लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के संसदीय कार्य, अल्पसंख्यक कल्याण और औक़ाफ के काबीना वज़ीर मोहम्मद आज़म खान ने आज यहां कहा है कि तथाकथित धर्मगुरू के बहनोई और चहेतों के अध्यक्ष रहते जितनी वक़्फ़ जायदादों की लूट हुई है, वह कभी नहीं हुई ? कभी भी एक कब्र के लिए लाखों रूपयों में जगह नहीं बेची गयी। धर्मगुरूओं का नेता बनने का शौक़ बड़ा पुराना है, मुकद्दस लिबास पहन कर बाबरी मस्जिद को शहीद करने वालों को मुबारकवाद 'मोदी नर है तो क्या डर है', कहने वाले इस धर्मगुरू ने खुलकर मुक़द्दस धार्मिक मंच से भाजपा के लिये वोट देने का फ़तवा जारी करके पूरी मुस्लिम क़ौम को शर्मसार किया है।
मोहम्मद आज़म ख़ाँ ने कहा कि जिसने क़ौम का सौदा कर लिया हो, वह अगर शिया औक़ाफ का सौदा कर रहा है, तो क्या ताज्जुब हो धर्मगुरू चुनाव का विरोध ना करें, चुनाव जीतें तथा अपने भाजपाई आक़ाओं से केन्द्रीय क़ानून बदलने के लिये गिड़गिड़ाये तो ज़्यादा अच्छा होगा। उन्होंने वक्तव्य में यह भी कहा है कि तथाकथित धर्मगुरू की असलियत बस इतनी है कि उन्होंने शिया वक़्फ़ बोर्ड का चुनाव टलवाने के लिये दर-दर की ठोकरें खायीं, यदि मुझसे कान में भी कह दिया होता तो दरवाज़े-दरवाजे़ ठोकरें नहीं खानी पड़तीं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, वाह! धर्मगुरू, झोली में चौदह मेम्बर हैं नहीं और बने फिरते हैं ठेकेदार, ज़रा चुनाव होने दीजिये, फिर मालूम होगा कि धर्मगुरू के अपने बहनाई साहब ने शिया जायदादों को कितना लूटा है, जिसने कर्बला और हुसैनी सराय तक को बेच दिया और एक ही स्थान पर चार मस्जिदों को शहीद कराकर उसकी प्लाटिंग करा दी तो कहाँ से और कैसे जवाब देंगे ?
मोहम्मद आज़म ने सवाल पूछा है कि यदि धर्म गुरू के पास एक भी अच्छा व्यक्ति चुनाव लड़ाकर जिताने के लिए नहीं है तो फिर ऐसे व्यक्ति को धर्मगुरू कहलाने का अधिकार कैसे हो सकता है ?
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