बिहार में सभी दल नरभसाए हैं
बिहार में सभी दल नरभसाए हैं

कि बात छे
बिहार में पहले चरण का मतदान हो चुका है। इस दौरान चुनावी माहौल इतना गरमा गया कि मुददों के बजाय अपशब्दों के बाण चलाये जाने लगे। 'चारा चोर' से लेकर 'नरभक्षी' और 'शैतान' से लेकर 'ब्रह्म पिशाच' जैसे अपशब्दों से एक-दूसरे को नवाज़ा गया। यहां तक कि अपशब्दों या कहें कि घटिया स्तर के चुनावी प्रचार के इस दंगल में प्रधानमंत्री जैसे गरिमामय पद का ख्याल न रखते हुए खुद नरेंद्र मोदी भी ताल ठोंक कर उतर पड़े। उन्होंने लालू-नितीश गठबंधन की तुलना घटिया टीवी सीरियल बिग बॉस से कर डाली, विकास की जगह गोमांस को चुनावी मुद्दा बना डाला।
बिहार के इस चुनाव में सभी दल और उनके मुखिया, बकौल शरद जोशी, नरभसा गए हैं।
जैसे-जैसे नए गठबंधन और दल चुनावी दंगल में कूदते गए, नरभसाने की यह बीमारी बढ़ती ही चली गयी। मोदी समेत एनडीए के नेता नरभसाएं हैं तो एनडीए के घटक दलों के मुखिया भी नरभसाएं हैं। उधर लालू भी नरभसाएं हैं तो नितीश का भी यही हाल है। दरअसल नरभसाने का रोग इसलिए फ़ैला है कि कोई भरोसे से कह नहीं पा रहा है कि उसे कितनी सीट मिल पाएंगी। अब जातिगत जुगाड़ तो सभी बैठा लिए हैं लेकिन अभी भी किसी को भरोसा नहीं कि किसके वोट बैंक में कौन सेंधमारी कर ले जायेगा।
देखना ये है कि पहले चरण का मतदान नेताओं के नरभसाने के इस सिलसिले को और कितना बढ़ा देता है।
- पीयूष पंत


