पंद्रह लाख टके का सूट है भव्य राममंदिर इन दिनों
पंद्रह लाख टके का सूट है भव्य राममंदिर इन दिनों
पंद्रह लाख टके का सूट है भव्य राममंदिर इन दिनों
आतंकियों को मारने के लिए आतंकी बनाना अच्छा: पर्रिकर
दैनिक हिंदुस्तान की खबर हैः रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आतंकवाद के खात्मे को लेकर बड़ा बयान दिया है। पर्रिकर ने कहा कि आतंकियों को मारने के लिए आतंकी बनाने में क्या बुराई है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि, कई लोग पैसों के बहकावे में आकर आतंकवादी बन जाते हैं। अगर ऐसे लोग हैं, तो फिर हम उनका इस्तेमाल क्यों नहीं करें।
कौन है आतंकवादी और कौन नहीं हैं आतंकवादी,कुछ खुलासा कर दें रक्षामंत्री तो इस देश के बेगुनाह नागरिकों और नागरिकाओं को अपनी सुरक्षा का इंतजाम कर लेने में सहूलियत होगी।
कि झीलों और समुंदरों की गहराइयों से मौसम की जमीं पर होने लगी है अग्निवर्षा
राष्ट्र को क्यों होगी मनुष्यता और सभ्यता की दरकार
राष्ट्र है इन दिनों सबसे बड़ा बाजार कि
ওরা রাষ্ট্র বোঝে, মানুষ বোঝে না!...
http://www.prothom-alo.com/opinion/article/533797
ওরা রাষ্ট্র বোঝে, মানুষ বোঝে না!
মহাপুরুষেরা চিরকাল বলে এসেছেন, ভালোবাসো। অন্তর থেকে বিদ্বেষ বিষ নাশো। কিন্তু মাটি আর বায়ুতে বিষ ছড়ায় যারা, তাদেরও কি ভালোবাসতে হবে? ভগবান কি তাদেরও ক্ষমা করবেন?প্রিয় রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর, আপনি লিখেছিলেন ‘প্রশ্ন’ নামের কবিতায়।আজকে প্রিয় কবি, আপনাকেই আমি চিঠি লিখি। আমি...
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अश्वमेध के घोड़े दौड़ रहे हैं सरपट
उनके टापों में दुनिया का भूगोल उथल पुथल
अब सिर्फ खून की नदियां रह गयीं बिन बंधी
बाकी सारा जहां डूब है इन दिनों
इजाजत नहीं है जीने की या मरने की भी
उन तमाम लोगों के लिए जो
जुल्मोसितम के बंदोबस्त के मुताबिक न चले
और वतनफरोशों को नंगा देख लें
घुटने लगी हवाओं की सांसें इन दिनों
और पानियों में है बेपनाह जहर का सिलसिला
चियारिनों का जलवा बेइंतहा सिलसिला
और अजबोगजब उनकी लीला
पंद्रह लाख टके का सूट है
भव्य राममंदिर इन दिनों
रामायण मंदिर इन दिनों
मकड़ियों का रक्तबीज है
बजरंगियों का यह सैलाब
हिंदू साम्राज्यवाद का
नजारा यह कि अब
मकड़जाल है देश
दिखाओ भइये और दिखाओ
कयामत का मंजर यह
फाइव जी तमाशा है इन दिनों
जनाजा निकला कहीं तो
राजधानियों में कार्निवाल
का बहाना है इन दिनों
बाकीर टू मिनट्स नूडल है
गूगल का रोज बदलता डूडल है
या फिर जहर जो जहमोहरा
वैसा शीतलपेय है
यमुना एक्सप्रेसवे पर उतारा मिराज को
और अब बहुत दूर भी नहीं है
मध्यपूर्व का तेलयुद्ध
चूंकि भारत अब महाभारत है
विनाशकारी पौधे कहीं नहीं हैं
सारी झीले टूटने को कसमसा
रही है नैनीताल वालों और
आपातकाल कहीं नहीं है
सिर्फ सलवा जुड़ुम आफसा
का केसरिया कारपोरेट राज
और बाकीर वहीं
अमेरिकी इजराइली
आतंक के विरुद्ध युद्ध
आसमान से बरसने लगे हैं
आग के गोले दनादन
असमय शिलावृष्टि का
वातानुकूलित समय
पलाश विश्वास


