दलित, शूद्र और औरतों का असली दुश्मन संघ का फर्जी धर्म है
दलित, शूद्र और औरतों का असली दुश्मन संघ का फर्जी धर्म है

संघ के धर्म संस्कृति और परम्पराओं के फर्जी ढोल की पोल खोलना ही सबसे बड़ी देश सेवा है
भारत की धर्म संस्कृति और महान परम्पराओं का बड़ा गर्व किया जाता है।
क्या भारत का कभी कोई एक धर्म था ?
क्या भारत की कभी कोई एक संस्कृति थी?
क्या भारत में एक जैसी परम्परायें थीं ?
नहीं।
भारत में कभी एक धर्म नहीं था।
हिन्दू धर्म के नाम पर संघ और भाजपा जो धर्म का पैकेट बेचने की कोशिश कर रहे हैं वह वाला हिन्दू धर्म कभी भारत का धर्म नहीं था
संघ के हिन्दू धर्म में वेद, राम, कृष्ण, ब्रह्मा विष्णु महेश, मूर्ति पूजा, मन्दिर शामिल हैं।
इस देश के ज़्यादातर शूद्र, दलित, आदिवासी, जो कि आबादी का 85% होते हैं, उन्होंने कभी वेदों को अपना धर्म ग्रन्थ नहीं माना।
इसलिये वेदों को भारत का आदि ग्रन्थ कहना असत्य है।
इसी तरह राम कृष्ण ब्रहमा विष्णु महेश का जिक्र तो खुद ब्राह्मणों द्वारा रचित वेदों में भी नहीं हैं।
यह कथाएँ काफी नई हैं।
भारत के करोड़ों आदिवासी और शूद्र जातियां जो भारत के मूल निवासी थे वे राम कृष्ण और ब्रह्मा विष्णु महेश को अपना भगवान नहीं मानते थे।
भारत में बुद्ध से पहले मूर्ति पूजा का कोई प्रमाण नहीं है।
बौद्ध मठों को तोड़ कर मन्दिर बनाये गये।
ब्राह्मणों द्वारा बनाये गये धर्म को राजाओं के द्वारा मनवाया गया।
इसलिये तलवार के बल पर कोई धर्म फैला है तो वह ब्राह्मण धर्म है जिसे अब हिन्दू धर्म कहा जाता है।
सती प्रथा, बाल विवाह, छुआछूत, दलितों की अलग बस्तियाँ बसाना इसी ब्राह्मण धर्म की देन है।
ध्यान रहे करोड़ों शूद्र, आदिवासी और दलित समुदाय इन बुरी परम्पराओं को नहीं मानते थे।
इसी तरह भारत की कोई एक संस्कृति भी नहीं है।
यहाँ करोड़ों आदिवासियों की अलग संस्कृतियां रहीं।
दलित जातियों की अपनी संस्कृतियाँ थीं।
शूद्रों की अलग संस्कृतियां थीं।
इसलिये जब संघ किसी एक अवतार, एक पूजा पद्धति, एक संस्कृति, एक परम्परा को पूरे भारत की बताता है,
तो संघ झूठ बोलता है।
संघ इस झूठ को फैला कर जातिगत शोषण, औरतों का शोषण और आर्थिक शोषण को एक धर्म की चादर की आड़ में छिपाना चाहता है।
ताकि दलित, शूद्र, आदिवासी और औरतें बराबरी की मांग ना कर सकें।
इसलिये संघ हमेशा मुसलमानों और ईसाइयों के खतरे का फर्जी शोर मचाता रहता है।
भारत के दलित शूद्र और औरतों का असली दुश्मन संघ का यह फर्जी धर्म है,
इसके रहते कभी न्याय और समानता नहीं आ सकती।
इसलिये इनके धर्म संस्कृति और परम्पराओं के फर्जी ढोल की पोल खोलना
ही सबसे बड़ी देश सेवा है।
हिमांशु कुमार
हिमांशु कुमार की फेसबुक टाइमलाइन से साभार


