नवउदारवादी और सांप्रदायिक ताकतें एकजुट होकर समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को पीछे धकेल रही हैं
नवउदारवादी और सांप्रदायिक ताकतें एकजुट होकर समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को पीछे धकेल रही हैं
सोपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली में संपन्न।
पूर्ण रोजगार कानून बनाया जाए; पानी पर कंपनियों का नहीं, जनता हक रहे; शिक्षा का बाजारीकरण बंद हो; राजनीतिक पार्टियां आरटीआई के दायरे में हों; सातवें वेतन आयोग की समीक्षा की जाए।
90 वर्ष के हुए जस्टिस राजेंद्र सच्चर
नई दिल्ली। सोशलिस्ट पार्टी ने माना है कि नवउदारवादी और सांप्रदायिक ताकतें एकजुट होकर समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को पीछे धकेल रही हैं। इस चुनौती का सामना नवउदारवादी और सांप्रदायिक ताकतों के साथ किसी भी तरह का समझौता करके नहीं, उनका पूर्ण विरोध करके किया जाना चाहिए। सोशलिस्ट पार्टी यही करती है और आगे भी करेगी।
21-22 दिसंबर को संपन्न पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में यह मत बना। अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी सीमित सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हर राज्य में सीटों के चयन का काम पूरा हो गया है। 31 जनवरी तक सभी चुनाव क्षेत्रों और उममीदवारों के नाम घोषित कर दिए जाएंगे। चुनाव में पार्टी नवउदारवाद का आमूल विरोध करने वाले राजनीतिक दलों के साथ ही तालमेल करेगी।
बैठक में पारित प्रस्ताव में मांग की गई कि पूरे देश में सभी बेरोजगारों को रोजगार की गारंटी देने वाला कानून बनाया जाए। आर्थिक नीतियों का निर्धारण और लक्ष्य संविधान के नीति निर्देशक तत्वों की रोशनी में सभी सक्षम स्त्री-पुरुषों के लिए रोजगार पैदा करना रखा जाए। नवउदारवादी आर्थिक नीतियों और विकास के पूंजीवादी मॉडल की जगह कृषि-उद्योग-सहकारी मॉडल अपनाया जाए। पानी प्रकृति की देन और मनुष्य समेत सभी जीवधारियों का प्राकृतिक हक है। पानी का किसी भी रूप में निजीकरण बंद हो। पानी का सबसे पहले मनुष्यों और अन्य जीवधारियों के पीने और कृषि की सिंचाई के लिए उपयोग हो।
पार्टी के वरिष्ठ सदस्य जस्टिस राजेंद्र सच्चर 22 दिसंबर को 90 वर्ष के हो गए हैं। एक विशेष प्रस्ताव रख कर उन्हें बधाई दी गई और दीर्घायु होने की कामना की गई। यह तय किया गया कि अगले एक साल तक जस्टिस सच्चर के सम्मान में देश के विभिन्न शहरों में समाजवादी आंदोलन और विचारधारा पर आधारित संगोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भाई वैद्य की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में 20 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। हाल में पांच राज्यों में संपन्न हुए चुनावों की समीक्षा की गई।


