नीति आयोग-फिर वही बगुला आयोग
नीति आयोग-फिर वही बगुला आयोग
नई दिल्ली। नए साल की शुरुआत के साथ ही सरकार ने योजना आयोग का नया नाम तय कर दिया है। करीब 60 साल पुराना योजना आयोग अब नीति आयोग के नाम से जाना जाएगा। नीति का फुल फॉर्म होगा नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया। हालांकि इसके काम-काज और ढांचे में किस तरह का बदलाव किया जाएगा, इसका औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है।
योजना आयोग का नया नाम सरकार ने तय कर दिया है और अब इसका नया नाम नीति आयोग होगा। इसके कामकाज और ढांचे का ऐलान कर दिया गया है और इसके चेयरमैन प्रधानमंत्री होंगे। नीति आयोग के वाइस चेयरमैन को प्रधामंत्री मनोनीत करेंगे। नीति आयोग के जरिए संघीय ढांचे को और मजबूत किया जा सकता है।
नीति आयोग के तहत एक नेशनल काउंसिल होगा और 5 रीजनल काउंसिल होंगे। रीजनल काउंसिल में मुद्दों के आधार पर राज्यों का समूह होगा। इस आयोग में राज्यों के मुख्यमंत्री सदस्य होंगे।
योजना आयोग अब नीति आयोग ठैरा। बलि मतबल यूं कि संघ परिवार की नीतियां लागू करने वाला अमेरिकी इजराइली हिंदुत्व आयोग ज्यादा खुलासा हुआ रहता नाम जो यूं होता कि यूं न होता जो कि मतबल समझायो दीखै।
जाहिर है कि बगुला अर्थशास्त्रियों, बगुला पत्रकारों और बगुला समाजशास्त्रियों की बहारे बहार है।
नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में देश की स्थिति आपातकाल से भी बदतर हो गई है।
इसी के मध्यबंगाल के खड़गरपुर से गरजी हैं ममता बनर्जी, लेकिन बाकी तमाम क्षत्रपों के मुंह तालाबंद है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया हैं| उन्होंने दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में देश की स्थिति आपातकाल से भी बदतर हो गई है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बंगाल में भूमि अधिग्रहण अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों को लागू नहीं करेगी।
तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने लोगों से अनुरोध किया कि वे उस काले अध्यादेश को जला डालें, जिसे मोदी की कैबिनेट ने सोमवार को मंजूरी दी है। दरअसल, राष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण संबंधी प्रक्रियात्मक कठिनाइयों को दूर करने के उद्देश्य से भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन किया गया है। साथ ही प्रभावित परिवारों से संबंधित प्रावधानों को भी मजबूत किया गया है।
ममता ने कहा कि केंद्र भूमि अधिग्रहण में ऐसे संशोधन कर रही है, जिससे बंदूक के बल पर आपकी जमीनें छीनी जाएंगी। लेकिन मैं उनकी चुनौती स्वीकार करती हूं। जबतक मैं जीवित हूं किसी की भी जमीन जबर्दस्ती नहीं छीनने दूंगी। मेरी लाश पर ही वे भूमि अधिग्रहण कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि आपके भूमि के अधिकार को छीनने की हिम्मत सरकार कैसे कर सकती है? मैं पश्चिम बंगाल में इस तरह के कानून को लागू करने की मंजूरी नहीं दूंगी। मैं आप सभी से अनुरोध करती हूं कि आपलोग उस अध्यादेश की एक-एक कांपी लें और उसे जला डालें। इस काले अध्यादेश को जला डालिए। हम बंगाल में जबर्दस्ती जमीन अधिग्रहण की मंजूरी नहीं देंगे।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के माध्यम से देश को बेचने का आरोप लगाते हुए उन्होंने लोगों से केंद्र की लोक विरोधी नीतियों के खिलाफ खड़ा होने का अनुरोध किया।
हम ममता के समर्थक न भये। उनके जनसमर्थन अभी अटूटै है और उनन को फालती समर्थक परामर्शदाता जरुरी नहीं है। शारदा मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ उनके सिपाहसालारों ने बंगाल में आग लगा देने की धमकी दी है और हमऊ तो लत वानी हैं, मई दो हजार सोलह के बाद बंगाल को टाटा बाय-बाय। यहां अपना ठौर ठिकाना नहीं ठैरा अउर हमनी उनन के नजरिये से बंगाली भी नइखे।
मगर ममता की तारीफ करनी ही होगी जो सगरे भारत में वहीं दो टूक बोलीं।
तनिको समझा भी करो जानम कि खेल जो दीखता है,वो दरअसल होता नहीं है।विदेशी पूंजी की बहार बहाल रखने को दसों दिशाओं में पतझड़ का आयोजन है
सरकार के रिफार्मस से बाजार में तेजी का चोली दामन का रिश्ता है और इसीलिए यह अध्यादेश का राज है।अब बूझै आप कि यह ससुरा कौन ब्रांडे का बोर्नविटा हॉर्लिक्स है कि जनगण की रीढ़ की हड्डियां मजबूत हुआ करै है सांढ़ों के बेलगामो उछल कूद से।
बहरहाल एंड्र्यू हॉलैंड का कहना है कि अब तक भारत में छोटे-मोटे रिफॉर्म देखने को मिले हैं, लेकिन आगे भारत को रिफॉर्म के लिए कड़े कदम उठाने पड़ेंगे। भारतीय प्रधानमंत्री की अमेरिकी कंपनियों के सीईओ के साथ हुई बैठक इस लिहाज से काफी अहम माना जा सकता है।
बहुतै कड़े रिफार्म के खातिरो जे शत प्रतिशत हिंदुत्व का जिहाद है कि धर्मांध मंदमति प्रजाजन में जय रामजी की गुहार हो और राम जी पार लगा दे ओबामाराम की नैया।
अमेरिका में निषिद्ध गुजरात नरसंहार कारणे हिंदुत्व समुनामी मध्ये कल्क अवतरण उपरांते जो मोदी महाराजज्यू पांच दिनों की अमेरिकी यात्र पर गये थे, तभी से हिंदुत्व का यह एजेंडा अब रघुकुल रीति है। प्राण जाई पर वचन न जाई, आख्यान है यह रामायणी पाठ है और रामलीला उत्तर आधुनिक बाबरी विध्वंसोत्तर भी है।
नई सरकार बनने के बाद विदेशी निवेशक, भारत के बारे में क्या नजरिया रखते हैं और निवेश के लिए उनकी नजर अब कहां पर है। यह तभी बता दिया गया था और अमल अब हो रहा है।
O- पलाश विश्वास


