क्या अपराधी आईबी अफसर को प्रधानमन्त्री व भाजपा बचा पायेंगे ?
रणधीर सिंह सुमन
गुजरात के इशरत जहाँ के फर्जी एनकाउन्टर में इनटेलिजेन्स ब्यूरो (आई बी) के विशेष निदेशक राजेन्द्र कुमार को सीबीआई ने आज अभियुक्त सम्मन के द्वारा तलब किया था किन्तु उन्होंने अपने पिता की बीमारी का बहाना कर मंगलवार की तारीख उपस्थित होने के लिये ली है। वहीँ, खबर है कि आईबी के निदेशक आसिफ इब्राहिम ने प्रधानमन्त्री सहित देश के प्रमुख अधिकारियों से राजेन्द्र कुमार की सिफारिश की है और सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा से मिलकर उनको अर्दब में लेने की भी कोशिश की है।

सूत्रों के मुताबिक राजेन्द्र कुमार ने शुक्रवार को पूछताछ के लिये आने में असमर्थता जतायी थी। इसके बाद उन्हें मंगलवार का समय दिया गया है। आशंका है कि पूछताछ के बाद राजेन्द्र कुमार को गिरफ्तार भी किया जा सकता है। सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फर्जी मुठभेड़ में राजेन्द्र कुमार की भूमिका को लेकर उनके पास पुख्ता सुबूत हैं।

मुठभेड़ के समय राजेन्द्र कुमार गुजरात में आइबी के संयुक्त निदेशक के पद पर तैनात थे और मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी और लालकृष्ण आडवाणी पर लश्कर-ए-तैयबा के आत्मघाती दस्ते के हमले के बारे में उन्होंने राज्य सरकार को सचेत किया था। इसी अलर्ट को आधार बनाते हुये अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्राँच ने इशरत और उसके साथियों को मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था।

इस अपराधी को बचाने के लिये राजनितिक दलों में मात्र भारतीय जनता पार्टी आगे आयी है क्योंकि कुर्सी पर बैठे हुये अपराधियों की पैरोकारी में इसकी भूमिका हमेशा आगे रही है। भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा है कि इस मामले में प्रधानमन्त्री को तत्काल हस्तक्षेप पर राष्ट्रहित में फैसला लेना चाहिये। उनके अनुसार देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिये यह अत्यन्त गम्भीर मामला है।

किन्तु भारतीय जनता पार्टी जब यह बयान देती है तो उसे देश के नागरिकों को इन अधिकारियों द्वारा किये जा रहे उत्पीड़न व अपराध नहीं दिखायी देते हैं। उत्तर प्रदेश में भी खालिद मुजाहिद की हत्या के बाद भारतीय जनता पार्टी ने हत्या के लिये नामजद अभियुक्तों को बचाने के लिये पैरवी की थी और पूरे प्रदेश में प्रदर्शन भी किया था। देश के नागरिकों को मार डालने वाले लोग भाजपा की नजर में असली राष्ट्रप्रेमी हैं।

आईबी के निदेशक को भी फर्जी एनकाउन्टर के मामले में हस्तक्षेप नही करना चाहिये क्योंकि आज स्थिति यह हो गयी है कि किसी भी व्यक्ति को पकड़ कर मार डालो और आउट ऑफ़ टर्न प्रमोशन व इनाम इकराम ले लो का दौर चल रहा है। इससे लोकतन्त्र व न्याय समाप्त होता है। प्रधानमन्त्री को भी चाहिये कि अपराधी अधिकारियों को बचाने के बजाये कठोर कार्यवाई करायें जिससे जनता का व्यवस्था के प्रति सम्मान बढ़ सके।