नजीब जंग के पास जाओ और अजीब जंग जीत लो
नजीब जंग के पास जाओ और अजीब जंग जीत लो
यह क्या मज़ाक बना रखा है अरविन्द- आप ने ?
भंवर मेघवंशी
सत्य के साक्षात् अवतार कलियुग के हरिशचन्द्र अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी की दिल्ली में सरकार बनाने के लिये रखी गयी 18 शर्तें पढ़कर बहुत अच्छा लगा, इतनी सामान्य शर्तें ! समझ क्यों नहीं पा रहे है लोग ? मैं तो पढ़ते ही समझ गया कि यह आम आदमी की ही शर्तें है, पर आम लोगों के विरोधी दल नहीं समझ पा रहे है। कई बातें तो ऐसी है जिसके लिये कुछ भी करने की जरूरत ही नहीं है,जैसे कि लाल बत्ती लगाने का मामला, इसमें सुप्रीम कोर्ट ने अफसरों, विधायकों से तो लाल बत्तियाँ छीन ही ली है, बचे मंत्री और मुख्यमंत्री उनकी आप वाले छीन लेंगे, बड़े बंगलों में अफसरों और विधायकों के रहने का सवाल भी हल करना बहुत जरूरी है, भाई इन सबको सीमापुरी की झुग्गियों में रखो तभी अक्ल आएगी इन्हें, मंत्री को डालो एक झुग्गी में और अफसर को डालो दूसरी कॉलोनी वाली झुग्गी में, ताकि जनता ढूँढती रह जाये पाँच साल तक कि कहाँ गयी सरकार? विधायक और कॉउंसलर का फण्ड ख़तम करने का इरादा तो वाकई नेक है, इतनी अच्छी-अच्छी बातें जानते हो अरविन्द, भैया बहोत अच्छे, मेरी मानो जल्दी से मुख्यमंत्री बन जाओ और कर डालो यह सब। सरकार बनाओ और कर दिखाओ, वैसे भी आप को कौन रोक सकता है ? कांग्रेस और भाजपा द्वारा विभिन्न स्तरों पर किये गये घोटालों की भी जाँच करवा डालो, भगवान तुम्हारा भला करेगा। रामलीला मैदान में विधानसभा का सत्र बुलाकर उसमे जनलोकपाल पास करने की आपलीला भी कर डालो, पर जल्दी करो। कहीं ऐसा न हो कि आप के सड़क पर कानून पास करने से पहले ही बेचारी संसद पास कर डाले लोकपाल, जल्दी करो बाबू, ये जो बिजली कम्पनियां हैं ना इनकी तो ऑडिट ही करा दो और भैया जरा मीटरों की भी जाँच करवा दो, ये सब सरकारी काम है, आप की सरकार ही यह कर सकती है, झुग्गी झोपड़ियों का नियमन और पक्के मकान बनाने का काम भी प्रसाशनिक ही है। पानी माफिया को आप के सिवा कौन जैल भेज सकता है, निजी स्कूलों के डोनेशन के बारे में भी आप ज्यादा जानते हो, आप ही के बच्चे ज्यादा पढ़ते हैं वहाँ पर, नए कोर्ट खोलने से ले कर जजों की नियुक्ति तक सब आप के ही अधिकार में है। उद्योग धंधों के लिये कायदे कानून बनाने की बात भी आप ही जानो, रिटेल में एफडीआई नहीं चाहिए ना ? चलो ख़तम कर देना, किसान भाइयों को सब्सिडी देने को भी आप स्वतंत्र है, ग्राम सभा और मोहल्ला सभा के जरिये ग्राम स्वराज से शहर स्वराज लाने तक का नेक काम आप के सिवा भला कौन कर सकता है, अतिशिघ्र प्रारम्भ करो वत्स ! आगे बढ़ो आर्यपुत्र, शासन सम्भालो, यह एनजीओ टाइप रोना धोना, माँगें रखना और शर्तें मनवाना अब बन्द करो, जनादेश का सम्मान करो, अब आप देने वाले हो गये हो- दाता, मांगने वाले मंगते नहीं रहे आप, जंतर-मंतर के उन दिनों को भूलो, जब ऐसे नारे लगाने पड़ते थे- हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते। वो दिन अब हवा हुये अब तो- सरकार हमारे आप की-नहीं किसी के बाप की। दिल्ली आप के बाप की है भैय्या, जो चाहो, जैसा चाहो, कर दिखाओ, कोई दिक्कत तो है नहीं, जिस कांग्रेस को आप ने मिटाया वही तैयार है समर्थन देने को, अब पुरुषार्थ की राजनीति शुरू करो, गन्दी राजनीति को आप के झाड़ू से साफ़ कर दो, दिल्ली की जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरो, ताकि उनका भला हो सके।
क़ुछ भी हो पर आप की साफगोई मुझे अच्छी लगती है, जैसे कि आप आरक्षण जैसी घटिया ( ? ) चीज़ के सदैव विरोधी रहे हैं। आप ने देश को बाँट कर कशमीर को आज़ाद करने का समर्थन किया ही है, इस वजह से आप के एक बड़े नेता पिट भी चुके हैं, कितना बलिदान किया है आप ने कशमीर की आज़ादी के लिये ! अफ़ज़ल गुरु से लेकर अजमल कसाब जैसे लोगों को फांसी न मिले इसके लिये भी मानव अधिकारों की बातें की आप ने, उनको फांसी के फंदे पर लटकाये जाने से आप की आत्मा आहत हुयी है, हाल ही में होमोसेक्सुलिटी के सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद आप देश भर के समलैंगिकों के समर्थन में शान से खड़े नजर आये हो, लोकपाल चूँकि अब विदेशी पैसे पर पलने वाली संस्थाओं को भी दायरे में लेगा इसलिये आप को अब वो लोकपाल नहीं जोकपाल नज़र आने लगा है। भाई वाह, कुछ भी हो आप का जवाब नहीं है। और हाँ वो बुढ़ऊ जिसे आप जंतर-मंतर लाये थे पिछले साल। सुना है कि इस साल भी भूखा पड़ा है, उसी रालेगण सिद्धि में, जहाँ बार- बार आप के लोग जाया करते थे, अच्छा हुआ इस बार नहीं गये, मरने दो स्साले को, अपन को क्या है, अपन तो अपने आप ही बने है, उस बूढ़े का इसमें क्या योगदान, वो तो सिर्फ गांधीवादी है, यहाँ तो आज़ादी के बाद खुद गांधी की भी यही गत हुयी थी। अच्छा किया जो आपने वो अण्णा टोपी उतार फेंकी, खुद की टोपी बनाई और उसे पहना है, आपने न सिर्फ टोपी खुद पहनी बल्कि अब तो कइयों को पहना भी दी है। नरश्रेष्ठ अब आप पूरे देश को टोपी पहनाओ। मेरी तो हार्दिक इच्छा है कि आप लाल किले से तिरंगा फहराओ। विजय रथ पर सवार हो कर चक्रवर्ती सम्राट बनो। मोदी का रथ रोकने के लिये अब इस देश में आप के अलावा है ही कौन ? सब अब आप में वैकल्पिक राजनीति का महानायक देख रहे हैं। हे भारतीय एलिट आँगलभाषी मधयमवर्गीय दोगले लोगों के भांड मीडिया जनित महानायक, आगे बढ़ो, अब दस दिन और मत सोचो, नजीब जंग के पास जाओ और इस अज़ीब जंग को जीत लो, सरकार बनाओ, सत्ता सम्भालो, निर्णायक बनो, वरना जमाना पूछेगा कि यह क्या मज़ाक बना रखा है अरविन्द आप ने ?


