ये तमाम मन्दिर दलितों पर शोषण के लिए ही स्थापित किये गए हैं.............

दलितों को बाबा साहेब आम्बेडकर की तर्ज़ पर उस भगवान का ही बहिष्कार कर देना चाहिए, जो उन्हें अछूत बनाता हो

राजीव नयन बहुगुणा
देहरादून के जौनसार इलाके में दलितों के मन्दिर प्रवेश को लेकर जो हिंसा हुयी है, उसकी श्लाघा तो कोई नहीं कर सकता, लेकिन अभी यह साफ़ नहीं है कि इस प्रकरण में भाजपा सांसद तरुण विजय पर हमला हुआ है, या उनकी पिटाई हुयी है। हमला पूर्व नियोजित और संगठित तरीके से किया जाता है, जबकि पिटाई आकस्मिक और चिढ़ाये जाने के कारण होती है। मुझे दूसरी स्थिति के आसार अधिक लग रहे हैं। जौनसार के ख़ास मन्दिरों में दलितों के साथ भेद भाव की परम्परा कोई 4 साल पुरानी नहीं, अपितु सदियों से है। पाँच साल पूर्व जब प्रदेश में भाजपा सरकार थी, तब भी तरुण विजय या किसी अन्य भाजपाई के मन में दलितों के प्रति यह टीस उठी हो, ऐसा मेरी जानकारी में नहीं है। इस तरह मुझे पूर्ण विश्वास है कि यदि 2017 में प्रदेश में भाजपा सरकार बनी, तो यही मुद्दा लेकर कांग्रेसी वहां यही सब कुछ करते मिलेंगे।
राजनीतिक लोग किसी पवित्र उद्देश्य को भी अपनी राजनीतिक आकांक्षा के कारण दूषित कर देते हैं। सन् 50 से 60 के बीच उत्तराखण्ड के सर्वोदयी भी दलितों के मन्दिर प्रवेश का अभियान बगैर किसी हंगामे के, बड़े पैमाने पर चला चुके हैं, क्योंकि उनके इस कृत्य के पीछे कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं थी।
बहरहाल, मेरा मानना है कि दलितों को बाबा साहेब आम्बेडकर की तर्ज़ पर उस भगवान का ही बहिष्कार कर देना चाहिए, जो उन्हें अछूत बनाता हो। ये तमाम मन्दिर दलितों पर शोषण के लिए ही स्थापित किये गए हैं, फिर उनमें प्रवेश की कैसी ज़िद ?