पंजाब : भगतसिंह की किताब रखने पर 'जनचेतना' के पुस्तक केन्द्र पर हिन्दुत्ववादी फ़ासिस्टों का हमला
पंजाब : भगतसिंह की किताब रखने पर 'जनचेतना' के पुस्तक केन्द्र पर हिन्दुत्ववादी फ़ासिस्टों का हमला
पंजाब : भगतसिंह की किताब रखने पर 'जनचेतना' के पुस्तक केन्द्र पर हिन्दुत्ववादी फ़ासिस्टों का हमला
भगतसिंह और राधामोहन गोकुलजी की पुस्तकों के प्रचार-प्रसार का विरोध
आनंद सिंह की रिपोर्ट
पिछली 2 जनवरी को प्रगतिशील व क्रान्तिकारी साहित्य के प्रचार-प्रसार को समर्पित संस्था ‘जनचेतना’ के पंजाबी भवन, लुधियाना स्थित पुस्तक वितरण केन्द्र पर हिन्दुत्ववादी फ़ासिस्टों ने हमला बोल दिया। उन्होंने ‘जनचेतना’ पर तोड़फोड़ और आग लगाने की भी कोशिश की।
उन्होंने जनचेतना केन्द्र की प्रबंधक बिन्नी के साथ गाली-गलौज और बदसलूकी भी की। हालाँकि घटना के समय घटनास्थल पर पुलिस मौजूद थी, लेकिन वह मूकदर्शक बनी रही।
कट्टरपन्थी संगठनों के दबाव में पुलिस ने बिन्नी, ‘जनचेतना’ के कार्यकर्ता सतबीर और वहाँ मौजूद ‘टेक्सटाइल हौज़री कामगार यूनियन’ के कार्यकर्ता लखविंदर और समर को हिरासत में ले लिया।
पुलिस ने हिन्दू कट्टरपंथियों के दबाव में 'जनचेतना' के पुस्तक विक्रय केन्द्र को सील भी कर दिया।
घटना का पता चलने के बाद बड़ी संख्या में विभिन्न जनसंगठनों तथा यूनियनों के कार्यकर्ता और समर्थक भी जनचेतना के समर्थन में थाने पर पहुंच गये जिनके दबाव में आकर पुलिस को हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं को रिहा करना पड़ा।
हिन्दुत्ववादी गुण्डों ने पुलिस में यह शिकायत दर्ज़ करायी थी कि जनचेतना ‘’हिन्दू-विरोधी साहित्य’’ के माध्यम से ‘’युवाओं के बीच भारत-विरोधी विचारधारा का प्रचार-प्रसार’’ कर रही है।
उन्होंने जनचेतना केन्द्र से भगतसिंह के प्रसिद्ध लेख ‘‘मैं नास्तिक क्यों हूँ’’ और राधामोहन गोकुलजी की पुस्तिका ‘’ईश्वर का बहिष्कार’’ उठाकर पुलिस को सौंपी और माँग की कि जनचेतना पर ‘‘नास्तिकता फैलाने’’ और ‘‘धार्मिक भावनाओं को भड़काने’’ के लिए एफआईआर दर्ज़ किया जाए।
अगले दिन 3 जनवरी को लुधियाना के विभिन्न क्रान्तिकारी-जनवादी संगठनों के आह्वान पर सैंकड़ों मज़दूरों, नौजवानों, छात्रों, जनवादी कार्यकर्ताओं ने पुलिस थाना डिवीज़न नम्बर 5 का घेराव करके ज़ोरदार प्रदर्शन किया और माँग की कि 2 जनवरी को 'जनचेतना' के पंजाबी भवन, लुधियाना स्थित पुस्तक विक्रय केन्द्र पर हमला करने वाले हिन्दुत्ववादी गुण्डों को गिरफ़्तार किया जाए।
क्रान्तिकारी-जनवादी संगठनों ने माँग की है कि हमलावरों का साथ देने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाए।
हिन्दुत्ववादी संगठनों द्वारा शहर का माहौल खराब करने का सख्त नोटिस लेते हुए माँग की गई है कि लोगों को धर्म के आधार पर बाँटने-लड़वाने वाले संगठनों पर पाबन्दी लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाए।
मौके पर पहुँचे ए.सी.पी. द्वारा दोषियों के खिलाफ़ कार्रवाई के लिए 24 घण्टे का समय माँगे जाने के बाद धरना खत्म किया गया। 24 घण्टों के भीतर ठोस कार्रवाई न किये जाने की सूरत में संघर्ष तीव्र करने की चेतावनी दी गई। जुझारू प्रदर्शन के दबाव में पुलिस ने केन्द्र की चाभियाँ प्रबन्धकों को सौंप दी। थाने पर प्रदर्शन के बाद शामिल लोगों ने जनचेतना, पंजाबी भवन तक पैदल मार्च किया और जोशीले नारों के साथ केन्द्र को पुनः खोला गया।
प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि शहीद भगत सिंह और राधामोहन गोकुल का साहित्य वर्षों से देश भर में छप रहा है। जनचेतना पर हमला पूरे क्रान्तिकारी-जनवादी आन्दोलन पर हमला है। इन किताबों और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना अभिव्यक्ति की आज़ादी और जनवादी अधिकारों पर हमला है।
प्रदर्शन को जनचेतना, लुधियाना की प्रबन्धक बिन्नी, टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष लखविन्दर, नौजवान भारत सभा के संयोजक कुलविन्दर और कार्यकर्ता अजयपाल, इंकलाबी केन्द्र पंजाब के राज्य समिति सदस्य सुखदेव भूंदड़ी, पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन के कर्मजीत, कारखाना मज़दूर यूनियन के राजविन्दर, डैमोक्रेटिक लायर्ज ऐसोसिएशन के हरप्रीत जीरख, डैमोक्रेटिक इम्पलाइज फ्रण्ट के रमनजीत संधू, तर्कशील सोसाइटी पंजाब के सतीष सचदेवा, मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज यूनीयन के अध्यक्ष विजय नारायण, लोक एकता संगठन के अध्यक्ष गल्लर चौहान, आदि ने सम्बोधित किया।


