पैंथर्स पार्टी की गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सह-संस्थापक व निरस्त्रीकरण के चैम्पियन पंडित नेहरू को भावभीनी श्रद्धांजलि
पैंथर्स पार्टी की गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सह-संस्थापक व निरस्त्रीकरण के चैम्पियन पंडित नेहरू को भावभीनी श्रद्धांजलि
पैंथर्स पार्टी की गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सह-संस्थापक व निरस्त्रीकरण के चैम्पियन पंडित नेहरू को भावभीनी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली, 14 नवंबर, 2019. नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक और गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement) और विश्व शांति, प्रगति और मानवता के हित में पूर्ण निरस्त्रीकरण (Total disarmament,) के चैम्पियन प्रो. भीम सिंह ने आज गुटनिरपेक्ष आंदोलन और नेशनल लीगल एड कमेटी की एक बैठक को संबोधित करते हुए भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस (Birthday of India's first Prime Minister, Pandit Jawaharlal Nehru) के अवसर पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने भारतवासियों, समस्त गुटनिरपेक्ष देशों और विश्व के लोगों को विश्व शांति व पूर्ण निरस्त्रीकरण का स्पष्ट संदेश दिया, जो गुटरिपेक्षता की आवश्यकता के अर्थ को समझते हैं।
पैंथर्स सुप्रीमो ने कहा कि 1955 में बैंडंग में आयोजित गुटनिरपेक्ष देशों के सम्मेलन चीन ने भारत के साथ अपने ‘भाई, भाई‘ के नारे पर क्या विश्वासघात नहीं किया था। स्पष्ट है कि चीन ने 1962 में भारत पर आक्रमण किया और इसके बाद दुनिया का नक्शा और शांति की पहल पर गुटनिरपेक्ष आंदोलन के साथ पूरी दुनिया अलग-अलग तरीके से हावी हो गई थी। उन्होंने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू, जिनकी नेशनल कांफ्रेंस के नेता शेख अब्दुल्ला के करीबी दोस्त थे, जिन्होंने पंडित नेहरू को भी धोखा दिया था, जब 1952 में पंडित नेहरू ने शेख अब्दुला को संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिध नियुक्त किया था। यह नेहरू की राष्ट्रीयता की बड़ी भावना के दशर्ता है कि उन्हें अपने मित्र शेख अब्दुल्ला को बर्खास्त कर 1953 में जम्मू-कश्मीर की जेल में भेजना पड़ा था।
प्रो. भीम सिंह ने कहा कि 1963 में उन्हें पंडित नेहरू को मिलने का बहुत अच्छा मौका मिला, जब वे ताल कटोरा गार्डन, नई दिल्ली में आयोजित एक युवा महोत्सव को सम्बोधित कर रहे थे, जिसमें जम्मू-कश्मीर को छोड़कर भारत के सभी विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधिमंडलों को आमंत्रित किया गया था। प्रो. भीम सिंह प्रधानमंत्री पंडित नेहरू से संतुष्ट हुए, जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर विश्वविद्यालय के प्रतिनिधिमंडल को इस सम्मेलन में आमंत्रित न करने का मुद्दा उनके समक्ष उठाया। 27 मई, 1964 को जिस दिन पं. नेहरू का निधन हुआ, उस दिन भीम सिंह जम्मू-कश्मीर के कई छात्र नेताओं के साथ नई दिल्ली में संसद के सामने भूख हड़ताल पर बैठे थे। उन्हें याद है कि उनके एकमात्र भूख हड़ताल के साथी जम्मू में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के एडवोकेट श्री रशपाल सिंह जीवित हैं। प्रो. भीम सिंह ने याद किया कि वे भूख हड़ताल करने वाले प्रतिनिधियों के साथ निगम बोध घाट, नई दिल्ली में पंडित नेहरू की अंतिम यात्रा में शामिल हुए थे।
नेशनल पैंथर्स पार्टी ने नई दिल्ली में विशेष सम्मेलन में पारित एक प्रस्ताव में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को एक महान धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक नेता बताया और गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सह-संस्थापक व निरस्त्रीकरण के चैम्पियन पंडित नेहरू को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि वे पंडित नेहरू को उनके तालकटोरा गार्डन स्थित कार्यालय में आमने-सामने मिले और बाद में तीन मूर्ति में स्वागत कक्ष में मिले, जब प्रधानमंत्री ने सभी एएमयू प्रतिनिधियों को चाय पर एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था।


