नई दिल्ली। यूआर अनंतमूर्ति को याद करना एक ऐसे सत्याग्रही, निर्भीक और प्रतिबद्ध रचनाकार को याद करना है जिसने आजीवन अपनी सोच और कर्म से लोकतांत्रिक मूल्यों को निभाया और आगे बढ़ाया। राजनीति में सीधे हस्तक्षेप करने के बावजूद उन्होंने साहित्य की स्वतंत्रता और स्वायत्तता पर कभी आंच नहीं आने दी। उन्होंने आजीवन बहुभाषिकता और बहुधार्मिकता के पक्ष में संघर्ष किया।

ये विचार यूआर अनंतमूर्ति के निधन पर आयोजित शोकसभा की अध्यक्षता करते हुए हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार अशोक वाजपेयी ने व्यक्त किए। शोकसभा का आयोजन साहित्य वार्ता और गांधी शांति प्रतिष्ठान के संयुक्त तत्वावधन में किया गया था।

श्री वाजपेयी ने कहा कि अनंतमूर्ति साहित्यकार होने के साथ एक सचेत नागरिक थे। वे समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के प्रति सतत सत्याग्रही रहे। अंग्रेजी भाषा व साहित्य के बरक्स भारतीय भाषाओं और साहित्य के बारे में उनकी बहुत ऊंची धारणा थी। अभी के दौर में उनका न रहना भारतीयता की बहुत बड़ी क्षति है।

गांधी शांति प्रतिष्ठान की अध्यक्ष राधा बहन ने अनंतमूर्ति को एक महत्वपूर्ण साहित्यकार के रूप में याद करते हुए अपनी श्रद्धांजलि दी। तिब्बत की निर्वासित सरकार के संसद सदस्य आचार्य येशी ने कहा कि अनंतमूर्ति तिब्बत की आजादी के प्रबल पक्षधर थे। उनका जाना तिब्बत मुक्ति आंदोलन की बड़ी क्षति है। अनंतमूर्ति के पुनर्जन्म की कामना करते हुए उन्होंने कहा कि समाज को उनके विचारों को आगे बढ़ाना चाहिए।

वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी ने कहा कि अनंतमूर्ति खतरे उठाकर भी जनतांत्रिक मूल्यों के पक्षधर बने रहे। उन्होंने अनंतमूर्ति को जनतांत्रिक और वैज्ञानिक विचारक बताया।

अपनी व्यक्तिगत और प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से श्रद्धांजलि देते हुए उर्दू साहित्य के आलोचक अली जावेद ने कहा कि अनंतमूर्ति महान साहित्यकार हैं। ऐसे लोगों की मौत पर जमाना अफसोस करता है। समाज को आज उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी।

प्रसिद्ध विचारक और आलोचक अपूर्वानंद ने कहा कि अनंतमूर्ति तत्पर रहते थे कि हमेशा धारा के बीच में रहकर समाज को दिशा दें। वे भारत को एक संवेदनशील देश के रूप में देखना चाहते थे, न कि सख्त देश के रूप में।

वरिष्ठ समाजवादी नेता रधु ठाकुर ने अनंतमूर्ति को उतर और दक्षिण के बीच का सांस्कृतिक सेतु बताया।

डॉ. राजकुमार जैन ने कहा अनंतमूर्ति किसी भी पद पर रहे हों, अपनी समाजवादी पहचान को कभी छिपाया नहीं।

सामाजिक कार्यकर्ता मंजू मोहन, रेणु गंभीर, गांधी षांति प्रतिष्ठान के सचिव सुरेंद्र कुमार, साहित्यकार प्रेमपाल शर्मा, वरिष्ठ समाजवादी मदनलाल हिंद समेत कई लोगों ने अनंतमूर्ति को अपनी श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रेम सिंह ने किया।