फिदेल कास्त्रो - एक योद्धा, जिससे काँपता था अमेरिका
फिदेल कास्त्रो - एक योद्धा, जिससे काँपता था अमेरिका
Fidel Castro, Cuban Revolutionary Who Defied U.S., Dies at 90
नई दिल्ली। क्यूबा के क्रांतिकारी नेता और पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का 90 साल की उम्र में आज हवाना में निधन हो गया है।
कास्त्रो लंबे समय से बीमार चल रहे थे। क्यूबा के तत्कालीन राष्ट्रपति राउल कास्त्रो ने क्यूबा क्रांति के कमांडर के निधन की जानकारी ट्वीट कर दी...
आइए एक नज़र डालते है कास्त्रो के राजनीतिक सफर पर...
पाँच दशक तक क्यूबा पर राज करने वाले फिदेल कास्त्रो का जन्म 13 अगस्त 1926 को हुआ था। इन्होंने हवाना विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई में डिग्री हासिल की थी।
कॉलेज के दौरान ही फिदेल राजनीतिक गलियारों में मशहूर होने लगे थे।
इसी दौरान फिदेल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की और जल्द ही वो राजनीति के फलक पर एक सफल व्यक्ति के रूप में उभरे।
कास्त्रो की राजनीति में एक मोड़ ऐसा भी आया, जब उन्हें गिरफ्तार किया गया और उन पर मुकदमा चला।
1953 में कास्त्रो को मोंकाडा बैरकों पर असफल हमले का नेतृत्व करने की सजा मिली। रिहाई के बाद वह दुबारा क्यूबा की राजनीति में सक्रिय हुए।
...1951 से 1959 के दौरान क्यूबा के तत्कालीन राष्ट्रपति फुल्गेन्सियो बतिस्ता थे, जो अमेरिकी हितों को सर्वोपरि रखते थे और आम जनता को नजरअंदाज करते थे।
क्यूबा में लोग भ्रष्टाचार, असमानता और अन्य तरह की कई परेशानियों से जूझ रहे थे।
यहां की जनता को बतिस्ता से मुक्ति चाहिए थी।
...लोगों के रोष और विरोध ने 1953 में क्यूबा क्रांति को जन्म दिया।
....क्यूबा की जनता ने फिदेल पर भरोसा जताते हुए क्यूबा क्रांति की अगुवाई की कमान उनके हाथों में थमा दी। इस क्रांति में कम्युनिस्ट नेता चे ग्वेरा भी कास्त्रो के साथ खड़े थे। इन दोनों की अगुवाई में जनता को एक नई दिशा मिली, साथ ही क्यूबा में बदलाव की उम्मीद भी तेज़ हो गई।
नतीज़ा यह हुआ कि दिसंबर 1958 में तत्कालीन राष्ट्रपति बतिस्ता का तख्तापलट कर दिया गया।
बतिस्ता के तख्तापलट के बाद क्यूबा में खुशी की लहर दौड़ गई और ज़ुबान पर सिर्फ एक ही नाम था.. फिदेल कास्त्रो। क्यूबा की जनता ने खुशी खुशी क्यूबा की कमान फिदेल कास्त्रो के हाथों में सौपीं।
क्यूबा क्रांति के बाद जनता ने कास्त्रो भरोसा पर जताया। उन्हें विश्वास था कि कास्त्रो के हाथों में ही क्यूबा का भविष्य सुरक्षित है।
...फरवरी 1959 में कास्त्रो ने क्यूबा के प्रधानमंत्री पद की कमान संभाली।
...1962 में एक समय ऐसा भी आया जब लगा कि अमेरिका और क्यूबा के बीच परमाणु जंग छिड़ जाएगी। ...दोनों महाशक्तियां एक दूसरे को उखाड़ फेंकने के इरादे से आमने-सामने आ गईं, लेकिन सोवियत संघ ने बीच बचाव का रास्ता दिया।
सोवियत संघ की मध्यस्थता के बाद क्यूबा ने अमेरिका की ओर तनीं अपनी मिसाइले वापस हटा लीं और इसके बदले अमेरिका ने गुप्त रूप से तुर्की से अपने हथियार हटा लिए थे।
अलबत्ता...फिदेल कास्त्रो अमेरिका के दुश्मन नंबर एक बने रहे।
1965 में कास्त्रो को क्यूबा कम्युनिस्ट पार्टी के प्रथम सचिव के रूप में नियुक्त किया गया और इसके बाद 1976 में कास्त्रो क्यूबा के राष्ट्रपति बने। हर कदम पर उनका साथ निभाने वाले क्यूबा के क्रांतिकारी नेता और फिदेल कास्त्रो के छोटे भाई राउल कास्त्रो क्यूबा के उपराष्ट्रपति बने।
...क्यूबा के राष्ट्रपति बनते ही फिदेल कास्त्रो ने अमेरिकी विरोधी का रुख अपनाया।
प्रतिक्रिया के रूप में अमेरिका ने भी क्यूबा पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए।
फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा के सशस्त्र बलों के प्रमुख कमांडर इन चीफ का पद भी अपने पास ही रखा।
कास्त्रो करीब आधी शताब्दी तक अमेरिका की आंख की किरकिरी बने रहे।
इस दौरान कई बार उन्हें मारने की साजिश हुईं, लेकिन वह बाल-बाल बच गए। अमेरिका ने कास्त्रो के तख्तापलट की भी कई कोशिशें की, लेकिन क्यूबा की जनता के जबरदस्त समर्थन से उसे सफलता नहीं मिली।
फिदेल कास्त्रो को पाचन तंत्र से जुड़ी कोई अज्ञात बीमारी थी, जिसके बाद उन्होंने आंतों की सर्जरी कराई, लेकिन दिन ब दिन उनकी हालत बिगड़ने लगी थी। नतीजन उन्होंने उपराष्ट्रपति राउल कास्त्रो, को 31 जुलाई 2006 को अपनी जिम्मेदारियां हस्तांतरित कर दीं।
अपने जनादेश के पूरे होने के पांच दिन पहले 19 फ़रवरी 2008 को उन्होंने घोषणा की.. कि वो फिर से राष्ट्रपति और कमांडर इन चीफ नहीं बनना चाहते हैं।
जिसके बाद सर्वसम्मति से 24 फ़रवरी 2008 को नेशनल असेंब्ली ने राउल कास्त्रो को क्यूबा के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित किया।
88 साल से चल रही क्यूबा और अमेरिका की दुश्मनी को खत्म करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसी साल मार्च में हवाना का दौरा भी किया...
इस दौरान ओबामा ने क्यूबा की जनता से लोकतंत्र की चर्चा की, लेकिन फीदेल कास्त्रो को अमेरिका से हाथ मिलाना नागवार था।
हालांकि दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनयिक रिश्ते फिर से बहाल करने की ओबामा ने घोषणा की.. यह पहला मौका था, जब क्यूबा क्रांति और शीत युद्ध के बाद अमेरिका और क्यूबा के रिश्तों में आई खटास कम होती दिखी।
वैसे तो क्यूबा की अनेक चौंका देने वाली सफलताएं दुनिया ने देखी हैं लेकिन स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्यूबा की प्रगति दुनिया के लिए मिसाल है।
फेफड़ों के कैंसर के लिए क्यूबा ने एक वैक्सीन विकसित किया जिसका लोहा हर देश मानता है।
साथ ही क्यूबा दुनिया का पहला ऐसा मुल्क है, जिसने मां के जरिये बच्चे में होने वाले एचआईवी व सिफलिस के संक्रमण को रोकने में कामयाबी पाई है।
क्यूबा में एक तबका ऐसा भी है, जो फिदेल कास्त्रो को नापसंद करता रहा, वहीं बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो उनसे सच्चा लगाव रखते हैं।
आज भी क्यूबा की जनता फिदेल कास्त्रो को एक करिश्माई व्यक्तित्व के रूप में पूजती है।


