भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के समर्थन में Join The Question March
भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के समर्थन में Join The Question March
भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के समर्थन में
Join The Question March
भोपाल। बीती 2 जुलाई 2015 को भोपाल के संगठनों, नागरिकों, सांस्कृतिक-मीडियाकर्मियों, विधार्थियों ने भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान ( FTII ) पुणे के समर्थन में देश भर के प्रमुख शहरों में हो रहे “ Join The Question March ” के तहत विरोध प्रदर्षन किया। भोपाल के बोर्ड आफिस चौराहे पर हुए इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
हाल ही में सरकार द्वारा भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान में की गई नियुक्तियों के खिलाफ वहाँ के विधार्थी लगातार प्रोटेस्ट कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनमें योग्यता की कमी तो है ही साथ ही साथ यह मोदी सरकार का अकादमिक एवं संस्थानों के स्वायतता और उनमें एक खास विचारधारा के लोगों की नियुक्ति प्रक्रिया का एक अंग है।
इस दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के विधार्थीयों के मांगों के समर्थन में पर्चा वितरित किया गया, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में जनगीत गाये गये और वर्तमान में सांस्कृतिक व अकादिमिक संस्थानों की परिस्थितियों पर नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया।
इस दौरान प्रगितिशील लेखक संघ के विनीत तिवारी ने कहा कि मौजूदा सरकार अपने दंक्षिणपंथी एजेंडे को लागू करने के लिए शैक्षिणक संस्थाओं और सांस्कृतिक संस्थानों को विशेष तौर पर अपना निशाना बना रही है, जिसका उद्देश्य आलोचनात्मक तौर तरीकों एवं तर्कवादी सोच पर लगाम लगाया जा सके। इस दिशा में भारतीय इतिहास शोध परिषद, नेशनल बुक ट्रस्ट जैसे संस्थानों में संघ परिवार और भाजपा से जुड़े लोगों को पहले ही नियुक्त किया जा चुका है, जिनकी उन क्षेत्रों में योग्यता पर भी प्रश्नचिन्ह हैं।
जनवादी लेखक संघ के रामप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि सरकार इन संस्थानों में भगवाकरण के एजेंडे को लागू कर ही रही है साथ ही साथ इसका उद्देश्य इन संस्थानों के निजीकरण का रास्ता भी साफ करना है।
प्रगतिशील लेखक संघ के शैलेन्द्र शैली ने कहा कि मोदी सरकार ऐसे कदम उठा कर वास्तविक मुद्दों से जनता का ध्यान हटाना चाहती है और इसकी आड़ में वो अपने कॉरपरेटपस्त और पूँजीवादी नीतियों को लागू करना चाहती है।
जनवादी महिला समिति की नीना शर्मा ने कहा कि सांस्कृतिक एवं अकादिमक संस्थाओं पर सरकार एवं संघ परिवार का ये हमला आने वाले अंधेरे दिनों का संकेत है, इसके प्रतिरोध में संस्कृतिकर्मियों, मीडि़या और युवाओं को आगे आना चाहिए।
शिक्षा अधिकार मंच के लोकेश ने कहा कि दरअसल यह दो तरफा हमला है। मोदी सरकार एक तरफ तो संस्थानों का भगवाकरण कर ही रही है, इसी के साथ साथ इन संस्थाओं के निजीकरण और इनकी धार को कम करने की कवायत भी जारी है ताकि देश में प्रतिरोध एवं जनपक्षीय आवाजों को कम किया जा सके।
न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव की उपासना ने कहा कि हम भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के विधार्थियों की मांगों का समर्थन करते हैं और मांग करते हैं कि देश के शिक्षण और सांस्कृतिक संस्थानों में किसी एक खास विचारधारा को बढ़ावा देने की प्रवृति पर रोक लगाया जाए और इन्हें स्वतंत्र ही रहने दिया जाये।
इस दौरान वरिष्ठ कवि कुमार अंबुज ने कविता पाठ भी किया।


