दलित हित और साम्प्रदयिकता पर बसपा की ढुलमुल नीति उसे खतरे में डाल सकती है
दलित हित और साम्प्रदयिकता पर बसपा की ढुलमुल नीति उसे खतरे में डाल सकती है
दलित हित और साम्प्रदयिकता पर बसपा की ढुलमुल नीति उसे खतरे में डाल सकती है
मसीहुद्दीन संजरी
दलित राजनीति को सत्ता तक पहुंचाने वाली बहुजन समाज पार्टी सत्ता के रोटेशन में अपने लिए मौका देख रही हैं।
भाजपा के दलित कार्ड की असफलता बसपा के लिए बड़ी राहत है।
फिर भी कुछ छोटी दलित जातियां भाजपा के पाले में जा सकती हैं। लेकिन इस बार स्वर्ण मतदाओं का रुझान उसके पक्ष में नहीं नज़र आता।
सपा से नाराज़ मुस्लिम मतदाता विकल्प की तलाश में तो है, लेकिन बसपा के रणनीतिकारों के पास उनको आकर्षित करने का कोई कार्यक्रम नहीं है।
उसके इस उदासीन रवैये के कारण सपा से नाराज़गी ही उसकी एक मात्र उम्मीद है।
ऐसे में मुस्लिम नेतृत्व की राजनीति की तरफ उसका झुकाव या कांग्रेस का विकल्प (अगर कांग्रेस और बेहतर करने की स्थिति में आती है तो) उसकी इस उम्मीद पर पानी फेर सकती है।
बसपा के लिए अभी भी कुछ छोटी दलित जातियों, अति पिछड़ों और मुस्लिमों को लेकर बड़ी बाज़ी खेलने का समय है।
सर्व दलित हित और साम्प्रदयिकता पर उसकी ढुलमुल नीति उसे खतरे में डाल सकती है।


