नहीं रहे खांटी समाजवादी मोहन सिंह
नहीं रहे खांटी समाजवादी मोहन सिंह

Veteran socialist Mohan Singh is no more
लखनऊ। समाजवादी पार्टी का आखिरी समाजवादी स्तम्भ भी ढह गया। खांटी समाजवादी मोहन सिंह नहीं रहे। काफी समय से बीमार चल रहे मोहन सिंह का आज दिल्ली में निधन हो गया। जनेश्वर मिश्र, ब्रजभूषण तिवारी के बाद मोहन सिंह का जाना समाजवादी आन्दोलन के लिये बड़ा झटका है।
मोहन सिंह ने अपनी राजनैतिक जीवन की शुरूआत डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित होकर की थी। उन्हें डॉ. लोहिया का सानिध्य प्राप्त था तथा वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने छात्र एवं युवा आन्दोलनों का भी नेतृत्व किया था। श्री सिंह ने आपात् काल के विरूद्ध 1975-76 में जेल की यातनाये सही थीं। उन्होंने देवरिया का लोक सभा में प्रतिनिधित्व भी किया था। वे उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य एवं मंत्री भी रहे थे। वर्तमान में वह राज्य सभा के सदस्य थे।
समाजवादी पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के मुताबिक मोहन सिंह जी का पार्थिव शरीर कल दिनॉक 23 सितम्बर प्रातः 09:00 बजे समाजवादी पार्टी के राज्य मुख्यालय 19 विक्रमादित्य मार्ग लखनऊ लाया जायेगा और उसके बाद उनके गृह जनपद देवरिया ले जाकर उनका अन्तिम संस्कार किया जायेगा।
बताते चलें कि मोहन सिंह काफी समय से बीमार थे इधर उनका इलाज दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में चल रहा था और वहीं आज दोपहर बाद उनका निधन हो गया।
श्री सिंह के निधन पर बदायूँ से लोकसभा सदस्य धर्मेंद्र यादव, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार चंचल सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व विधान परिषद सदस्य डॉ. राकेश सिंह राना, आदि ने गहरा दुख व्यक्त किया है।
वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश कुमार ने श्री मोहन सिंह को याद करते हुए बताया कि “मेरे पिताजी और मोहन सिंह बरहज में साथ पढ़े थे मेरा गाँव वहीं सरयू के किनारे है।”


