आनंद प्रधान (Anand Pradhan)

लोकतंत्र, न्याय और मानवाधिकारों का इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है

"और, तब मुझे प्रतीत हुआ भयानक
गहन मृतात्माएँ इसी नगर की
हर रात जुलूस में चलतीं,
परन्तु दिन में
बैठती हैं मिलकर करती हुई षड्यंत्र
विभिन्न दफ्तरों-कार्यालयों, केन्द्रों में, घरों में,
हाय,हाय! मैंने देख लिया उन्हें नंगा,
इसकी मुझे और सजा मिलेगी."

(डॉ. बिनायक सेन को सजा दिये जाने पर आक्रोश जाहिर करते हुये अपने मित्र और लेखक आशुतोष कुमार ने मुक्तिबोध की ये पंक्तियाँ फेसबुक पर डाली हैं। वहीँ से साभार)

जैसी कि आशंका थी, मानवाधिकार कार्यकर्ता (Human rights activist) और बाल रोग विशेषज्ञ (Human rights activist) डा. बिनायक सेन को रायपुर की स्थानीय अदालत ने देशद्रोह और राज्य के खिलाफ हिंसक तख्ता पलट के लिये षड्यंत्र करने जैसे आरोपों में उम्र कैद की सजा सुना दी। अरुंधती राय ने सही कहा कि क्या विडम्बना है कि भोपाल गैस कांड में हजारों बेकसूरों के नरसंहार के दोषियों को दो साल की सजा और डॉ. बिनायक सेन को उम्र कैद? आश्चर्य नहीं कि इस फैसले ने पूरे देश कीअंतरात्मा को झकझोर दिया है। न्याय, लोकतंत्र और मानवाधिकारों में यकीन रखने वाले लोग सदमे में हैं।

सचमुच, लोकतंत्र, न्याय और मानवाधिकारों (Democracy, Justice, Human Rights,) के साथ इससे बड़ा मजाक नहीं हो सकता है। आखिर डॉ. बिनायक सेन का कसूर क्या है? यह कि मेडिकल साइंस की इतनी बड़ी डिग्री लेकर प्रैक्टिस करने और रूपया पीटने के बजाय छत्तीसगढ़ जैसे अत्यन्त गरीब राज्य में जाकर सबसे गरीबों की सेवा करना और उन गरीबों की आवाज़ उठाना?

या यह कि एक डाक्टर की तरह चुपचाप अपने काम से काम रखने और अपने आसपास चल रहे अन्याय पर खामोश रहने की बजाय उन्होंने खुलकर पुलिसिया जुल्मों, लूट और अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया है? या फिर यह कि उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार के बजाय भारतीय संविधान पर भरोसा किया जो अभिव्यक्ति की आज़ादी से लेकर लोगों के मानवाधिकारों को किसी भी सरकार और पुलिस से ज्यादा अहमियत देता है?

इस सजा से एक बात तय हो गयी है। पिछले दिनों सुपर उद्योगपति रतन टाटा ने राडिया टेप्स लीक्स किये जाने और निजता के अधिकार का उल्लंघन किये जाने के सन्दर्भ में देश के ‘बनाना रिपब्लिक’ में तब्दील हो जाने की आशंका व्यक्त की थी। इस सजा ने साबित कर दिया है कि देश ‘बनाना रिपब्लिक’ बन चुका है। यह एक राष्ट्रीय त्रासदी है कि एक बेहतर देश और समाज बनाने की लड़ाई लड़ने वाले जेल में उम्र कैद की सजा भुगतेंगे और क्रोनि कैपिटलिज्म के जरिये देश के कीमती संसाधन लूटनेवाले बाहर मौज करेंगे।

कहना पड़ेगा, जैसे आज सुबह पत्रकार साथी अवधेश ने फेसबुक पर लिखा ....
“आओ देशभक्त जल्लादों
पूँजी के विश्वस्त पियादों
उसको फाँसी दे दो!”