अफजल गुरु की फांसी की चर्चा अगर राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है तो नाथूराम गोडसे की फांसी की चर्चा करना और उसको महिमा मंडित करना क्या गंगा स्नान है?
रणधीर सिंह सुमन
अफजल गुरु की फांसी का सर्वाधिक जबरदस्त विरोध जम्मू एंड कश्मीर की पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने किया था। उन्होंने इसे एक राजनैतिक कदम बताया था और जबरदस्त विरोध किया था। वहीँ, जम्मू एंड कश्मीर विधानसभा ने अफजल गुरु का शव सौंपने की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया था, लेकिन उसे भी नजरअंदाज कर दिया गया था। उन्हें लगता है कि देश में दो तरह के कानून चल रहे हैं। एक देश के अन्य हिस्सों के लिए है और दूसरा अलग सिर्फ कश्मीर के लिए।
उसी महबूबा मुफ़्ती की पार्टी के साथ भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू एंड कश्मीर गठबंधन सरकार बनायीं है और अब मुफ़्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद महबूबा मुफ़्ती को मुख्यमंत्री बनाने के लिए नागपुर मुख्यालय के प्रतिनिधि राम माधव प्रयासरत हैं। मतलब यह इसका सीधा-सीधा है हम नकली राष्ट्रभक्ति का मुखौटा लगा कर सब कुछ करेंगे और जब दूसरा चर्चा भी करेगा तो हम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया देशद्रोही का जाप करना शुरू कर देंगे. देखें
&spfreload=10
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा जब अफजल गुरु की फांसी के ऊपर चर्चा का कार्यक्रम शुरू हुआ तो महबूबा मुफ़्ती के साथ सरकार चलाने के लिए प्रयासरत भारतीय जनता पार्टी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने छात्रों से हाथापाई की और राष्ट्रविरोधी नारे भी लगाए, जिससे उन छात्रों को फंसाया जा सके। इससे पूर्व हैदराबाद यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला के मामले में षड्यंत्र कर आत्महत्या के लिए मजबूर कर चुके हैं। कुछ वर्षों पूर्व लखनऊ कचेहरी में इन्ही तत्वों द्वारा सुप्रसिद्ध अधिवक्ता मुहम्मद शुऐब के साथ न्यायलय के अन्दर मारपीट की गयी थी और यह आरोप लगाया गया था कि वह पकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। यह सब बेतुकी बातें नागपुर मुख्यालय के विषाक्त विचारधारा का परिणाम हैं। षड्यंत्रकारी भूमिका में यह हमेशा रहते हैं।
अफजल गुरु की फांसी की चर्चा अगर राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है तो नाथूराम गोडसे की फांसी की चर्चा करना और उसको महिमा मंडित करना क्या गंगा स्नान है? इस कार्य को बखूबी नागपुर मुख्यालय करता आ रहा है। इसी सम्बन्ध में हमारे फेसबुक के मित्र मनोज कुमार ने एक गंभीर टिप्पणी की है
"अफजल गुरू को इस देश की सर्वोच्य न्यायालय ने संसद पर हमले का अपराधी माना और फाँसी की सजा सुना दी। आप कहते हैं कि अब इस पर कोई चर्चा नहीं हो सकती। इस पर कोई भी चर्चा राष्ट्रद्रोह है। चलिए मैं आपकी बात मान लेता हूँ। नाथूराम गोडसे को इस देश की सर्वोच्य न्यायालय ने बापू की हत्या का दोषी माना और उसे फाँसी की सजा सुनाई। अगर किसी दुकान पर गोडसे की किताब - "मैंने गाँधी को क्यों मारा" या उसके भाई की किताब "गाँधी वध क्यों" बिकती हुई दिखती है तो उस दुकान पर, उसके प्रकाशक पर देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए या नहीं? और हाँ, एक बार अपना बुक-सेल्फ चेक कर लीजिएगा। कहीं आपने इनमें से कोई किताब खरीदकर रखी हुई तो नहीं है?"
जवाहर लाल नेहरु विश्व विद्यालय की खुली सोच के कारण नागपुरी मुख्यालय षड्यंत्र पर षड्यंत्र रच रहा है।
ट्राई द्वारा फ्री बेसिक्स प्लान को खारिज करने के फैसले से सोशल साइट फेसबुक बौखला गई है। फेसबुक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल मार्क एंड्रीसन ने ट्राई के फैसले को लेकर भारत विरोधी ट्वीट किया कि भारत की इकोनॉमी ब्रिटिश शासन के अधीन (औपनिवेशिक) ज्यादा बेहतर थी। भारत को तो औपनिवेशिक शासन की आदत हो चुकी है, अब इसका विरोध क्यों?
यह बात अगर उनके आका लोग लिख रहे हैं तो उनको राष्ट्रद्रोहिता नहीं दिखाई देती है क्यूंकि उन्ही के नौकरों के ये वंशज हैं।