छात्राओं के शांतिपूर्ण लोकतान्त्रिक आन्दोलन को कुचलने का आरोप
कोटा। कोटा जिले के बेलगाम जुबान के धनी विधायक प्रह्लाद गुंजल द्वारा एक दलित अधिकारी को गाली गलौज कर अपमानित करने और पांव काट डालने की धमकी दिए जाने का मामला अभी गरम है कि एक मंत्री पर कथित तौर पर एक बुजुर्ग महिला को डायन घोषित करने का नया मामला सामने आ गया है, सरकार अपने जनप्रतिनिधियों के कारनामों से शर्मशार हो ही रही है कि भीम देवगढ़ के विधायक हरिसिंह रावत अपने इलाके में हुए बालिकाओं के एक लोकतान्त्रिक आन्दोलन को कुचलने के आरोपों के घेरे में आ गए हैं।
उल्लेखनीय है कि विगत 2 अक्तूबर को राजसमन्द जिले के भीम उपखंड मुख्यालय की बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय की बालिकाओं ने विद्यालय में शिक्षकों की कमी को पूरा करने की मांग करते हुए एक शांतिपूर्ण आन्दोलन किया था। बालिकाओं ने सड़क पर उतर कर एक रैली निकाली तथा कहा कि उनकी संख्या 700 है और पढ़ाने वाले शिक्षक सिर्फ तीन हैं। ऐसे में बालिका शिक्षा का नारा महज़ पाखंड ही है। बालिकाओं के इस विरोध प्रदर्शन की वजह से सरकारी अमला और मीडिया के लोग उस जगह समय पर नहीं पहुँच पाए जहाँ पर श्रीमान विधायक महोदय स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत करने के लिए कलफ़ लगे कपड़े पहन कर हाथ में झाड़ू उठाये खड़े थे। विधायक जी को लगा कि यह तो प्रचंड बहुमत से शासन कर रही हमारी सरकार के खिलाफ सरासर बगावत है। उन्होंने छात्राओं की इस कोशिश को स्वयं की व्यक्तिगत आलोचना मान लिया और बदला लेने पर उतारू हो गए।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक आग बबूला हो चुके विधायक ने तुरंत ही जिला कलेक्टर कैलाश चन्द्र वर्मा तथा तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक ओंकार सिंह को मोबाईल पर नाराजगी जताते हुए कहा कि स्कूल की लड़कियों के इस आन्दोलन के पीछे किनका हाथ है इसकी जाँच की जाये और विद्यालय की कार्यवाहक प्रधानाचार्य श्रीमती गरिमा रावत को तुरंत निलंबित कर दिया जावे, अगर ऐसा नहीं किया गया तो वे मुख्यमंत्री वसुंधराराजे से बात करके कड़ी कार्यवाही को अंजाम दिलवाएंगे। विधायक महोदय की दबंगई से डरे सहमे अधिकारीयों ने बालिकाओं की जायज मांग पर गौर करने के बजाय सत्तारूढ़ दल के जन प्रतिनिधि को खुश करने का रास्ता चुनना ही बेहतर समझा और पूरी बेरहमी से बालिकाओं की मांग को घटिया राजनीति की भेंट चढ़ा दिया।
विद्यालय के हालत यह हैं कि वहां पर कुल इक्कीस स्वीकृत पदों के मुकाबले मात्र तीन ही शिक्षक हैं और चौथी शिक्षका गरिमा रावत को कार्यवाहक प्रिंसिपल का दायित्व सौंप रखा है। राजनीति विज्ञान के शिक्षक का पद तो विगत 17 वर्षों से खाली है, वहीँ गणित, हिंदी, विज्ञान, संस्कृत, भूगोल और कंप्यूटर के शिक्षकों के पद भी कईं वर्षों से रिक्त हैं। बालिका शिक्षा के प्रति इस तरह के भेदभाव के खिलाफ लड़कियों ने कई बार ऊपर तक अपनी आवाज़ पंहुचायी मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। यहाँ तक कि कार्यवाहक प्रधानाचार्य गरिमा रावत ने भी कईं पत्र अपने उच्च अधिकारीयों को लिखे मगर उनको भी कोई जवाब नहीं मिला, अंततः थक हार कर ये बालिकाएं इलाके में लम्बे समय से जन हित के मुद्दों पर कार्यरत मजदूर किसान शक्ति संगठन के पास सहयोग और समर्थन मांगने पंहुची। संगठन ने उनकी मदद की और आन्दोलन की राह सुझाई।
बालिकाओं द्वारा 2 अक्तूबर और 8 अक्तूबर को किये गए दोनों ही विरोध प्रदर्शन बेहद अनुशासित और शांतिपूर्ण थे,जिनके फलस्वरूप प्रशासन को 4 अतिरिक्त शिक्षक लगाने पड़े, हालाँकि उनमें से 2 को शीघ्र ही वहां से वापस हटा लिया गया और एक जीव विज्ञान के शिक्षक जिन्हें उच्च कक्षाओं में गणित पढ़ाने का दुरूह काम दिया गया। उन्होंने कार्यमुक्ति हेतु दरख्वास्त दे दी। इस प्रकार भीम बालिका स्कूल में वही ढाक के तीन पात वाली स्थिति ही बनी रह गयी। हद तो तब हुई जब विधायक महोदय की हठधर्मिता और दबंगई के चलते कार्यवाहक प्रधानाचार्य गरिमा रावत को इस आरोप में निलम्बित कर दिया गया कि उन्होंने छात्राओं को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान का बहिष्कार करने के लिए उकसाया और गाँधी जयंती पर विद्यालय में मजदूर किसान शक्ति संगठन के साथ मिल कर हड़ताल करवाई। जबकि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सच्चाई यह है कि जिस दिन बालिकाओं ने पहला प्रदर्शन किया,कार्यवाहक प्रधानाचार्य गरिमा रावत ने बालिकाओं को समझाने का बहुत प्रयास किया मगर बालिकाएं इतनी आक्रोशित थी कि वे किसी कि बात सुनने को राज़ी नहीं थीं।
अब भीम के बालिका विद्यालय में फिर से 700 बालिकाओं के लिए मात्र तीन शिक्षक ही हैं, मगर बालिकाओं को आवाज़ उठाने की इजाजत नहीं है और न ही उनकी कोई मदद कर सकता है, क्यूंकि जो भी इन बालिकाओं की मदद करने को आगे आयेंगे, उन्हें विधायक जी का कोप झेलना पड़ेगा ......इसे आप गुंडागर्दी कहेंगे या अघोषित आपातकाल अथवा महिला मुख्यमंत्री के राज्य में बालिकाओं का दमन, क्या कहा जाना उचित होगा, आप स्वयं ही तय करें, लेकिन राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक स्कूल की बालिकाएं आज भी शिक्षकों का इंतजार कर रही रही है .....
O-भंवर मेघवंशी
(भंवर मेघवंशी, लेखक राजस्थान में दलित,आदिवासी एवं घुमंतू वर्ग के लोगों के प्रश्नों पर कार्यरत हैं। )