अजीत सिंह यादव, आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ ) की ओर से 16जून को जगेन्द्र की हत्या की पड़ताल के लिए खुटार गए थे। जगेन्द्र के परिजनों व अन्य लोगों से उन्होंने घटना की जानकारी ली थी। पूरे घटनाक्रम का बारीकी से अध्ययन करने के बाद जो तथ्य उनके संज्ञान में आए, उनसे जाहिर होता है कि जगेन्द्र ने आत्महत्या नहीं की व स्वयं खुद को आग नहीं लगाई।

जगेन्द्र की हत्या को आत्महत्या साबित करने की पुलिस की कहानी सवालों के घेरे में
शहाजहांपुर के पत्रकार जगेन्द्र हत्याकाण्ड में अखबारों में खबर आई कि पुलिस के सामने जगेन्द्र की महिला मित्र ने बयान दिया है कि जगेन्द्र ने खुद अपने को आग लगाई किसी ने जलाया नहीं व जगेन्द्र ने आत्महत्या की। पुलिस ने शाहजहांपुर की अदालत में भी उस महिला का बयान करा दिया है। अनुमान है कि उसने जो बयान पुलिस को दिया है, वही बयान अदालत में भी दिया होगा। यह अनुमान उक्त महिला के वकील वीरेन्द्रपाल सिंह चौहान का है जो अदालत में उसके साथ हुए सामूहिक बलात्कार का मुकदमा लड़ रहे हैं। यह वही मुकदमा है, जिसमें महिला ने मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा व उनके गुर्गों पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया था। पुलिस के रिपोर्ट न दर्ज करने पर अदालत का सहारा लिया गया था। जगेन्द्र व उक्त वकील साहब ने महिला की मदद की।
वकील साहब का कहना है कि वह अदालत में महिला से मिलने गए थे, लेकिन वह उनसे नहीं बोली। उनका अनुमान है कि महिला मुल्जिमानों के पक्ष में बयान दे गई है। महिला पुलिस कस्टडी में थी, इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि महिला घटना से मुकर गई है। उसके दिए बयान की जो भी असलियत हो वह तो बयान खुलने पर ही पता चलेगी।
लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से जगेन्द्र की हत्या को आत्महत्या साबित करने की जो कहानी पुलिस गढ़ने की कोशिश कर रही है, वह सवालों के घेरे में आ गई है।

जगेन्द्र की हत्या बिन्दुवार तथ्य -
1. सबसे पहला तथ्य जो साबित करता है कि जगेन्द्र ने खुद आग नहीं लगाई, वह जगेन्द्र के शरीर का वह हिस्सा है जो जला है। जगेन्द्र का नाभि से ऊपर धड़ का हिस्सा जला है, जबकि नाभि के नीचे एकदम नहीं जला। आप देख सकते हैं अस्पताल में इलाज के दौरान जगेन्द्र पैंट पहने हुए हैं। यदि वह आत्महत्या करने के लिए खुद अपने ऊपर पैट्रोल डालते तो खड़े होकर डालते तब पैट्रोल की कुछ बूंदें ढुलक कर उनकी पैंट पर जरूर पडतीं और आग लगने पर पैंट भी जलती। यानि पैर भी जलते, लेकिन यहां जगेन्द्र का केवल धड़ जला है। जाहिर है लेटे होने पर पैट्रोल डाले जाने पर ही यह सम्भव है। अब कोई आत्महत्या करने वाला लेटकर केवल अपने पेट व सीने पर पैट्रोल डाल कर आग लगाएगा, यह समझ से परे है। यह साफ समझ में आता है कि जगेन्द्र को जमीन पर पटक कर किसी अन्य ने ही उनके ऊपर पैट्रोल डाला जिसके चलते पैट्रोल पैरों पर नहीं गया और आग भी लगा दी।
2. दूसरा तथ्य यह है कि 1 जून को जगेन्द्र शाहजहांपुर के अपने घर में थे व अंदर से गेट का ताला लगा हुआ था। घटना के बाद गेट का ताला खोलकर उन्हें नहीं निकाला गया बल्कि किबाड़ें तोड़ी गईं। यदि वह महिला जगेन्द्र के साथ पहले से घर में थी तो उसे यह भी पता होना चाहिए था कि जगेन्द्र ने गेट का ताला लगा कर चाभी कहां रखी है। तब घटना के बाद गेट तोड़कर जगेन्द्र को नहीं निकाला जाता।
इससे जाहिर होता है कि जगेन्द्र ने जब गेट का ताला लगाया तब अंदर वह महिला नहीं थी।
3. यदि उनकी महिला मित्र पहले से ही अन्दर थी व उसके सामने जगेन्द्र ने खुद आग लगाई तो उसने आग लगाने से रोकने व आग बुझाने की कोई कोशिश क्यों नहीं की ? जबकि जगेन्द्र उसकी इतनी मदद करते थे तो वह जगेन्द्र को जलते हुए खड़ी देखती क्यों रही ?
जाहिर है, यदि वह जगेन्द्र के आग लगते समय वहां थी, तो वह स्वतंत्र नहीं थी, किसी अन्य के कब्जे में थी इसीलिए जगेन्द्र की आग बुझाने की कोशिश नहीं कर सकी।
4. यदि पुलिस की कहानी सही है तो जगेन्द्र के जलने पर वहां तुरंत पुलिस कैसे पहुँच गई?
5. यह भी मान लें कि पुलिस o1जून को जगेन्द्र के जलने के बाद पहुँची और जगेन्द्र को अस्पताल में भर्ती कराने ले गई, तो यह जानते हुए भी कि जगेन्द्र ने आत्महत्या की है, उसके मरने के बाद 09जून को जलाकर मारने की एफआईआर क्यों दर्ज की। इस दौरान पुलिस ने महिला का बयान अदालत में क्यों नहीं कराया।
6. यदि पुलिस इतनी निष्पक्ष है तो उसने जगेन्द्र पर कुछ दिन पहले हुए हमले की घटना पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की, जबकि नामजद एफआईआर दर्ज थी।
इन तथ्योंं से मेरी समझ बनती है कि जगेन्द्र ने खुद आग नहीं लगाई, न ही आत्महत्या की है। जगेन्द्र को आग लगाई गई है। जगेन्द्र की महिला मित्र ने 1जून को घटना के बाद जो बयान दिया था, वही सही प्रतीत होता है। यदि उसने बयान बदला है तो किसके दबाब में बदला होगा, यह समझा जा सकता है।
अब जबकि पुलिस इस मामले को आत्महत्या साबित कर दोषियों को क्लीन चिट देने की साजिश कर रही है, सभी इंसाफ पसंद लोगों का कर्तव्य है कि जगेन्द्र को इंसाफ दिलाने के लिए मुहिम को मंजिल तक पहुँचायें।
अजीत सिंह यादव