प्रधान स्वयंसेवक और महाबलि ट्रंप के मिलन से भारत को क्या मिला और अमेरिका को क्या?
प्रधान स्वयंसेवक और महाबलि ट्रंप के मिलन से भारत को क्या मिला और अमेरिका को क्या?

अमेरिकी पूंजीपतियों, कारपोरेट कंपनियों और उद्योगपतियों के साथ अमेरिका में प्रधान स्वयंसेवक के गोलमेज सम्मेलन के ब्यौरे भारतीय गोदी मीडिया ने कुछ ज्यादा नहीं दिया है।
गौरतलब है कि इस अभूतपूर्व गोलमेज सम्मेलन में प्रधान स्वयंसेवक ने दावा किया कि भारत में पूंजीनिवेश और कारोबार के बेहतरीन मौके उनकी गोभक्त हिंदुत्व की सरकार ने महज तीन साल में सात हजार सुधारों के मार्फत बना दिये हैं।
भारत की आजादी के सिलसिले में लंदन में हुए गोलमेज सम्मेलनों के मुकाबले इस गोलमेज सम्मेलन का मतलब मीडिया ने आम जनता को अभी तक बताया नहीं है, जो आजादी की सारी लड़ाई और स्वराज के सपनों के साथ साथ भारतीय जनता के स्वतंत्रता संग्राम का समूचा इतिहास सिरे से धो डालने का सबसे असरदार डिटर्जेंट पाउडर है और जिससे केसरिया रंग बहार है, जो असल में सुनहला है। ये ही सुनहले दिनों के ख्वाब और विचार हैं। यही हिंदुत्व का समरसता मिशन है। यही गोरक्षकों का लोकतंत्र, समता और न्याय, भारतीयता है।
अभूतपूर्व सुधारों के साथ भारत में जारी आत्मघाती हिंसा और दंगाई माहौल की वजह से इस गोलमेज सम्मेलन का नतीजा यह निकला कि प्रधान स्वयंसेवक के न्यौते पर महाबलि ट्रंप की अखबारों की सुर्खियों में अपनी मुस्कान और कारनामों के लिए छायी रहने वाली बेटी इवंका के नेतृत्व में अमेरिकी उद्योगपतियों का एक दल भारत आने वाला है। सुनहले दिनों के सबसे सुनहले संकेत यही हैं।
बाकी सुनहला केसरिया है। हिंदुत्व का रंग केसरिया है, ऐसा वैदिकी साहित्य में कहीं लिखा नहीं है।
बहरहाल अंध हिंदुत्व राष्ट्रवाद के दृष्टि अंध नागरिकों को सावन के अंधों को हरा ही हरा दीखने की तर्ज पर सबकुछ गेरुआ ही गेरुआ नजर आता है।
गेरुआ ही भक्तों के लिए उनके नजरिये से सुनहला है।
महाबलि ट्रंप से हाथ मिलाकर पाकिस्तान का नामोनिशां मिटाने का प्रधान स्वयंसेवक ने मुकम्मल चाकचौबंद इंतजाम किया है और भारत और अमेरिका दोनों ने माना है कि इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका भारत के साथ है।
जाहिर है कि उनकी इस महान उपलब्धि से उनका ही नहीं भक्तजनों का सीना छप्पन इंच से बढ़कर सीधे दिल्ली वाशिंगटन हवाई मार्ग बनने वाला है।
वीसा चाहे मिले या नहीं मिले।
रेड कार्पेट पर अगवानी हो न हो।
जुबां पर दलील हो न हो तो मातहत सेवा में हाजिर हो।
हिंदुस्तान की सरजमीं पर बीफ के शक में दंगा, बेगुनाहों का कत्लेआम तो क्या, विदेश में बीफ खाने वालों का आलिंगन गर्मजोशी है और मुस्कान को छू भर लें तो लाख टके का सूट बलिहारी।
बाकी पाकिस्तान और इस्लाम के खिलाफ युद्धोन्माद के सिवाय प्रधान स्वयंसेवक महाबलि से मिलकर क्या साथ लाये हैं, उसके लिए सात परमाणु रिएक्टर और हथियारों और तकनीक की शापिंग लिस्ट लाइव है।
गौरतलब है कि इस युद्धोन्मादी राष्ट्रवाद की सुनामी में रोज भारत में मजहबी पहचान की वजह से शक और आरोप के बिना बेगुनाह लोग भीड़ के हाथों मारे जा रहे हैं। इस पर मौन है तो किसानों की थोक खुदकशी पर उपवास है और घुंघट की सरकार एक तरफ, दूसरी तरफ बलात्कार सुनामी है और अखंड पितृसत्ता में रोमियो तांडव की बजरंगी बहार।
आईटी सेक्टर में महाबलि ट्रंप की नीतियों के लिए गहराते संकट और लाखों करोडो़ं छात्रों युवाओं के भविष्य पर गहराते अंधेरे के लिए अमेरिका से आयातित परमाणु उर्जा संयंत्रों से कितनी रोशनी मिलेगी और कितनी तबाही, हमें नहीं मालूम।
महाबिल ट्रंप के इस्लामविरोधी जिहाद मौसम में अमेरिकी नीतियों में भारतीयों के लिए भारत और अमेरिका में रोजगार और आप्रवासी भारतीयों के रोजगार जानमाल की गारंटी के बारे में क्या बातचीत हुई, न मीडिया में इसका कोई ब्यौरा है और न संयुक्त घोषणापत्र में कोई उल्लेख।
वीसा समस्या पर क्या बात हुई, हुई भी या नहीं, यह भी किसी को नहीं मालूम।
इससे बजरंगियों को खास परेशान होने की जरुरत नहीं है।
भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए अपढ़, अधपढ़, पढ़े लिखे, योग्य अयोग्य हर तरह के स्वयंसेवकों की भरती हिंदू सेना के नानाविध बटालियनों में हो रही है। उन्हें रोजगार की चिंता नहीं होगी।
हिंदू राष्ट्र के मकसद से ढोल गवांर पशु शूद्र नारी सारे ताड़न के अधिकारी किसी भी पद पर तैनात किये जा सकते हैं ताकि बकरी का गला रेंतने से पहले वैदिकी कर्मकांड की रस्म अदायगी हो जाये।
नरबलि भी वैदिकी कर्मकांड है और वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति।
मुश्किल है उनके लिए जो बजरंगी नहीं हैं।
जो बजरंगी नहीं है, उनके लिए इस मुल्क में अब कोई मौका नहीं हैं। फिर दंगाई राजकाज के मुताबिक उन्हें जीने का कोई हक भी नहीं है। बजरंगी सेना उनका हिसाब किताब करने लगी है।
इतने लोग मारे जा रहे हैंं और आगे मारे जाते रहेंगे कि गिनती मुश्किल हो जायेगी। नाम धाम तक दर्ज नहीं होने वाला है।
जलवायु करार के प्रति प्रतिबद्धता का शोर मचाने वाले प्रधान स्वयंसेवक ने आतंकवाद के अलावा जलवायु और पर्यावरण के साथ विश्वनेताओं के बीच आम तौर पर जिन मसलों पर ऐसे मौकों पर चर्चा होती है, उनमें से किस किस मुद्दे पर क्या क्या बातें की हैं, उसका अभी खुलासा नहीं हुआ है।
गौरतलब है कि अमेरिका के आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का नाम ट्रंप जमाने में अब इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ युद्ध है और भारत इस युद्ध में इस्लाम के खिलाफ अमेरिका के साथ। चूंकि भारत और अमेरिका, महाबलि ट्रंप और प्रधान स्वयंसेवक दोनों को लगता है कि आतंकवाद इस्लामी है और इस इस्लामी आतंकवाद को जड़ से समाप्त कर दिया जाये तो दुनिया भर में अमन चैन कायम हो जायेगा। मीडिया के मुताबिक महाबलि के साथप्राधान स्वयंसेवक के बिताये अंतरंग पलों का सार यही है कि पाकिस्तान को सबक सिखाने में अमेरिका भारत के साथ है।
भारत अमेरिका संयुक्त घोषणापत्र पर गौर करेंः
मीडिया के मुताबिक भारत और अमेरिका ने आतंकवाद को प्रश्रय देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संकल्प लेने के साथ ही पाकिस्तान से मुंबई और पठानकोट आतंकी हमलों के दोषियों को कानून के शिकंजे में लाने की कार्रवाई तेज करने करने को कहा है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच यहां हुई बैठक के बाद जारी संयुक्त घोषणा पत्र में ट्रंप ने कहा, “भारत और अमेरिका दोनों आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित रहे हैं, हम कट्टर इस्लामिक आतंकवाद को जड़ से मिटाने का संकल्प लेते हैं। ”
मीडिया के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति ने पड़ोसी देश पाकिस्तान से मुंबई और पठानकोट में हुए आतंकी हमलों के दोषियों को कानून के शिकंजे में लाने की कार्रवाई तेज करने काे कहा।
पलाश विश्वास


