मॉडल स्कूलों को निजी हाथों में सौंपना शिक्षा का कार्पोरेटीकरण - माकपा
रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रदेश के मॉडल स्कूलों को निजी हाथों में सौंपने की कड़ी आलोचना करते हुए इसे शिक्षा का कार्पोरेटीकरण करार दिया है. पार्टी ने कहा है कि शिक्षा की गुणवत्ता के नाम पर भाजपा सरकार आदिवासियों, दलितों, वंचितों व कमजोर तबकों को शिक्षा की पहुंच से दूर करने का सुनियोजित षडयंत्र कर रही है.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि सरकारी खजाने से मॉडल स्कूलों के नाम पर जो अधोसंरचना तैयार की गई है, अब उसे मुनाफा कमाने तथा धनी वर्ग तक ही शिक्षा की पहुंच सीमित करने के लिए निजी हाथों में सौंपा जा रहा हैं. ये निजी संस्थाएं छात्रों से मनमाना फीस तो वसूल करेगी, स्कूल संचालन के नाम पर सरकार से सैकड़ों करोड़ रूपये भी वसूल करेगी. उन्हें बच्चों को पढ़ाने के लिए ठेके पर शिक्षकों को नियुक्त करने का भी अधिकार दिया गया है. ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का दावा खोखला ही साबित होने जा रहा है.
माकपा नेता ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की 3000 स्कूलों को बंद करने तथा शिक्षकों की आउटसौर्सिंग के बाद मॉडल स्कूलों को निजी हाथों में सौंपने से स्पष्ट है कि सरकार यह भी मां रही है कि प्रदेश के गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाना उसके बस की बात नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस पदेश की मात्र 25% आबादी पांचवीं और 8% आबादी आठवीं पास हो, उस प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता तभी बनाए राखी जा सकती है, जबकि शिक्षा पर सभी तबकों का समान अधिकार हो. लेकिन भाजपा सरकार गुणवत्ता के नाम पर शिक्षा को ही बेचने पर आमादा है.
पराते ने कहा कि भाजपा सरकार की शिक्षा क्षेत्र को तबाह करने वाली नीतियों के खिलाफ माकपा अभियान चलाएगी.