पुनर्वास न दिये जाने के विरोध में इच्छा-मृत्यु माँगेंगे ऊर्जांचलवासी
पुनर्वास न दिये जाने के विरोध में इच्छा-मृत्यु माँगेंगे ऊर्जांचलवासी

सिंगरौली परिक्षेत्र में विकराल रूप धारण कर रहे प्रदूषण की समस्या से लोग आजिज
ऊर्जान्चल में दशकों से अपने साथ हो रहे शोषण से कराह रही आम जनता ने अपनी लड़ाई अपनी बदौलत लड़ने का किया फैसला...
ऊर्जान्चल की ग्रामीण जनता से बिजली विभाग कर रहा है बिजली बिल के नाम पर लूट
पंकज कुमार मिश्रा
सोनभद्र। दशकों से ऊर्जान्चल के लाखों दलित-आदिवासी किसानों व रहवासियों के साथ हो रहे ऐतिहासिक अन्याय के विरूद्ध क्षेत्र की आम जनता 29 दिसम्बर से सत्याग्रह के माध्यम से अपनी लड़ाई शुरू करने जा रही है। इस सत्याग्रह में प्रमुख रूप से ऊर्जान्चल के ग्रामीण जनता से बिजली विभाग द्वारा की जा रही बिजली बिल के नाम पर लूट, सिंगरौली परिक्षेत्र में विकराल रूप धारण कर रहे प्रदूषण की समस्या और अनपरा तापीय परियोजना से प्रभावित विस्थापित परिवारों के साथ हो रहे अन्याय के मुद्दे उठाये जायेंगे।
कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया कि ऊर्जान्चल क्षेत्र की 95 प्रतिशत भूमि विद्युत उत्पादन परियोजनाओं तथा एनसीएल की कोयला परियोजना व बहुउद्देशीय परियोजना रिहन्द जलाशय हेतु अधिग्रहित की गई है। इन सभी परियोजनाओं का उद्देष्य राष्ट्र के लिये ऊर्जा का उत्पादन करना है। इन्हीं परियोजनाओं के कारण क्षेत्र के 95 प्रतिशत परिवार तीन दशक पूर्व ही भूमिहीन हो चुके थे, परन्तु दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूरे राष्ट्र में विद्युत उत्पादन के लिये सबसे ज्यादा अपनी शहादत देने वाला ऊर्जान्चल का ग्रामीण पिछले तीन वर्षो से बिजली बिल के नाम पर विद्युत विभाग के लूट का शिकार हो रहा है वहीं क्षेत्र के कई गाँव जहाँ बिजली अब तक मयस्सर नहीं है। जहाँ एक ओर प्रदेश के इटावा, कन्नौज व मैनपुरी तथा बुन्देलखण्ड पैकेज के अन्तर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में 24 से 18 घण्टे विद्युत आपूर्ति की जा रही है और उनसे बिजली का बिल ग्रामीण उपभोक्ताओं की भाँति 445 से 517 रूपये तक लिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर ऊर्जान्चल के ग्रामीणों को 16 से 18 घण्टे विद्युत आपूर्ति की जा रही है और बिजली की बिल ग्रामीण उपभोक्ताओ से 1718 रूपये लिया जा रहा है। बिजली बिल इसी बेतहाशा तरीके से बढ़ते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब वर्ष 2015 तक 5000 रूपये तक बिजली बिल वसूला जायेगा जिससे ऊर्जान्चल की 80 प्रतिशत आबादी विद्युत सुविधा से वंचित हो जायेगी।
दूसरी ओर महत्वपूर्ण है कि विगत पाँच वर्षो में प्रदूषण की समस्या ने सिंगरौली परिक्षेत्र में विकराल रूप धारण कर लिया है और यह परिक्षेत्र दुनिया के सबसे प्रदूषित क्षेत्र बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। सिंगरौली परिक्षेत्र के हवा एवं पानी में प्रदूषण के कारण जान-लेवा व हानिकारक तत्व मानक से कई गुना ज्यादा हो चुके हैं, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा भी सिंगरौली परिक्षेत्र को हिन्दुस्तान के सबसे प्रदूषित क्षेत्र में शुमार किया गया है। परन्तु दुर्भाग्पूर्ण है कि प्रदूषण नियंत्रण के जिम्मेदार संस्थायें व अधिकारी अपने निजी हितों के आगे प्रदूषण की कीमत पर लाखों लोगों को मौत के मुँह में झोंक रहे हैं। जिससे सिंगरौली परिक्षेत्र के लाखों लोगों में घोर आक्रोश है, जिस विषय को प्रमुखता से इस आन्दोलन में उठाया जायेगा।
अनपरा तापीय परियोजना के लिये अधिग्रहित की गई भूमि के तीन दशक बीत जाने के बावजूद भी भूमि के बदले हजारों आदिवासी-दलित किसानों को प्रतिकर, पुनर्वास एवं पुर्नस्थापन लाभ परियोजना व उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नहीं दिया गया है। जबकि तीन दशक बाद मा. सर्वोच्च न्यायालय ने विस्थापितों के साथ हुए तीन दशकों के ऐतिहासिक अन्याय को देखते हुए 02 मार्च, 2012 को एसएलपी (सिविल), 27062/2009, सहयोग सोसाइटी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार एवं अन्य में पारित अपने आदेश में उत्तर प्रदेश में प्रभावी वर्तमान पुर्नवास एवं पुर्नस्थापन नीति के अनुसार समस्त लाभ दिये जाने का आदेश पारित किया गया था, परन्तु उक्त आदेश के बाद भी विस्थापितों के साथ हो रहे ऐतिहासिक अन्याय का अन्त नहीं हो पा रहा है। वहीं अनपरा ए, बी, सी एवं डी परियोजनाओं में विस्थापित परिवार के सदस्यों को ठेकेदारी कार्यों में 50 प्रतिशत रोजगार के आरक्षण की माँग को भी बुलन्द किया जायेगा।
आयोजकों ने बताया कि यह आन्दोलन एक गैर राजनीतिक जन-आन्दोलन है, जिसमें हजारों लोग सड़क पर उतरकर अपनी आवाज बुलन्द करेंगे। सत्याग्रह आन्दोलन के प्रथम चरण में 29 दिसम्बर को डिबुलगंज से 12:00 बजे दिन से पदयात्रा शुरू होगी, थाना-अनपरा पुहँचकर नेहरू चौक पर आम सभा के बाद हजारों लोगों द्वारा अपना-अपना ज्ञापन सौंपा जायेागा व विस्थापितों की ओर से महामहिम राष्ट्रपति को इच्छा-मृत्यु की अनुमति हेतु ज्ञापन सौंपा जायेगा। आन्दोलन के दूसरे चरण में 27 से 29 जनवरी, 2014 तक मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व विजली विभाग के आला-अधिकारियों को हजारों लोग सीधे फोन व मेल भेजकर पुनः अपनी समस्याओं से अवगत करायेंगे, आन्दोलन के तीसरे चरण में 30 जनवरी, 2014 से हजारों की संख्या में विस्थापित व प्रदूषण व बिजली बिल की समस्या से परेशान आम जनता अपने-अपने घर के समक्ष सपरिवार अनिश्चित कालीन उपवास पर बैठेंगे। आयोजकों ने आम लोगों से अपील की है अपने-अपने स्तर पर इस सत्याग्रह आन्दोलन को सफल बनाने में सहयोग करे व इसका प्रचार-प्रसार करें।


