भाजपा की चूलें हिला दीं फरेंदा उप चुनाव ने, कांग्रेस से भी हार गई भाजपा
भाजपा की चूलें हिला दीं फरेंदा उप चुनाव ने, कांग्रेस से भी हार गई भाजपा
फरेंदा उप चुनाव - कांग्रेस से भी हार गई भाजपा
लखनऊ। आज पूर्वांचल में भाजपा कांग्रेस से भी हार गई। यह वही पूर्वांचल है जहां भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के खांटी समाजवादी मुलायम सिंह यादव को चुनौती देते हुए कहा था 'नेता जी गुजरात बनाने के लिए छप्पन इंच का सीना चाहिए।' यह गोरखपुर की सभा थी और इसी टिप्पणी के साथ एक झटके में मोदी ने मुलायम विरोधियों को अपने साथ कर लिया था। यहीं से माहौल बदला और पूर्वांचल की ज्यादातर सीटों पर भाजपा, जो तब पीछे चल रही थी, आगे बढ़ने लगी। चाहे फ़ैजाबाद में लल्लू सिंह हों या देवरिया में कलराज मिश्र। कोई अपनी जीत तो छोड़िए, मुकाबले में आने का दावा भी नहीं कर पा रहा था। पर पूर्वांचल में एक तरफ वाराणसी में मुलायम ने मोदी पर हमला किया तो मोदी ने कुछ देर में ही जवाब दे दिया।
पूर्वांचल विकास में पिछड़ा हुआ है पर राजनैतिक समझदारी में अगड़ा है। भाजपा को धार्मिक गोलबंदी का फायदा भले ही पश्चिम में मिला हो पर माहौल तो पूर्वांचल में बना। आज फरेंदा उप चुनाव का जो नतीजा आया उसने भाजपा की चूलें हिला दी हैं।
कल ही मै अपने रिपोर्टर से कह रहा था कि कांग्रेस क्यों तीसरे नंबर पर रह रही है। सन्दर्भ चरखारी विधान सभा के उप चुनाव का था, जहां भाजपा तो बुरी तरह हारी थी पर कांग्रेस से आगे थी। यह सभी कहते हैं कि सत्तारूढ़ दल अपने दबाव से उप चुनाव जीत जाता है ठीक है, पर क्या सत्तारूढ़ दल ही यह भी तय करता है कि दूसरे नंबर पर कौन रहेगा, और वह भाजपा को क्यों बार-बार दूसरे नंबर पर लाएगा।
हमें पता है कि जिले का कलेक्टर अपने असर से तीन चार हजार वोट की हेराफेरी करा ले, इससे ज्यादा नहीं कर सकता और वहां की जीत चालीस हजार से ज्यादा की थी। कुछ दिन पहले ही विश्वविद्यालय के साथी और पूर्व सांसद गंगा चरण राजपूत मिल गए, जिनके पुत्र भाजपा से उम्मीदवार थे। मैंने हार की वजह पूछी तो जवाब दिया, सपा ने जमकर पैसा बहाया था। मेरा सवाल था क्या भाजपा, जो अब केंद्र में है, उसके पास पैसा नहीं रहा, तो वे जवाब टाल गए।
खैर यह एक उदाहरण था पर यहाँ भी भाजपा दूसरे नंबर पर थी। पर आज फरेंदा में तो हैरान करने वाला नतीजा आया है। सपा 64,878 कांग्रेस 55,647 और भाजपा को 41,247 वोट मिले।
अब राष्ट्रीय परिदृश्य को देखें। राहुल गांधी अब नए अवतार में हैं। वे संसद से सड़क तक मोदी को घेर रहे हैं। सामाजवादी धारा के राजनैतिक दल एकजुट हो रहे है। कम्युनिस्ट नए चेहरे के साथ आ गए हैं तो और धड़े समाजवादियों से मेलजोल बढ़ा रहे हैं। बिहार में चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। और यह हिस्सा बिहार से लगा हुआ है।
हम दिल्ली या बंगाल की बात ही नहीं कर रहे हैं। अब इन कड़ियों को जोड़िये, तो कहानी बदलती नजर आ रही है। कितना बदलेगी यह नहीं कहा जा सकता पर कुछ बदल तो रहा है।
अंबरीश कुमार
शुक्रवार पत्रिका से


