छोटी-छोटी सांप्रदायिक हिंसा के जरिए प्रदेश को दंगों की आग में झोंकने पर उतारू सपा सरकार- रिहाई मंच
आजमगढ़ के एसएसपी को तत्काल हटाये जाने की माँग
लखनऊ/आजमगढ़, 25 फरवरी 2014। रिहाई मंच ने आजमगढ़ में हयी घटना के लिये प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुये कहा है कि समाजवादी पार्टी, भाजपा के साथ अपने गुप्त समझौते के तहत छोटी-छोटी घटनाओं में दंगा कराने की संभावना देख रही है।
मंच ने कहा कि एक तरफ प्रदेश की पुलिस दंगाइयों को खुली छूट दे रही है तो वहीं, सरकार के मंत्री आजम खान विधान सभा में झूठ बोलते दिख रहे हैं कि उनकी सरकार में सिर्फ चार दंगे हुये हैं। इस तरह सपा एक ओर दंगा भी करा रही है और दूसरी ओर दंगों को स्वीकार करने के लिये भी तैयार नहीं है।
आजमगढ़ से जारी बयान में रिहाई मंच राज्य कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव, लक्ष्मण प्रसाद और रिहाई मंच आजमगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने पुलिस के घटना स्थल से भाग जाने और उसके बाद उपद्रवी तत्वों को खुली छूट देकर हिंसा के माहौल को बढ़ाने का आरोप लगाते हुये आजमगढ़ के एसएसपी को तत्काल हटाये जाने की माँग की है। उन्होंने कहा कि मुहम्मदपुर कस्बा, आजमगढ़ मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर है। जहाँ 20 से 30 मिनट में प्रशासनिक अधिकारी पहुँच सकते थे, पर जिस तरीके से घटना स्थल से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्थानीय गंभीरपुर थाने की पुलिस नहीं आई उससे साफ जाहिर होता है कि यह हिंसा प्रायोजित थी। आजमगढ़ में कुछ दिनों पहले भी सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिशें की गयी थीं, उस वक्त भी प्रशासन ने दोषियों के विरुद्ध कोई कार्यवाई नहीं की ऐसे में सांप्रदायिक तत्वों का बढ़ता मनोबल बताता है कि प्रदेश सरकार उन्हें संरक्षित कर रही है।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने कहा कि प्रदेश की सपा सरकार सदन को गुमराह करते हुये जहाँ प्रदेश में सिर्फ चार सांप्रदायिक हिंसक वारदातों की बात बता कह रही है, वहीं इससे पहले इसी सरकार ने सदन में मार्च 2012 से दिंसबर 2012 तक सपा सरकार के छोटे से कार्यकाल में 27 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव स्वंय स्वीकार कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि जब मुलायम सिंह यादव कहते हैं कि मुजफ्फरनगर के राहत कैंपों में पीडि़त नहीं रहते, और पिछले दिनों मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि मुजफ्फरनगर दंगों की सूचना उन्हें देर से मिली ऐसे में मुख्यमंत्री, उनके पिता और आजम खान जैसे उनके सिपहसलार तय करके बता दें कि मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा हयी भी थी की नहीं? मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि जिस तरह से मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा होने के बाद मुलायम सिंह ने कहा था कि यह जाट-मुस्लिम संघर्ष है, तो ऐसे में मुलायम को बताना चाहिए कि आजमगढ़ में जो हो रहा है वह यादव-मुस्लिम संघर्ष है क्या?