दाल पर माकपा ने सरकार से पूछा - "इतनी देर में छापे क्यों? इतनी जल्दी रोके क्यों??"
दाल पर माकपा ने सरकार से पूछा - "इतनी देर में छापे क्यों? इतनी जल्दी रोके क्यों??"
रायपुर। दाल की बढ़ती कीमतों के लिए छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए माकपा ने पूछा है — "इतनी देर में छापे क्यों? इतनी जल्दी रोके क्यों?"
आज यहां जारी एक बयान में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के छत्तीसगढ़ राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि दाल की जमाखोरी के मामले में छत्तीसगढ़ का दूसरा स्थान है, जहां प्रति छापे औसतन 87 टन दाल जब्त की गई है. लेकिन जमाखोरों के खिलाफ दो दिन अभियान चलाने के बाद ही छापेमारी की मुहिम बंद कर दी गई तथा उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से 140 रूपये किलो की दर पर दाल मुहैया कराने की घोषणा की गई है. उन्होंने कहा कि जब सरकार ही 140 रूपये किलो पर दाल बेचेगी, तो खुले बाज़ार में इसका 200 रूपये किलो बिकना तय है.
दाल की कीमतों में महंगाई के लिए केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए माकपा ने कहा कि अनाज मगरमच्छों के साथ सरकार की सांठगांठ खुले रूप से सामने आ गई है. यही भाजपा विपक्ष में थी, तो वायदा व्यापर के खिलाफ बात करती थी, लेकिन अब वायदा व्यापार के पक्ष में है तथा जमाखोरों के खिलाफ दिखावे की कार्यवाही तक सीमित है.
पराते ने कहा कि इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, पोषण-आहार के लिए प्रति व्यक्ति दो किलो दाल की जरूरत पड़ती है. सरकार को सार्वजानिक वितरण प्रणाली के जरिये इतनी दाल के वितरण की व्यवस्था करनी चाहिए.


