मंदई में 20 सितंबर 2017 को शांतनु की हत्या कर दी गई थी। अलग आदिवासी राज्य की मांग को लेकर आईपीएफटी के प्रदर्शन को कवर करते समय शांतनु की धारदार हथियारों से हत्या कर दी गई थी।

पश्चिमी त्रिपुरा के रामचंद्र नगर जिले में स्थित त्रिपुरा स्टेट राइफल्स (टीएसआर) के मुख्यालय में एक स्थानीय अखबार के पत्रकार सुदीप दत्ता (50) की भी 21 नवंबर को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने इन दोनों हत्याओं की जांच के लिए दो विशेष जांच दल का गठन किया था।

भाजपा की अगुवाई वाली सरकार ने मई में उच्च न्यायालय को बताया था कि उसने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया है।

आईपीएफटी ने खबर को बताया अफवाह

हालांकि सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आईपीएफटी ने इस रिपोर्ट से इंकार कर दिया और कहा कि पार्टी का मानना है कि सीबीआई एक स्वतंत्र संगठन है और यह रिपोर्ट एक अफवाह है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगरतला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, आईपीएफटी महासचिव मंगल देव वर्मा ने कहा कि आईपीएफटी पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या मामले पर सीबीआई द्वारा जांच का स्वागत करती है। लेकिन यह अफवाह है कि कुछ आईपीएफटी नेता इस घटना से जुड़े हुए हैं।

मंगल देव वर्मा ने कहा कि इस तरह की अफवाह का जोरदार विरोध किया और सीबीआई द्वारा सच्चाई का पता लगाने और घटना में शामिल अपराधियों को अनुकरणीय सजा देने के लिए स्वतंत्र पूछताछ का दृढ़ता से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि लेकिन किसी भी मामले में आईपीएफटी नेताओं सहित निर्दोष आम जनता को परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

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