दुनिया के बड़े ब्लैकमेलरों को कश्मीर का मुद्दा बिन मांगी मुराद की तरह मिल गया
दुनिया के बड़े ब्लैकमेलरों को कश्मीर का मुद्दा बिन मांगी मुराद की तरह मिल गया

दुनिया के बड़े ब्लैकमेलरों (The world's big blackmailers) को कश्मीर का मुद्दा (Kashmir issue) बिन मांगी मुराद की तरह मिल गया है। भारत और पाकिस्तान दोनों अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने पक्ष में समर्थन जुटाने में लगे हैं। दुनिया के बड़े ठग ऐसी स्थितियों का इस्तेमाल अपने हितों के लिए करना बखूबी जानते हैं। पश्चिमी देशों में मध्यस्थता करने की होड़ यूंही नहीं लगी है। इनके पास अलग अलग सुर में बोलने वाले कई मुंह हैं। कभी नागरिक अधिकार, दमन, उत्पीड़न तो कभी सम्प्रभुता की दुहाई और आंतरिक मामला होने का बखान। सारी नैतिकता उनके हितों के इर्दगिर्द घूमती रहती है।
मिसाल के तौर पर भारत बड़ा बाज़ार है। ग्राहक भगवान होता है। उससे कुछ ठग अपने उत्पादों के लिए बाज़ार खोलने या कम टैक्स पर आयात करने को कह सकते हैं। ईरान से दूरी बनाने या रूसी हथियार खासकर मिसाइल सिस्टम न लेने पर राज़ी कर सकते हैं। पाकिस्तान को अफगानिस्तान में अपने हित साधने के लिए राजी होने को विवश कर सकते हैं और मध्यपूर्व में अपने हितों के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर सकते हैं।
Major defense deals have always been determining the relationship of countries
बड़े रक्षा सौदे हमेशा से ही देशों के रिश्ते निर्धारित करते रहे हैं। भारत की अर्थव्यवस्था बुरी हालत में है। पाकिस्तान हमेशा से ही इस दलदल में रहा है। बस देखना यह है कि किसके बर्दाश्त की हद क्या है और कौन कितनी कीमत अदा करने पर राज़ी होता है।
मसीहुद्दीन संजरी


