नंदीग्राम और कांथी में विपक्ष का एजंट कहीं नहीं!
मेदिनीपुर शुभेंदु अधिकारी के हवाले और कूचबिहार में दीदी ने कमान संभाली,बाकी सिपाहसालार हाशिये पर!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
कोलकाता (हस्तक्षेप)। पांच साल में किसी उम्मीदवार की संपत्ति में अगर हजार गुणा तो इजाफा हुआ है तो लोकतंत्र की परिभाषा क्या हो सकती है, समझ लीजिये। बेलगाम हिंसा का सबब यही है। सिंडकेट राज में बंगाल में लोकतंत्र की तस्वीर यही है।
बंगाल में चुनाव तो निबट गया,अब अमन चैन की बहाली कैसे होगी। जनादेश से बनने वाली सरकार के लिए यही सबसे बड़ी चुनौती होगी।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के छठे और आखिरी चरण में 84.24 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने मतदान किया। पूर्वी मेदिनीपुर जिले में 75.19 प्रतिशत और कूचबिहार में 72.31 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। दोपहर तीन बजे तक कुल मतदान का प्रतिशत 74.15 था।
आजादी के बाद यह पहला मौका है, जब कूच बिहार जिले में सीमावर्ती बस्तियों के 9,776 निवासियों को अपने मताधिकार का उपयोग करने का अवसर मिला है। ऐसा पिछले साल इन बस्तियों के भारतीय क्षेत्र में औपचारिक विलय के बाद संभव हुआ। अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने वालों में 103 साल के असगर अली भी शामिल हैं।
शुभेंदु अधिकारी की जादू की छड़ी का करिश्मा यह रहा कि नंदीग्राम और कांथी में कहीं विपक्ष का पोलिंग एजंट नजर नहीं आया।
नंदीग्राम में वैसे वामदलों या कांग्रेस का कोई उम्मीदवार नहीं है, वहां गठबंधन की ओर से निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं और शुभेंदु के मुताबिक नंदीग्राम में माकपा विरोधी हवा अब भी सुनामी है और उन्हें कोई एजंट मिला ही नहीं है तो वे कुछ नहीं कर सकते।
बंगाल में अंतिम चरण के मतदान में भूतों का नाच केंद्रीय वाहिनी, सक्रिय पुलिस और चुनाव आयोग की सख्ती के बाद जितना और जहां संभव हुआ,खूब हुआ। दो-दो उम्मीदवारों के खिलाफ एफआईआर हुई।
हमलों और संघर्ष, धमकियों और दहशतगर्दी का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा और बाकी बंगाल में चुनावी हिंसा का दौर अभी थमा नहीं है। इसके बावजूद सबसे खास बात है कि दीदी मेदिनीपुर में वोट कराने का एकाधिकार सांसद शुभेंदु अधिकारी के हवाले करके खुद उत्तर बंगाल के कूच बिहार में तंबू डालकर बैठ गयीं।
सत्तादल के अंदर महल का यह खुल्लमखुल्ला खुलासा है कि दीदी ने इस चुनाव में अनुब्रत के अलावा शुभेंदु पर ही भरोसा किया है और बाकी सिपाहसालारों को हाशिये पर छोड़ दिया है।
दूसरी ओर मतदान लाइव में शुभेंदु अधिकारी का ही जलवाबहार रहा फ्रेम दर फ्रेम।
सूर्यकांत मिश्र ने पुलिस अफसरों के साथ उनकी बैठक का जो सनसनीखेज आरोप लगाया, उसे चुनाव आयोग ने खारिज कर दी तो भाजपा ने भी शुभेंदु और वफादार पुलिस अफसरान के मोबाइल लोकेशन की निगरानी की मांग चुनाव आयोग से कर दी, जिसे आयोग ने खारिज नहीं किया और इसके साथ विपक्ष जिन आला पुलिस अफसरान पर सत्तादल का वोट मैनेज करने का आरोप लगाता रहा है,वे सभी चुनाव आयोग की निगरानी में रहे और उन्हें भी नजरबंद रखा।
पूर्वी मेदिनीपुर जिले में 7500 जवान तैनात किए गए हैं। केंद्रीय बलों की शेष जो लगभग 310 कंपनियां शुरुआती चरणों के लिए पश्चिम बंगाल में तैनात थीं, उन्हें तमिलनाडु और केरल में भेजा गया है। इन दोनों राज्यों में चुनाव होने हैं।
अधिकारियों ने कहा कि चूंकि अंतिम चरण के तहत चुनावी प्रक्रिया में शामिल हो रहे ये दोनों जिले असम और ओडिशा की सीमा से लगते हैं, इसलिए चुनावी पैनल ने उन राज्यों के प्रमुख सचिवों को पत्र लिखकर सीमावर्ती इलाकों में नाका बिंदू बनाने के लिए कहा है।