बीबी और नरेन्द्र की दोस्ती : RSS को ये साथ पसंद है क्योंकि...

भारत और इजरायल के संबंध क्या औपचारिक दायरों और कूटनीति से ऊपर उठते हुए अनौपचारिक घनिष्ठता की ओर बढ़ गए हैं? कम से कम भारतीय प्रधानमंत्री और इजरायली प्रधानमंत्री के आपसी व्यवहार को देखकर तो ऐसा ही लगता है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पहली बार भारत आए हैं।

किसी इजरायली प्रधानमंत्री की यह दूसरी भारत यात्रा है, इससे पहले 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एरियल शेरोन भारत आए थे। इन 15 बरसों में देश और दुनिया में राजनीति, कूटनीति और अर्थनीति के स्तर पर काफी कुछ बदल गया। इसका असर भारत की विदेश नीति पर भी स्पष्ट दिखाई देने लगा।

यूं तो कांग्रेस के प्रधानमंत्री नरसिंह राव के वक्त में ही 1992 में भारत और इजरायल के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हो गए थे। लेकिन भारत ने इजरायल के साथ संबंधों को काफी नापतौल कर आगे बढ़ाया। उस वक्त गुटनिरपेक्षता का महत्व था। मुस्लिम देशों के साथ दोस्ती का सवाल था और इन सबसे बढ़कर यह डर था कि कहीं हम अमेरिका का पिट्ठू देश न कहलाएं।

पैंथर्स पार्टी ने मोदी सरकार के इजरायल से बराक मिसाइल खरीदने पर किया सवाल, विपक्ष की खामोशी पर जताया आश्चर्य

लेकिन आर्थिक और सामरिक जरूरतों ने इन तमाम कारणों को दरकिनार कर दिया और इजरायल-भारत के बीच आर्थिक-व्यापारिक संबंध प्रगाढ़ होते गए। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और एकजुटता की दलील भी इन संबंधों को परवान चढ़ाने के काम आई। चूंकि संघ शुरु से इजरायल से दोस्ती का हिमायती रहा है ऐसे में नरेन्द्र मोदी की सरकार को तो इस दोस्ती की नयी इबारत लिखनी ही थी। लेकिन इसमें बेतकल्लुफी इस कदर दिखेगी, यह अनुमान नहीं था।

इस्राइल ने पंडित नेहरू की हत्या का प्रयास किया था, राजीव गांधी की हत्या में था षड़यंत्रकारी


style="display:block; text-align:center;"
data-ad-layout="in-article"
data-ad-format="fluid"
data-ad-client="ca-pub-9090898270319268″
data-ad-slot="8763864077″>

पिछले साल नरेन्द्र मोदी ने इजरायल की यात्रा की और ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। उस वक्त दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच खासी घनिष्ठता दिखलाई दी थी। अब मेजबानी की बारी मोदीजी की थी और इसलिए जब बेंजामिन नेतन्याहू भारत पहुंचे तो मोदीजी ने परंपराओं से हटकर उनका गर्मजोशी से गले लगाकर स्वागत किया। बेंजामिन नेतन्याहू को नरेन्द्र मोदी ने उनके निक नेम यानी प्यार के नाम बीबी से संबोधित किया, तो नेतन्याहू ने भी उन्हें नरेन्द्र कहकर पुकारा। याद करें मोदीजी ने इसी तरह अमरीकी राष्ट्रपति को केवल बराक कहा था, लेकिन उन्होंने मि. मोदी का संबोधन ही दिया था।

बहरहाल, बीबी और नरेन्द्र की यह दोस्ती उनकी संयुक्त प्रेसवार्ता में भी दिखाई दी।

"चौथी दुनिया" का बड़ा खुलासा : मोदी सरकार गेट्स फाउंडेशन की मदद से चला रही जनसंख्या सफाए का अभियान

नरेन्द्र मोदी ने बेंजामिन नेतन्याहू की तारीफों के पुल बांधे तो नेतन्याहू ने उन्हें क्रांतिकारी नेता कहा। ये दोनों नेता भारत और इजरायल के पुराने ऐतिहासिक संबंधों का हवाला देते हैं, वैसे ये संयोग ही है कि मोदीजी पहले प्रधानमंत्री हैं, जो आजाद भारत में पैदा हुए और उधर बेंजामिन नेतन्याहू भी पहले इजरायली प्रधानमंत्री है जो इसकी स्थापना के बाद ही पैदा हुए हैं।

केवल दोस्ती निभाने भारत नहीं आए हैं नेतन्याहू

बेंजामिन नेतन्याहू केवल दोस्ती निभाने भारत नहीं आए हैं, बल्कि इसका एक खास मकसद व्यापार को बढ़ाना भी है। उनके साथ एक बड़ा व्यापारिक प्रतिनिधि मंडल आया है और दोनों देशों के बीच साइबर सुरक्षा, विज्ञान-तकनीकी, फिल्म, गैस, पैट्रोलियम, होम्योपथी और ऑल्टरनेटिव मेडिसिन समेत कुल 9 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह घोषणा भी की गई है कि दोनों देशों के लोगों को करीब लाने के लिए इजरायल में एक भारतीय सांस्कृतिक केेंद्र खुलेगा।

भारत इजरायल मित्रता मुर्दाबाद !


style="display:block; text-align:center;"
data-ad-layout="in-article"
data-ad-format="fluid"
data-ad-client="ca-pub-9090898270319268″
data-ad-slot="8763864077″>

जाहिर है भारत-इजरायल संबंध नरेन्द्र मोदी और बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में दोस्ती के नए आयाम तय करेंगे। इजरायली प्रधानमंत्री की इस यात्रा में जो गर्मजोशी नजर आ रही है, उससे वे सारी आशंकाएं खारिज हो गई हैं, जो पिछले दिनों उठ रही थीं। इजरायल की राजधानी के रूप में येरुशलम को मान्यता देने के अमेरिकी प्रस्ताव का संयुक्त राष्ट्र में भारत ने विरोध किया है। इसी तरह पिछले दिनों इजरायल के साथ एंटी टैंक मिसाइल करार रद्द हुआ। इन सबका असर दोनों देशों के भावी संबंधों पर पड़ सकता था। लेकिन बकौल बेंजामिन नेतन्याहू भारत-इजरायल संबंध स्वर्ग में बनी जोड़ी जैसे हैं, इसलिए इन बातों का असर नहीं पड़ेगा। भारत अपने इस मित्र और उसके साथ होने वाले तमाम सौदों, उससे मिलने वाले सहयोगों और मदद पर गदगद है। अब बस यह संतुलन और सावधानी मोदी सरकार को बरतनी होगी कि नए रिश्तों की गर्माहट में पुराने दोस्त ठंडापन महसूस न करें।

इस्रायल आतंकवाद का सबसे बड़ा सर्जक राष्ट्र : इस्रायल से मित्रता भारत की आतंकवाद के खिलाफ नैतिक पराजय


style="display:block; text-align:center;"
data-ad-layout="in-article"
data-ad-format="fluid"
data-ad-client="ca-pub-9090898270319268″
data-ad-slot="8763864077″>

देशबन्धु का संपादकीय