न्यूनतम सहयोग करें ताकि लोकतंत्र बहाल रखने के लिए जनसुनवाई का सिलसिला जारी रहे
न्यूनतम सहयोग करें ताकि लोकतंत्र बहाल रखने के लिए जनसुनवाई का सिलसिला जारी रहे
जिन्हें भी यह निवेदन मतलब का लगे, उनके लिए!
हस्तक्षेप के संचालन में छोटी राशि से सहयोग दें
पलाश विश्वास
18 मई का शुभ मुहूर्त अब आने ही वाला है, जब मुझे वातानुकूलित पेशेवर पत्रकारिता के 36 साल लंगे जीवन को अलविदा कहकर सीधे सड़क पर आना है।
अब उसकी तैयारियां जोरों पर हैं।
सेवानिवृत्ति से पहले भारत तीर्थ के दर्शन के लिए आज दोपहर तीन बजे घर से निकल रहा हूं और वापसी का टिकट 28 का है। मोबाइल पर मैं लिखता नहीं हूं। कहीं किसी मित्र का पीसी मिला रास्ते में तो दुआ सलाम होगी वरना इस अवधि में आपकी नींद में मैं खलल नहीं डालूंगा।
आगे लंबी लड़ाई है।
बंगाल के साथियों ने संगठनात्मक स्तर पर “हस्तक्षेप” के साथ खड़े होने का वादा किया है और इसे बांग्ला में बहुत जल्दी कोलकाता से भी शुरु करेंगे।
महाराष्ट्र के साथियों से भी सकारात्मक जवाब मिला है और पंजाब से बड़ी उम्मीद है।
यही उम्मीद देश के बाकी हिस्सों से, बाकी साथियों से है।
हम आपसे न्यूनतम सहयोग चाहते हैं ताकि लोकतंत्र बहाल रखने के लिए जनसुनवाई का सिलसिला हम हर भारतीय भाषा में शुरु कर सकें।
चूंकि लगभग एक पखवाड़े तक हमारे कहे लिखे से आपको आराम है तो हम आपसे निवेदन करते हैं कि पेयूमनी के जरिये (जो भुगतान का बटन हस्तक्षेप पर लगा है ) तुरंत आनलाइन अपना सबसक्रिप्शन “हस्तक्षेप” के लिए भेज दें।


