फिर नंदीग्राम, दीदी की पुलिस ने किसानों पर बरसायीं गोली!
फिर नंदीग्राम, दीदी की पुलिस ने किसानों पर बरसायीं गोली!
নির্বিচারে চললো গুলি ভাঙড়ে। গুলিতে বিদ্ধ হলো তিনজন। দুজন গুরুতর আহত, একজন মৃত। আঘাত আসছে একের পর এক। পাল্টা আঘাত ফেরাবে মানুষ। লড়াই চলছে।
#এই_মুহুর্তে_ভাঙড়
मां माटी मानुष की सरकार बनी नंदीग्राम और सिगुर में जमीन आंदोलन के खिलाफ जनप्रतिरोध का ज्वालामुखी फूटने की वजह से। नंदीग्राम के मुसलमान बहुल इलाके में जबरन जमीनअधिग्रहण के नतीजतन मुसलमान वोटबैंक ने एकमुश्त वामपक्ष छोड़कर ममता दीदी की ताजपोशी कर दी।
आदरणीया महाश्वेता देवी के नेतृत्व में साहित्यकारों, कवियों, रंगकर्मियों, कलाकारों और बुद्धिजीवियों का भद्रसमाज फिल्मी सितारों के साथ दीदी के साथ हुआ तो बंगाल में भारी बहुमत से जीतकर सत्ता में आयी बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार को अंधाधुंध शहरीकरण और औद्योगीकरण के लिए, पूंजीपतियों के हितों के मुताबिक जबरन भूमि अधिग्रहण की कीमत चुकानी पड़ गयी और 35 साल के वाम शासन का पटाक्षेप हो गया।
दीदी के राजकाज में भूमि अधिग्रहण का काम अब तक रुका हुआ था। तैयारी बहुत पहले से थी। नंदीग्राम इलाके में भी भूमि अधिग्रहण की तैयारी थी। लेकिन नये कोलकाता के पास दक्षिण 24 परगना के भांगड़ में पावरग्रिड के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन के दमन के लिए दीदी ने अचानक सत्ता की पूरी ताकत झोंक दी है।
गौरतलब है कि नया कोलकाता बसाने के लिए भी भारी पैमाने पर जमीन अधिग्रहण हुआ। वह स्थगित आंदोलन भी ज्वालामुखी की तरह फूट पड़ा है, जिसे छात्रों युवाओं का भारी समर्थन है।
नंदीग्राम नरसंहार के करीब एक दशक बाद फिर बंगाल में जमीन अधिग्रहण के लिए पुलिस ने गोली चला दी।
बंगाल के यादवपुर विश्विद्यालय समेत तमाम विश्वविद्यालयों के छात्र आंदोलनकारियों के समर्थन में हैं और कोलकाता की सड़कों पर छात्र उतरने लगे हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री ने माओवादी करार दिया है।
अंधाधुंध पुलिसिया चांदमारी में तीन ग्रामीणों को गोली लगी है, जिनमें से एक की मौत हो गयी है। तीन लोगों की हालत गंभीर है।
माकपा छोड़कर दीदी की सरकार में कैबिनेट मंत्री माकपाई किसान सभा के पर्व राष्ट्रीय नेता रेज्जाक अली मोल्ला के गृहक्षेत्र में किसानों के भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के खिलाफ सत्ता के तौर तरीके अब भी वे ही हैं, जो वाम शासन के ट्रेडमार्क रहे हैं।
कुल 21 गावों के किसान मोर्चाबंद हैं। गांवों, खेतों और सड़कों में मोर्चाबंदी है।
दीदी ने मोल्ला को आंदोलन से निबटने की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन अब किसान उनके साथ नहीं हैं।
किसान उसी तरह विरोध कर रहे हैं जैसे उन्होंने नंदीग्राम और सिंगुर में किया है।
करीब चालीस हजार किसानों के जमावड़े से निबटने के लिए दीदी की पुलिस ने गोली चला दी और अब आंदोलन का समर्थन कर रहे तमाम छात्रों को माओवादी घोषित करके उन्हें गिरफ्तार करने का उन्होंने फरमान भी जारी कर दिया है।
किसानों का आरोप है कि पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (PGCIL) के प्रोजेक्ट के लिए 16 एकड़ कृषि भूमि का 'जबरन' अधिग्रहण किया गया है। खेतों से इलेक्ट्रिक लाइन कनेक्ट करने का आरोप भी है, जिससे खेतों में न जाने की वजह से किसानों में भारी गुस्सा फैल गया है और वे किसीकी सुन नहीं रहे हैं।
गौरतलब है कि नंदीग्राम की तरह यह इलाका भी मुसलमान बहुल है।
अबाध कारपोरेट पूंजी के दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों का एजंडा राजनीतिक बवंडर के बावजूद खूब अमल में है। शहरों और कस्बों तक बाजार का विस्तार का मुख्य लक्ष्य हासिल होने के करीब है, जिसके लिए सरकारी खर्च बढ़ाकर सामाजिक सेक्टर में निवेश के जरिए ग्रामीणों की खरीद क्षमता बढ़ाने पर सरकार और नीति निर्धारकों का जोर रहा है।
नोटबंदी से तहस नहस अर्थव्यवस्था और उत्पादन प्रणाली के मद्देनजर साफ है कि अर्थ व्यवस्था पटरी पर लाना प्रथमिकता है ही नहीं। होती तो वित्तीय और मौद्रक नीतियों को दुरुस्त किया जाता। खेती और देहात को तबाह करके बाजार का विस्तार ही सर्वोच्च प्राथमिकता है।
विडंबना यह है कि नोटबंदी के खिलाफ का चेहरा बनकर दीदी प्रधानमंत्री को तानाशाह कहकर रोज नये सिरे से जिहाद का ऐलान करके खुद जनवादी होने का दावा कर रही हैं तो दूसरी ओर उनके ये तानाशाह अंदाज हैं। हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और होते हैं, साफ जाहिर है।
आज दिनभर भांगड़ अग्निगर्भ रहा है।
ममता दीदी जिन महाश्वेता देवी को अपनी कैली में उनकी मौजूदगी में जनआंदोलनों की जननी कहती रही हैं, जल जंगल जमीन के हकहकूक पर केंद्रित उनका मशहूर उपन्यास का शीर्षक भी अग्निगर्भ है। वहां कई दिनों से आंदोलनकारियों और सत्ता दल के कैडरों में मुठभेड़ का सिलसिला चला है।
बाहुबल से जब जनांदलोन रोका न जा सका, तो मां माटी मानुष की सत्ता ने पुलिस और RAF के जवानों को मैदान में उतार दिये। नतीजतन नया कोलकाता से सटे तमाम गांवों में आग सी लग गयी है। दक्षिण 24 परगना जिले के इस इलाके में पॉवर सब स्टेशन प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे ग्रामीणों का पुलिस के साथ यह हिंसक टकराव हुआ। दक्षिण 24 परगना के भांगड़ में 21 गांवों के लैंड ऐक्टिविस्ट ने पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन के खिलाफ सोमवार को धरना प्रदर्शन किया।
इलाके में उस वक्त हिंसा भड़क गई जब पुलिस ने भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे 2 कार्यकर्ताओं गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद ट्रैफिक रोकने के लिए स्थानीय लोगों ने लकड़ी के बड़े-बड़े टुकड़ों और बालू की बोरियों का इस्तेमाल कर सड़क को जाम कर दिया।
हालांकि बाद में गिरफ्तार किए गए दोनों कार्यकर्ताओं को छोड़ दिया गया। लेकिन प्रशासन का कहना है कि भांगड़ में चल रहा प्रॉजेक्ट का काम तब तक बंद रहेगा जब तक झगड़ा सुलझ नहीं जाता।
सरकार के इस फैसले के बाद स्थानीय लोगों और जमीन के कार्यकर्ताओं ने अपनी जीत की एक रैली निकालने की कोशिश की जिसे पुलिस ने रोक दिया। नतीजतन इलाके में एक बार फिर हिंसा भड़क गई और वहां RAF यानी रैपिड ऐक्शन फोर्स की तैनाती करनी पड़ी।
गौरतलब है कि PGCIL की ओर से राजरहाट में 400/220KV के गैस संचालित सब स्टेशन का निर्माण किया जा रहा है। ये 953 किलोमीटर हाईवोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन का हिस्सा है जिसके जरिए सरकार का दावा है कि पश्चिम बंगाल के फरक्का से बिहार के कहलगांव तक पॉवर की आपूर्ति होगी।
जीवन जीविका परिवेश बचाओ मंच के तहत नया साल शुरू होने के साथ ही क्षेत्र में किसान जमीन अधिग्रहण के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें छात्रों का पूरा समर्थन है।
नाराज ग्रामीणों का कहना है कि जमीन को जबरन छीना गया है। साथ ही प्रोजेक्ट से स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य को भी बड़ा खतरा है।
किसानों का साफ दो टूक कहना है, 'ममता बनर्जी ने वादा किया था कि कोई भी जमीन जबरन अधिग्रहीत नहीं की जाएगी। लेकिन आज उनकी पार्टी के व्यक्ति बंदूक की नोक पर हमारी जमीन छीन रहे हैं और वे मुंह बंद किए बैठी हैं।' हालांकि वे चुप कतई नहीं है और उन्होंने आंदोलन के समर्थन में खड़े तमाम छात्रों को माओवादी करार देकर उन्हें गिरफ्तार करने का फरमान जारी कर दिया है। इन छात्रों में जादवपुर विश्वविद्यालय के वे छात्र भी हैं, जो मनुस्मृति दहन कर रहे थे और रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या के खिलाफ जाति उन्मूलन का नारा लगा रहे थे।
ये छात्र ही होक कलरव आंदोलन चला रहे थे।
तब संघ परिवार और भाजपा ने इन छात्रों को राष्ट्रविरोधी और माओवादी कहा था। वे यादवपुर विश्वविद्यालय में घुसकर हमला कर रहे थे। अब वे ही छात्र जब किसानों के हरकहकूक की लड़ाई में शामिल हैं तो लालकृष्ण आडवानी, जेटली या राजनाथ सिंह को मोदी के बदले प्रधानमंत्री बनाने की अपील करने वाली देश दुनिया में किसानों के लिए मर मिट जानेवाली हमारी दीदी मनुस्मृति विरोधी उन्हीं छात्रों को माओवादी करार देकर उनकी गिरफ्तारी का हुक्मनामा जारी कर रही हैं।
इसी बीच पश्चिम बंगाल के ऊर्जा मंत्री और मशहूरट्रेड यूनियन नेता शोभनदेब चटर्जी ने मंगलवार को दोहराया कि राज्य सरकार ग्रामीणों की मांग के अनुरूप प्रोजेक्ट साइट पर काम बंद कराने के निर्देश पहले ही जारी कर चुकी है। वे ताज्जुब इस बात पर जता रहे हैं कि काम बंद है तो आंदोलन फिर क्यों हो रहा है। किसानों के खिलाफ मोर्चाबंद कैडरों, पुलिस औररैफ की भूमिका पर वे खामोश हैं उसी तरह जैसे जूटमिलों और चायबागानों के बंद होने पर उनकी सत्तानत्थी यूनियनों के होंठ फेवीकाल और यूकोप्लास्ट से बंदहै। बहरहाल मंत्री मजदूर नेता चटर्जी ने कहा, 'मैं आश्वस्त हूं कि अगर कोई तार्किक शिकायतें हैं तो हम मुद्दे का समाधान शांतिपूर्वक ढूंढ लेंगे। लेकिन अगर कोई अनावश्यक तौर पर हिंसा को हवा देना चाहते हैं तो हम असहाय है। '


