नई दिल्ली : बढ़ती उम्र के साथ, हिप या कूल्हे की समस्या (Hip problem) से कई लोगों को अक्सर उलझना पड़ता है, हालांकि अब तक हिप प्रत्यारोपण (Hip implants) बिल्कुल असंभव माना जाता रहा है, लेकिन दिन प्रतिदिन आती नई-नई तकनीकों की मदद से अब हिप रिप्लेसमेंट काफी कारगर साबित हो रहा है। नवीनतम तकनीक की सहायता से हिप को बदलना संभव व सहज हो गया है।

मुंबई स्थित पी डी हिंदुजा नेशनल हॉस्पीटल के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के हेड डा. संजय अग्रवाला के अनुसार हिप का प्रत्यारोपण पूर्णत: सुरक्षित और कामयाब है। वास्तव में कार्टिलेज, लिगामेंट्स और मांशपेशियों से घिरे होने के कारण हिप में भार वहन करने की क्षमता शरीर के अन्य सभी जोड़ों से अधिक होती है।

डा. संजय अग्रवाला के अनुसार कार्टिलेज अत्यंत लचीला होता है जिसके कारण चलने-फिरने में किसी तरह का दर्द नहीं होता है। खास बात तो यह है कि हिप का प्रत्यारोपण अब तक विदेश में ही संभव था लेकिन अब यह भारत में भी सफलतापूर्वक किया जा रहा है जिसके चलते इसका खर्च भी कम आता है।

डा. संजय अग्रवाला का कहना है कि नई सर्जरी के दौरान ‘मेटल-ऑन-मेटल टोटल हिप प्रोस्थेसिस (कृत्रिम हिप सर्जरी) पोलिथीन पर धातु के रूप में एक वैकल्पिक सहनीय सिस्टम के रूप में प्रस्तुत किया गया है। मेटल-ऑन-मेटल टोटल हिप ज्वांइट्स की सतह बहुत सहनीय योग्य हो जाती है और साधारणत: इसमें बड़े व्यास के साथ गोलाकार संघटन भी होता है। इस प्रकार के बड़े व्यास की रचना का लाभ यह है कि टोटल हिप ज्वांइट में गड़बड़ी होने का जोखिम बहुत निम्र होता है।’

डा. संजय अग्रवाला का कहना है कि यह भारतीय स्थितियां जैसे कि भारतीय लोगों द्वारा टांगों पर टांगे चढ़ाकर बैठना, आलथी-पालथी मारकर बैठना और यहां तक कि भारतीय संस्कृति के रितिरिवाजों के चलते यह सर्जरी बहुत उपयुक्त है। इस सर्जरी के बाद मरीजों पर जो क्रिया करने से प्रतिबंध लगे होते हैं, वह सब हट जाते हैं क्यों कि इसमें गड़बड़ी होने के कम खतरे होते हैं। यह प्रक्रिया बिना किसी अव्यवस्था के जोखिम के खेलकूद की क्रियाओं में सम्मिलित मरीजों के लिए बहुत ही लाभदायक है।