दोनों शरीक-ए-जुर्म हैं! ये सरकारें चल रही हैं या मनोरंजन कम्पनियां ???
दोनों शरीक-ए-जुर्म हैं! ये सरकारें चल रही हैं या मनोरंजन कम्पनियां ???

दोनों शरीक-ए-जुर्म हैं!
दिल्ली में एक ओर लोगों को बेड नहीं मिल रहा, अस्पतालों के गेट पर टेस्ट, भर्ती के लिए तड़पते लोग दम तोड़ दे रहे हैं।
प्राइवेट अस्पतालों में एडमिशन नहीं हो रहा और इलाज इतना मँहगा कि आम लोगों के लिए असम्भव !
वहीं, एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में 70 % बेड खाली हैं, लोग जाना नहीं चाह रहे, इस आशंका के कारण कि स्टाफ की कमी, भयानक गंदगी और इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में वहां जाना मौत के मुँह में जाना है।
सरकारी अस्पतालों की इस स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है ? | Who is responsible for this condition of government hospitals?
जनसँख्या के अनुपात में बहुत, बहुत अधिक अस्पतालों के निर्माण की बात तो दूर, जो अस्पताल हमारे पास थे भी, वे भी स्टाफ की कमी से जूझ रहे।
पहले नहीं भी तो कम से कम जनवरी से जून तक छह महीनों में भी महाआपदा से निपटने के लिए युद्धस्तर पर इस कमी को दूर नहीं किया जा सकता था ?
ये सरकारें चल रही हैं या मनोरंजन कम्पनियां ???
लाल बहादुर सिह, नेता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंटकस्तूरबा अस्पताल और हिंदूराव अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफे की धमकी दिया है (Resident doctors have threatened mass resignation) क्योंकि उन्हें तीन महीने से वेतन नहीं मिला है ?
आखिर, यह हो क्या रहा है ??????
राज्यों के मत्थे मढ़कर मोदी सरकार बच नहीं पायेगी।
दोनों शरीके-जुर्म हैं, आखिर इस देश की जनता का बहुमूल्य जीवन दाँव पर लगा है।
लाल बहादुर सिंह


