नॉन नेट फेलोशिप : छात्र आंदोलन से घबराई सरकार, आंदोलनरत छात्रों पर भीषण लाठीचार्ज
नॉन नेट फेलोशिप : छात्र आंदोलन से घबराई सरकार, आंदोलनरत छात्रों पर भीषण लाठीचार्ज
दम है कितना दमन में तेरे, देख लिया फिर देखेंगे?-चंचल जी
नई दिल्ली। लगता है शिक्षा का बाजारीकरण करने पर उतारू केंद्र की मोदी सरकार नॉन नेट फेलोशिप को वापस लेने के सरकार के फैसले का विरोध कर रहे छात्रों के आंदोलन से घबरा गई है। मंगलवार को यूजीसी मुख्यालय के बाहर डटे छात्रों को हटाने के लिए पुलिस ने भीषण लाठीचार्ज किया, जिसमें जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित कई छात्रों के घायल होने की खबर है।
यूजीसी मुख्यालय के सामने पिछले एक हफ्ते से डटे छात्र नॉन नेट फेलोशिप को जारी रखे जाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि सरकार ने साफ किया है कि नॉन नेट फेलोशिप बंद नहीं होगी, लेकिन सरकार मेरिट और आर्थिक स्थिति के आधार पर फेलोशिप देने का मन बना रही है, इसी को लेकर छात्रों का विरोध है।
मंगलवार को आंदोलन कर रहे छात्रों की पुलिस से झड़प हुई, जिसमें कुछ छात्र घायल हो गए। जानकारी के मुताबिक, इस झड़प में जेएनयू के छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी घायल हुए हैं और उनका इलाज जारी है। वहीं, साथी छात्रों की पिटाई से गुस्साए छात्रों का कहना है कि हम इस आंदोलन को नहीं रुकने देंगे। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर हमारे किसी साथी को कुछ हो जाता है तो इसकी जिम्मेदार सरकार होगी।
पिछले कई दिनों से दिल्ली के जेएनयू, डीयू और जामिया जैसे केंद्रीय विश्वविद्यालयों के छात्र नॉन नेट फेलोशिप बंद करने के यूजीसी के फैसले के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं। वहीं, यह आंदोलन तेजी से देश के अन्य विश्वविद्यालयों तक भी पहुंच रहा है।
सुयश सुप्रभ ने कहा, “दलालों की सरकार और कर भी क्या सकती थी। सरकार को नौजवानों के ग़ुस्से का अंदाज़ा नहीं है। जिस जेएनयू ने इंदिरा गाँधी को कैंपस से बाहर निकाल दिया, आज भी उसमें पूरे भारत के कैंपसों को साथ लेकर आंदोलन करने की ताकत बची है। अगर कन्हैया और दूसरे साथियों को कुछ हुआ तो सरकार को इसकी ज़िम्मेदारी लेनी होगी। बीमारी, दुर्घटना जैसे मौकों पर दौड़-दौड़कर दूसरों की मदद करने वाले और तमाम मुसीबतों का सामना करते हुए पढ़ाई करने वाले साथियों की इस हालत को देखने के बाद अपने देश को दल्लों का अड्डा कहने का मन कर रहा है। क्या फ़ेलोशिप की माँग इतनी ख़तरनाक है? संघी नहीं हूँ, इसलिए गालियाँ भी नहीं दे सकता।“
वरिष्ठ पत्रकार और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष चंचल जी ने कहा, “यूजीसी के सामने बच्चों पर लाठी चार्ज ? तर्क की जगह डंडा ?” उन्होंने आगे कहा, छात्रों के अधिकारों में कटौती कर के कोइ भी सरकार ज़िंदा नहीं रह सकती। इतिहास गवाह है। आज जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ जो कुछ भी हुआ, कल पूरे देश के छात्र जेएनयू के साथ खड़े मिलेंगे। दम है कितना दमन में तेरे, देख लिया फिर देखेंगे।?
तो वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश कुमार ने याददिलाया, "छात्र आंदोलन फैला तो कई राज्यों में माहौल बिगड़ जायेगा, चौहत्तर याद है ना"


