जगदीश्वर चतुर्वेदी

पीएम मोदी झूठ मत बोलो-

भारतीय रिजर्व बैंक ने आज इस साल की दूसरी छमाही के लिए महंगाई बढऩे और विकास दर घटने का अनुमान जताया है।

इसलिए आपका विकास दर को पटरी पर लाने का दावा गलत है।

राजनीति में हठी देखे लेकिन अव्वल थेथर नहीं देखे! रिजर्व बैंक कह रहा है विकासदर में गिरावट आई है कम से कम अपनी गलती तो मानो , क्या हुआ विकास के वायदे का ? पूर्ण बहुमत , सत्ता का पूर्ण नियंत्रण और मनमाना नीतियाँ लागू करने का अबाध अधिकार होने के बावजूद विकासदर गिरी है। यह सबसे बड़ी पराजय है हिंदुत्व की और उनके मोदी की!

झूठ की कोई सीमा नहीं होती, झूठ बोलते रहो, अपने आप जनता समझ जाएगी क्योंकि सच बड़ी चीज है, हिटलर को "महान जनता" का समर्थन था लेकिन सच यह था वो हिटलर था, यानी जल्लाद था, सारी दुनिया, जर्मनी की जनता अंत में जान ही गई कि हिटलर माने सर्वनाश!

आप भी इंतजार करें, हिटलर अपने रूतबे दिखाकर ही दम लेगा, अभी तो सिर्फ उसका एक अंश देखा है, विकासदर में गिरावट आई है, रोजगार खत्म हुए हैं ! जगह-जगह दंगे की खबरें आ रही हैं! यह सप्ताह तो दंगों की बलि चढ़ गया !

किसानों की मौतों का हिसाब रखना साहब ने बंद कर दिया है, विकासदर का भी नया फार्मूला बना लिया है, सबको हिदायत दी जा रही है कि खूब झूठ बोलो, हिटलर भी यही धंधा करता था। झूठ का धंधा ! इसके बाद भी मन न माने तो गाय की कत्ल का धंधा, बैंकों के कारोबार को चौपट करने का धंधा, उद्योगों को बंद कराने का धंधा।

सिर्फ एक चीज की मांग बढ़ी है और सप्लाई बढ़ी है वो हैं हथियार, दिलचस्प है हिटलर को भी हथियार का उत्पादन पसंद था इनको भी पसंद है, उसे भी बलि लेने की आदत थी इनको भी, वह भी जनता से डरता था ये भी। भारत धीरे धीरे जर्मनी बन रहा है हम सब हिंदू बन रहे हैं और वो हिटलर।


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पीएम मोदी का आज का भाषण सुनें और यह रिपोर्ट पढ़ें,सच और झूठ का अंतर समझ जाएंगे-

भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में आज कोई बदलाव नहीं किया, लिहाजा भारतीय कंपनी जगत ने कहा कि उन्हें निकट भविष्य में निवेश चक्र के बहाल होने की उम्मीद नहीं है, खास तौर से ज्यादा पूंजी वाले क्षेत्रों में। कंपनियों के सीईओ ने कहा कि भारत की बैंक दर पहले ही दुनिया भर में ऊंची है, जो विदेश में उधार लेने वाली विदेशी कंपनियों को दबाव वाली कंपनियां खरीदना आसान बनाती है, वहीं स्थानीय कंपनियां परेशानी झेलती है।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी पहले ही प्रमुख क्षेत्रों मसलन कपड़ा व रियल एस्सेट आदि की कमर तोड़ चुके हैं और इस समय दरों में कटौती से कई कंपनियों को मदद मिलती। क्षमता इस्तेमाल की दर करीब 75 फीसदी रह गई है, जो कंपनियोंं को नई क्षमता में निवेश से रोकता है। जीएसटी से जुड़ी समस्याएं समाप्त होने तक कंपनियां नकदी को संरक्षित रखने को प्राथमिकता दे रही हैं।

महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के ग्रुप सीएफओ वी एस पार्थसारथी ने कहा, भारत के लिए उच्च विकास जरूरी है। इसके लिए हमें सकारात्मक संकेत की दरकार है और इस लिहाज से यह मौका हाथ से निकल गया। हम स्थिति को यथावत बनाए रखने का स्वागत करते हैं लेकिन सकारात्मक संकेत जल्द आने चाहिए। सीईओ के पास चिंता की वजहें हैं। आरबीआई ने कहा कि आज विनिर्माण क्षेत्र महज 1.2 फीसदी बढ़ा है, जो 20 तिमाही का निचला स्तर है। 2016-17 की दूसरी छमाही में सुधार के संकेत देने वाले खनन क्षेत्र में एक बार फिर वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में गिरावट दिखने लगी क्योंकि कोयला उत्पादन घटा और कच्चे तेल का उत्पादन सुस्त रहा। आरबीआई ने अर्थव्यवस्था के बारे में ये बातें कही है।

जुलाई 2017 में आईआईपी में मामूली सुधार हुआ, जो जून में फिसल गया था। यह सुधार खनन, बिजली उत्पादन आदि में इजाफे की बदौलत हुआ। हालांकि विनिर्माण कमजोर बना रहा। इस्तेमाल आधारित वर्गीकरण के लिहाज से पूंजीगत सामान, मध्यवर्ती सामान व कंज्यूमर ड्यूरेबल में गिरावट ने कुल आईआईपी की बढ़त को पीछे खींच लिया। अगस्त में हालांकि प्रमुख उद्योगों का आउटपुट मजबूत रहा क्योंकि कोयला उत्पादन व बिजली उत्पादन में सुधार दर्ज हुआ। विनिर्माण क्षेत्र के एक सीईओ ने कहा, एक साल के भीतर पांच राज्यों में चुनाल होने हैं और आम चुनाव साल 2019 के मध्य में, ऐसे में कंपनियों की तरफ से निवेश धुंधला रहने की संभावना है। हमें कम से कम दो साल और इंतजार करना होगा।(बिजनेस स्टैंडर्ड से साभार)

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