आज काफ्का के जन्मदिन पर

“सब बात बेकार है, यदि भरोसा नहीं है।”

Alles Reden ist sinnlos wenn das Vertrauen fehlt

-Franz Kafka

काफ्का को पढ़ना सच्चा litmus test है। उन्हें पढ़ने के बाद पाठक स्वयं के बारे में अधिक और लेखक के बारे बहुत कम जान पाता है।

फ्रांत्स काफ्का (Franz KAFKA) का जन्म एक माध्यम वर्गीय यहूदी जर्मन भाषी परिवार में तत्कालीन यूरोपीय सांस्कृतिक केन्द्र ‘प्राग’ में 3 जुलाई 1883 को हुआ। अपने जीवन का अधिकाँश भाग उन्होंने एक वकील और बीमा कर्मचारी के रूप में बिताया। लेखन उनका passion था। अपने जीवनकाल में काफ्का साहित्य जगत में लगभग अनजान रहे। दशकों तक उन्हें गलत समझा जाता रहा। 1924 में उनकी मृत्यु के बाद ही उन्हें विश्वस्तरीय लोकप्रियता प्राप्त हुई।

काफ्का 20 वीं सदी के सबसे प्रभावशाली लेखकों में से एक हैं। उनके लेखन ने परवर्ती साहित्यिक दिग्गजों- Gabriel Garcia Márquez, W. H. Auden, Vladimir Nabokov, Thomas Mann, एवं George Orwell आदि की पीढ़ी को प्रभावित किया। काफ्का की कृतियों ने परवर्ती साहित्यकारों के लिए वैज्ञानिक उपन्यास और फंतासी लेखन का मार्ग प्रशस्त किया। साहित्य में काफ्का के नाम से “Kafkaesque” शब्द का प्रयोग प्रचलित हुआ, जिसका प्रयोग हर उस स्थिति के लिए किया जाता है, जब परिस्थितियाँ गूढ़ और प्रतिकूल हों और आगे कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा हो।

जर्मन भाषा की संरचनाओं, मुहावरों और idiosyncrasies से खिलवाड़ करने में काफ्का को महारथ हासिल है। उनकी कृतियों का अनुवाद एक दुरूह कार्य है। अनुवादक को मूल पाठ में संगुंफित अनेकार्थी शब्दों का सम्यक् अनुवाद करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। उनके उपन्यास "Die Verwandlung" ("The Metamorphosis") की opening line का अनुवाद बहुत समय तक गलत किया जाता रहा। काफ्का को पढ़ना सच्चा litmus test है। उन्हें पढ़ने के बाद पाठक स्वयं के बारे में अधिक और लेखक के बारे बहुत कम जान पाता है।

काफ्का का व्यक्तिगत जीवन बहुत अवसाद और एकांत में बीता। अलगाव, उत्पीड़न और निराशा उनकी रचनाओं में सर्वत्र पाई जाती है, किन्तु यह विध्वंसक नहीं, सर्जनात्मक है। काफ्का के हास्य और अवसाद की तुलना प्राय: मशहूर कलाकार चार्ली चैपलिन के तौर तरीकों से की जाती है। काफ्का को मुख्यत: उपन्यासकार एवं लघु कथाकार के रूप में जाना जाता है। उनका सर्वाधिक प्रसिद्द उपन्यास Der Prozess (The Trial) 20 वीं शताब्दी के अधिनायकवाद का प्रतीक बन गया।

41 वर्ष की अल्पायु में तपेदिक से पीड़ित अवस्था में ऑस्ट्रिया के एक अस्पताल में उनका 3 जून 1924 को निधन हो गया। अपनी मृत्यु से पूर्व अपने मित्र मैक्स ब्रॉड को उन्होंने लिखा था-

“प्रिय मैक्स, मेरा आखिरी अनुरोध: जो कुछ भी मैंने डायरी, पांडुलिपियों, पत्र के रूप में छोड़ा है, उसे बिना पढ़े जला दिया जाए।”

Max Brod ने अपने मित्र की इस इच्छा को पूरा नहीं किया। परिणामत: हमें काफ्का का अनूठा साहित्य उपलब्ध है, जिसमें उनके "Die Verwandlung" ("The Metamorphosis"), Der Prozess (The Trial), and Das Schloss (The Castle) का विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद किया गया है।

प्रसिद्ध लेखक Rajkumar Rakesh जी ने काफ्का के उपन्यास Der Prozess का हिन्दी में “मुकदमा” नाम से अनुवाद किया है।

अपनी सबसे प्रिय बहन Ottla को लिखे गए उनके 100 से अधिक पत्रों को Oxford's Bodleian library एवं German Literary Archive ने संयुक्त रूप से खरीदा है।
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“सत्य अविभाज्य है, यह स्वयं को भी नहीं पहचान पाता। जो इसे जानना चाहता है, उसे झूठ होना ही होगा” ( Wahrheit ist unteilbar, kann sich also nicht erkennen; wer sie erkennen will, muß Lüge sein. )

—FRANZ KAFKA

प्रतिभा उपाध्याय