मुल्ला नसरुद्दीन की नई कहानी - गधा New Story of Mulla Nasruddin - Donkey

मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी (Mullah Nasruddin Kahaniya) अद्भुत कहानी है। वह कहानी पुरानी हो गयी है, लेकिन भाव वही है। इस नयी कहानी के पात्र बदले हैं, मंशा वही है, बातें वही हैं, अर्थ वही है लेकिन सन्दर्भ नया है।

2014 में संसदीय चुनाव हुए। मुल्ला नसरूद्दीन की तरह चुनाव प्रचार होता है - पद्रह-पंद्रह लाख प्रति नागरिकों को काला धन लाकर दिया जायेगा। जनता के अच्छे दिन आयेंगे, एक सैनिक के सर के बदले चार सर लाये जायेंगे।

यह सब बातें कहने वाले पहले ब्रिटिश साम्राज्यवाद के नौकर थे, अब अमेरिकी साम्राज्यवाद के नौकर हैं।

हमारे समाज की कहावत है कि बाप न मारिन पेडू की-बेटा तीरंदाज। वही हालात पहले अंग्रेजों के रहे गधे और अब अमेरिकियों के रहे गधे अफवाहबाजी करके, झूठ बोल कर, फेंकने की कला में माहिर नागपुरियों ने देशभक्ति और राष्ट्रभक्ति का जो प्रमाण पत्र जारी करना शुरू किया तो स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। सारे देशद्रोही रत्न होते जा रहे हैं और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ जेलों में रहने वाले लोग देशद्रोही की भूमिका में किया जा रहा है।

जनता को गधा मत समझो Don't consider the public an ass.

अभी जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के संभावित कुलपति Probable Vice Chancellor of Jawaharlal Nehru University) ने ट्विटर पर आरोप लगाया कि जेएनयू नक्सलियों, कम्युनिस्टों, और राष्ट्रद्रोहियों को अड्डा रहा है।

The said leader, who took refuge in the CIA headquarters during the Emergency, did not read Mulla Nasruddin

शायद आपातकाल के दौरान सीआईए मुख्यालय में शरण लेने वाले उक्त नेता ने मुल्ला नसरुद्दीन को नहीं पढ़ा है। अगर पढ़ा होता तो यह बात वह नहीं करते, जनता सब समझती है, गलतियां होती हैं। जनता गलतियाँ सुधारती भी है, जनता को गधा मत समझो।

The traitor cannot be a patriot. क्या राष्ट्रद्रोही देशभक्त नहीं हो सकता ?

राष्ट्रद्रोही देशभक्त नहीं हो सकता है, यही कारण है कि हर बात को तोड़-मरोड़ कर पेश करने से अंग्रेजों की गुलामी को जनता माफ़ नहीं कर देगी और इस समय जो अमेरिकी गुलामी का दौर ला रहे हैं, उन्हें भी जनता माफ़ नहीं करेगी।

पुरानी कहानी नयी कहानी को दोहरा रही है। हम जो भी वादा पूरा करेंगे 2019 के बाद करेंगे।

मुल्ला नसरूद्दीन की पुरानी कहानी को नए सन्दर्भों में देखा जाना चाहिए। मुल्ला नसरुद्दीन जालिमों के खिलाफ लड़ने के लिए गधे को गधा बनाता था लेकिन यह लोग अमेरिकी गुलामी करने के लिए जनता को गधा समझने की भूल कर रहे हैं, लेकिन वह यह नहीं समझते हैं कि पहले अँगरेज़ उन्हें अपना गधा समझते थे और अब अमेरिकी।

मुल्ला नसरूद्दीन की पुरानी कहानी – गधा Old Story of Mulla Nasruddin – Donkey.

नसरुद्दीन समझाने लगा, ‘यह कोई मामूली गधा नहीं है। अमीर का गधा है।

एक दिन अमीर ने मुझे बुलाकर कहा,

‘क्या तुम मेरे गधे को धर्म-कर्म सिखा सकते हो, ताकि वह भी उतना ही सीख जाए, जितना मैं जानता हूँ।‘

मैंने गधे को देखकर कहा, ‘महान अमीर, यह गधा उतना ही बुद्धिमान है, जितने आप हैं, या आपके वज़ीर लेकिन इसे दीनियात सिखाने में बीस बरस लगेंगे।

अमीर ने ख़जाने से सोने के पाँच हज़ार टके मुझे दिलवाकर कहा,

‘गधे को ले जाओ और पढ़ाओ। अगर यह बीस साल के बाद दीनियात न सीख पाया और इसे कुरान जबानी याद न हुई तो मैं तुम्हारा सिर कटवा दूँगा।’

कहवाख़ाने के मालिक ने कहा,

‘तो तुम अपने सिर को अलविदा कह लो। गधे को दीनियात और कुरान पढ़ते क्या किसी ने देखा-सुना है?’

‘बुखारा में ऐसे गधों की कमी नहीं है। मुझे सोने के पाँच हजार तंके चाहिए और ऐसे अच्छे गधे रोज़-रोज़ तो मिलते नहीं। मेरे सिर के कटने की फ़िक्र मत करो दोस्त। क्योंकि बीस सालों में हम में से एक-न-एक ज़रूर मर जाएगा। या तो मैं, या अमीर का यह गधा। और तब यह पता लगाने में बहुत देर हो चुकी होगी कि दीनियात जानने वाला सबसे बड़ा विद्वान कौन है।’

कहवाख़ाना ज़ोरदार क़हक़हों से गूँज उठा। मालिक नमदे पर गिर गया। हँसते-हँसते उसके पेट में बल पड़ गए। आँसुओं से भीग गया। वह बहुत ही हँसोड़ और खुशमिजाज था। हँसते हुए बोला,

‘सुना तुमने, हा-हा तब तक यह जानने के लिए बहुत देर हो चुकी होगी कि इससे बड़ा आलिम (विद्वान) कौन है-हा-हा-हा।’

रणधीर सिंह सुमन