कुमार कृष्णन
नई दिल्ली। भारत में जल सुरक्षा हेतु आयोजित नदी पुनर्जीवन सम्मेलन में आये देश भर के नदी प्रेमियों ने सामूहिक रूप से तय किया कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सामुदायिक सहयोग से नदी पुनर्जीवन का कार्य किया जायेगा। इसके लिए देश के सभी राज्यों में जुलाई से अगस्त के बीच में यात्राऐं आयोजित की जायेंगी। नदी पुनर्जीवन के बारे में देश भर में लोक शिक्षण के कार्य से एनएसएस, एनसीसी से जुड़े एक करोड़ युवाओं को नदी पुनर्जीवन के कार्य संवेदित करने का कार्य किया जायेगा। 11 जुलाई को नदी पुनर्जीवन के ऊपर प्रेस एवं जन प्रतिनिधियों के साथ कांस्टीटयूशन क्लब में संवाद आयोजित किया जायेगा। देश भर में पानी के आंदोलन को आगे ले जाने के लिए किसानों को जागरूक करने का कार्य किया जायेगा।
दो दिनों के सम्मेलन मे पेयजल के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बनाने के लिए सदन में आम राय से प्रस्ताव पारित हुआ। शीघ्र ही देश भर में नवनिर्वाचित सांसदों को इस संदर्भ में अपने-अपने क्षेत्रों में जल-जन जोड़ो अभियान के कार्यकर्ताओं द्वारा ज्ञापन दिये जायेगे। जल-जन जोड़ो अभियान द्वारा तैयार किये गये जल सुरक्षा कानून के प्रारूप को संबंधित मंत्रालय को भेजे जाने का निर्णय लिया गया। देश भर के जल-जन जोड़ो, जल सहेलियों, पानी पंचायतों के कार्यकर्ताओं द्वारा इस बिल का प्रारूप तैयार किया गया है। इस बिल में पानी को मौलिक अधिकार बनाने की बात कही गयी है। जीने के लिए पानी का अधिकार आंदोलन का मुख्य मुददा रहेगा।
गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित दो दिनों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि गंगा, यमुना समेत देश की सभी प्रमुख एवं छोटी-बड़ी नदियों को प्रदूषण मुक्त कर अतिक्रमण हटाया जायेगा। देश की जनता के साथ-साथ पशु पक्षियों को भी शुद्ध पानी एवं पर्यावरण मुहैया कराना हमारा मुख्य उददेश्य है। स्व गोपीनाथ मुंडे ने जो जल संरक्षण का सपना देखा था। उसे हमारी सरकार पूरा करेगी। इस सम्मेलन में नदियों की निर्मलता, जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण सवाल पर चर्चा हुई।
श्री गडकरी ने कहा कि सरकार देशभर में चेक डैमों का निर्माण कर जल संरक्षण को उच्च प्राथमिकता देगी। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण प्रणाली से पानी मिलने पर खेतों में उत्पादकता तीन गुणा बढ़ जाएगी। इसके अलावा करीब 50 लाख युवा लोगों को रोजगार मिलेगा तथा गरीबी दूर करने में सहायता मिलेगी। श्री गडकरी ग्रामीण विकास, पंचायती राज एवं पेय जल और स्वच्छता मंत्रालय के भी प्रभारी हैं। उन्होंने खासकर बंजर भूमि पर प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग करते हुए छोटी परियोजनाओं की आवश्यकता पर बल दिया। बड़े बाँधों में न केवल बड़ी पूंजी लागत आती है बल्कि इनमें भूमि अधिग्रहण, विस्थापन और समय पर पूरा करने की बाध्यता जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने कतहा कि जल परियोजनाओं के कार्य निष्पादन में देरी तथा भ्रष्टाचार को सहन नहीं किया जाएगा और लेखांकन एवं सामाजिक आर्थिक प्रभाव आकलन के अलावा कार्य आदेश के लिए ई-टेंडर तथा सेटलाइट आधारित निगरानी की जाएगी। श्री गडकरी ने कहा कि गांवों के विकास के लिए पानी मुहैया कराना बहुत जरूरी है और उन्होंने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि आजादी के 65 साल के बाद भी भारत के अधिकतर गांवों में जल का अभाव है या दूषित जल मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत की नदियों की सफाई के सभी प्रयास किए जाएंगे और उनका मंत्रालय गंगा और यमुना नदियों के लिए रोड मैप तैयार करने की प्रक्रिया में है। आगामी वर्षों में 01 लाख किलोमीटर राजमार्ग का निर्माण किया जाएगा तथा 200 करोड़ पेड़ सड़कों के किनारे लगाए जाएंगे। इसमें परियोजना के साथ मनरेगा को जोड़ा जाएगा और इससे करीब 30 लाख युवाओं को रोजगार हासिल होगा।
सम्मेलन में नितिन गडकरी ने कहा कि दो सौ करोड़ फलदार वृक्ष राष्ट्रीय राजमार्गों व गांव को जोड़ने वाले सम्पर्क मार्गो में लगाये जायेंगे। जिसके माध्यम से गांव के 30 लाख लोगों को रोजगार दिया जायेगा। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि सरकार जल संरक्षण के छोटे-छोटे प्रकल्प (चैकडेम) तैयार करेगी। जिनके माध्यम से जल संरक्षण का काम प्राथमिकता से होगा और हर खेत को सिचाई के लिए पानी उपलब्घ होगा। चेक डैम और जल संरक्षण के कार्यो की निगरानी रखने के लिए सैटलाइट का प्रयोग कर भ्रष्टाचार को रोका जायेगा। जल संरक्षण में भूगर्भीय विज्ञान व पर्यावरणीय विज्ञान का उपयोग किया जायेगा। जिससे परती भूमि में जल संरक्षण होगा, कृषि का विकास होगा। उन्होंने कृषि में टपक सिचाई को बढावा देने की बात कही। कहा कि ज्ञान विज्ञान का उपयोग गरीबी को दूर करने में किया जायेगा। भ्रष्टाचार को किसी भी स्तर पर सहन नहीं किया जायेगा। सरकार समाज के अंतिम व्यक्ति की अवधारणा पर काम करेगी। उन्होंने कहा कि हर गांव व खेत को पानी देना सरकार की प्राथमिकता में है।
भारत सरकार के ग्रामीण विकास, पेयजल, पंचायती राज एवं सड़क परिवहन मंत्री गड़करी ने स्वं गोपीनाथ मुंडे को श्रृद्धांजलि अर्पित की। स्व. मुंडे ने 13-14 जून को जल पुरूष राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में नदी पुनर्जीवन राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन तय किया था। जिसमें उन्होंने देश भर से नदियों और पानी पर काम करने वाले लोगों को बुलाया गया था। मुंडे जी ने इस काम की जिम्मेदारी भाजपा के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री पासा पटेल को सौपी थी। स्व. गोपी नाथ मंडे जी के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम पेयजल सुरक्षा हेतु नदी पुनर्जीवन सम्मेलन को जल-जन जोड़ो अभियान द्वारा आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के संदर्भ में जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि देश का विकास तभी होगा जब प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के गरिमा सहित शुद्ध पानी उपलब्ध हो। इसके लिए भारत में नदियों की निर्मलता और अविरलता आवश्यक है। उन्होंने अपने जीवन के 30 वर्षो में राजस्थान जैसे सूखे इलाके में सात नदियों को जन सहयोग से जीवित किया है। इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए पासा पटेल ने कहा कि जल के संरक्षण से ही किसानी और जवानी खुशहाल होगी। जिसका प्रयोग गोपीनाथ मुंडे जी ने राजेन्द्र सिह के नेतृत्व में अपने संसदीय क्षेत्र के 28 गांव पानीदार बनाये थे। उनका सपना था कि गांव के प्रत्येक नाले में वर्ष पर्यन्त पानी रहे जिसमें मानव और पशु खुशहाल होंगें। गांव में गाय और नीम के महत्व को पुनः बढ़ावा दिया जायेगा। गाय और नीम दोनों ग्रामीण परिवेश के लिए लाभकारी हैं। हम सबको को अपनी भूमिका तय करनी है और इस नदी पुनर्जीवन के अभियान को पानी का मौलिक अधिकार बनाने के लिए चरणबद्ध आंदोलन किया जायेगा। जो जनभागेदारी से संचालित होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व न्यायाधीश एवं लोकायुक्त छत्तीसगढ़ एसएन श्रीवास्तव ने की। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि देश में सभी नदियों को निर्मल और अविरल बनाया जाये। तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए उन्होंने अपने इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यकाल में उन्होंने 54 हजार तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराया था। उन आदेशों का अनुपालन करके सामाजिक लोगों को भी आगे करना चाहिए। तालाब बचेंगे तो नदियां भी बचेंगी।
प्रो0 विक्रम सोनी ने नदियों को निर्मल और अविरल बनाने के लिए अपने सुझाव रखे। उडीसा के सांसद एबी स्वामी ने छत्तीसगढ़ व उड़ीसा की नदियों के विवाद खत्म करने की बात रखी। आईआईएम के प्रो0 डीएन सेंगर ने नदियों के वैधानिक पक्ष को रखा। जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि यह सम्मेलन देश में नदी और पर्यावरण के संरक्षण के लिए नई सरकार के साथ संवाद स्थापित करने के लिए शुरू किया गया है। देश भर में जलवायु परिवर्तन से होने वाले प्रवाहों को रोकने के लिए जो सुझाव आयेंगे उनको सरकार के साथ संवाद स्थापित किया जायेगा। कार्यक्रम का संचालन जल-जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने किया। इस सम्मेलन में देश भर से आये 300 से अधिक जल संरक्षण कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की।
द्वितीय सत्र में विशिष्ट अतिथि दलित चिंतक एवं सांसद उदित राज ने कहा कि जब तक जनता जागरूक होकर नदियों के पुनर्जीवन के लिए आंदोलित नहीं होगी, तब तक सरकार की सभी योजनाएं पूर्ण रूप क्रियान्वित नहीं हो सकती हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने नदियों के उत्थान एवं विस्तार के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया है। हमारी सरकार का स्पष्ट मत है कि जब तक गंगा समेत देश की सभी नदियों को प्रदूषण एवं अतिक्रमण से मुक्त नहीं कराया जाता तब तक देश की जनता को शुद्ध पानी एवं हरियाली खेती संभव नहीं है।
सत्र की अध्यक्षता कर रहे ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट के पूर्व कुलपति डॉ. करूणाकरन ने कहा कि सरकार की नीतियों में सिविल सोसायटी की सहभागिता बहुत जरूरी है। देश के प्रांतों से निकलने वाली नदियों के जल बंटवारे को लेकर होने वाले झगड़े अब बंद होने चाहिए। सभी राज्यों को अपनी-अपनी नदियों के जल संरक्षण एवं उनकी पवित्रता को बनाये रखने की सार्थक पहल करनी चाहिए।
मानव अधिकार के लिए जन निगरानी समिति के संस्थापक सदस्य डॉ. लेनिन रघुवंशी ने कहा कि देश में पानी पर सभी का अधिकार है। इससे किसी को वंचित नहीं किया जा सकता। राज्य सरकारों को चाहिए कि वे केन्द्र सरकार की मदद से नदियों को प्रदूषण, अतिक्रमण मुक्त कराकर जल बंटवारे के झगड़ों के लिए कड़े कानून बनायें तभी नदियों का पुनर्जीवन एवं अविरल प्रवाह संभव हो सकेगा।
दूसरे भारत सरकार राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण विभाग की निदेशक रश्मि सिंह ने कहा कि नीर, नदी और नारी में गहरा संबंध है। महिलाओं के साथ भेदभाव खत्म किया जाना चाहिए तथा महिलाओं को पानी पर प्रथम अधिकार दिया जाना चाहिए।
भारत सरकार के पूर्व मंत्री आरिफ मो0 खान ने कहा कि नदियों के पुनर्जीवन व अविरलता आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। इसके लिए जो भी आंदोलन होगा उसमें मै हमेशा सहयोग करूगा।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं शिक्षाविद के. करूणाकरन ने कहा कि पेयजल स्वावलंबी अधिकार बने इसके लिए देश में जल सुरक्षा कानून का निर्माण आवश्यक है। जिससे राज्य और समाज का सदाचार बढ़े। रोटी कपड़ा और मकान से पहले पानी की आवश्कता होती है। इसलिए भारत में पेयजल सुरक्षा आवश्यक है। वनारस से आये डा0 लेनिन रघुवंशी ने कहा कि पानी में मानव प्रतिष्ठा का सिद्धांत है। प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा के साथ पानी मिले यह आवश्यक है इसके लिए चेतना पैदा करनी होगी। जल-जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा कि नदी पुनर्जीवन के इस अभियान को गांव-गांव तक ले जाया जायेगा। इसके लिए नदियों की मैपिंग की जायेगी। नदियों को प्रदूषित करने के लिए बढ़ते कचरे के प्रबंधन के लिए बायो कचरे का प्रबंधन करने के लिए विकल्प तलाशे जायेंगे। प्रत्येक वर्ष भारत में 2 प्रतिशत कृषि भूमि घट रही है। इसके प्रभाव को रोकने में नदी पुनर्जीवन एक महत्वपूर्ण आयाम हो सकता है।
इस अवसर पर योगी राज, डा0 विश्वपाल जैन, पंकज कुमार भारत की सभी नदियों को निर्मल, स्वच्छ बनाने की योजना तैयार की जा रही है। मेरठ से डा0 मेजर हिमांशु ने कहा कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ से हमें बचना होगा। जिसके लिए पर्यावरण संरक्षण आवश्यक है।